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आश्रय की वापसी ने निष्कासित नेताओं की कांग्रेस में घर वापसी के खोले दरवाजे! विक्रमादित्य सिंह की ये है राय

कई सोशल मीडिया अकाउंट से जनारथा की पार्टी में वापसी की मांग उठ रही है. सोशल मीडिया पर एक्टिव कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लिखा कि पार्टी में अनदेखी होने पर हरीश जनारथा ने कोई दूसरी पार्टी नहीं ज्वाइन की, बल्कि आजाद उम्मीदवार लड़े.

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Published : Mar 26, 2019, 11:55 PM IST

सोशल मीडिया पोस्ट

शिमला: लोकसभा चुनाव के दौरान दल-बदल का दौर जारी है. दल-बदलुओं की पैराशूट तरीके से हो रही एंट्री के बीच अब पार्टी से निष्कासित नेताओं की भी वापसी की मांग उठ रही है. कांग्रेस में आश्रय शर्मा की वापसी के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब आश्रय शर्मा की वापसी हो सकती है तो दूसरे नेताओं की पार्टी में क्यों वापसी नहीं हो सकती.

सोशल मीडिया पोस्ट
सोशल मीडिया पोस्ट

विक्रमादित्य सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि आश्रय को कांग्रेस में शामिल किया जा सकता है तो हरीश जनारथा की कांग्रेस में वापसी क्यों नहीं हो सकती. विक्रमादित्स सिंह ने लिखा कि आज कल घर वापसी के दौर में सभी के लिए एक मापदंड रखते हुए हरीश जनारथा जो एक मिलनसार लोकप्रिय नेता हैं , कई बार उन्होंने अपनी लोकप्रियता चुनावों में साबित की है वह कांग्रेस विचारधारा के हैं. हमें विश्वास है उनकी कांग्रेस में वापसी से पार्टी को मजबूती मिलेगी.इस विषय को पार्टी हाई कमांन के समक्ष उठाया जाएगा.

विक्रमादित्य सिंह का एफबी पोस्ट
विक्रमादित्य सिंह का एफबी पोस्ट

वहीं, कई सोशल मीडिया अकाउंट से जनारथा की पार्टी में वापसी की मांग उठ रही है. सोशल मीडिया पर एक्टिव कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लिखा कि पार्टी में अनदेखी होने पर हरीश जनारथा ने कोई दूसरी पार्टी नहीं ज्वाइन की, बल्कि आजाद उम्मीदवार लड़े. जनारथा के समर्थकों का कहना है कि जब सुखराम भाजपा में जाकर फिर से कांग्रेस में आ सकते हैं तो हरीश जनारथा की घर वापसी भी कांग्रेस हाईकमान को करवानी चाहिए.बता दें कि हरीश जनारथा 2012 में शिमला शहरी सीट से कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन जनारथा को हार मिली. इसके बाद 2017 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट कर हरभजन सिंह भज्जी को टिकट थमा दिया. इसके बाद जनारथा निर्दलीय ही चुनाव लड़े थे. जनारथा जनारथा को इसके लिए पार्टी से छह साल के निष्कासित किया गया. आश्रय के कांग्रेस में शामिल होने के बाद अब निष्कासित कार्यकर्ताओं और नेताओं की पार्टी में वापसी की मांग जोर पड़ रही है. अब देखना होगा कि पार्टी बागियों को पार्टी में वापस लेती है या नहीं.

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शिमला: लोकसभा चुनाव के दौरान दल-बदल का दौर जारी है. दल-बदलुओं की पैराशूट तरीके से हो रही एंट्री के बीच अब पार्टी से निष्कासित नेताओं की भी वापसी की मांग उठ रही है. कांग्रेस में आश्रय शर्मा की वापसी के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब आश्रय शर्मा की वापसी हो सकती है तो दूसरे नेताओं की पार्टी में क्यों वापसी नहीं हो सकती.

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विक्रमादित्य सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि आश्रय को कांग्रेस में शामिल किया जा सकता है तो हरीश जनारथा की कांग्रेस में वापसी क्यों नहीं हो सकती. विक्रमादित्स सिंह ने लिखा कि आज कल घर वापसी के दौर में सभी के लिए एक मापदंड रखते हुए हरीश जनारथा जो एक मिलनसार लोकप्रिय नेता हैं , कई बार उन्होंने अपनी लोकप्रियता चुनावों में साबित की है वह कांग्रेस विचारधारा के हैं. हमें विश्वास है उनकी कांग्रेस में वापसी से पार्टी को मजबूती मिलेगी.इस विषय को पार्टी हाई कमांन के समक्ष उठाया जाएगा.

विक्रमादित्य सिंह का एफबी पोस्ट
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वहीं, कई सोशल मीडिया अकाउंट से जनारथा की पार्टी में वापसी की मांग उठ रही है. सोशल मीडिया पर एक्टिव कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लिखा कि पार्टी में अनदेखी होने पर हरीश जनारथा ने कोई दूसरी पार्टी नहीं ज्वाइन की, बल्कि आजाद उम्मीदवार लड़े. जनारथा के समर्थकों का कहना है कि जब सुखराम भाजपा में जाकर फिर से कांग्रेस में आ सकते हैं तो हरीश जनारथा की घर वापसी भी कांग्रेस हाईकमान को करवानी चाहिए.बता दें कि हरीश जनारथा 2012 में शिमला शहरी सीट से कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन जनारथा को हार मिली. इसके बाद 2017 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट कर हरभजन सिंह भज्जी को टिकट थमा दिया. इसके बाद जनारथा निर्दलीय ही चुनाव लड़े थे. जनारथा जनारथा को इसके लिए पार्टी से छह साल के निष्कासित किया गया. आश्रय के कांग्रेस में शामिल होने के बाद अब निष्कासित कार्यकर्ताओं और नेताओं की पार्टी में वापसी की मांग जोर पड़ रही है. अब देखना होगा कि पार्टी बागियों को पार्टी में वापस लेती है या नहीं.

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