शिमला: हिमाचल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. यही वजह है कि हर साल यहां के पर्यटन स्थलों (TOURIST PLACES IN HIMACHAL) पर घूमने आने के लिए सैलानियों का तांता लगा रहता है. पर्यटक हिमाचल में घूमते हुए ना केवल यहां की प्राकृतिक सुंदरता को निहारते हैं, बल्कि हिमाचली व्यंजनों का जायका लेने का मौका भी नहीं चूकते हैं. ऐसा शायद ही संभव हो कि बाहरी राज्यों से पर्यटक हिमाचल घूमने आएं और यहां के लजीज व्यंजनों का स्वाद ना चखें.
नए साल के जश्न के लिए (NEW YEAR CELEBRATION IN HIMACHAL) राजधानी शिमला पूरी तरह से तैयार हो चुकी है. ऐसे में होटल और खाने के दूसरे आउटलेट भी पर्यटकों को तरह-तरह के व्यंजन परोसने को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं. अब आप शिमला आ रहे हैं और हिमाचली व्यजनों सहित शिमला में खाने के लिए फेमस आइटम्स की तलाश करना आपको मुश्किल लग रहा है तो हम आपकी यह मुश्किल आसान कर देते हैं.
हम आपको बताते हैं कि किस जगह पर आप हिमाचल के पारंपरिक व्यंजनों के अलावा खाने के फेमस आइटम्स का मजा ले सकते हैं. अगर, आप शिमला के पारंपरिक व्यंजनों का जायका लेना चाहते हैं तो उसके लिए आपको कहीं और जाने की जरूरत नहीं है. शिमला के रिज मैदान पर ही एचपीटीडीसी (hptdc) के आशियाना रेस्तरां (ashiana restaurant shimla) में आपकी यह तलाश पूरी हो जाएगी. यहां पर आप हिमाचल के पारंपरिक व्यंजनों का जायका ले सकते हैं.
होटल आशियाना में मिल रही हिमाचली थाली (Traditional Himachali Thali) में सेपू बड़ी, खट्टा कद्दू, आलू पालदा, चना रेंथा, चना मदरा, चना पनीर, राजमा मदरा, लाहौली आलू, आलू अनारदाना, तेलिया माश और चावल के साथ मीठे में बाथु की खीर, बदाना, मीठा कद्दू और मीठा घीया का स्वाद आप ले सकते हैं. इसके साथ ही इस होटल में आप हिमाचल के फेमस सिड्डू का भी जायका ले सकते हैं.
पहाड़ी सिड्डू मात्र 90 रुपए में तो हिमाचली थाली मात्र 189 में आप यहां एन्जॉय कर सकते हैं. इसके अलावा अगर आप चाय पीने के शौकीन हैं तो आप यहां सेब से बनी चाय भी 45 रुपए में पी सकते हैं. हिमाचली व्यंजनों का यही स्वाद आप हिमाचल पर्यटन निगम के होटल हॉलीडे होम के रेस्तरां में भी ले सकते हैं.
आशियाना के मैनेजर ओम प्रकाश ठाकुर बताते हैं कि नए साल के लिए पर्यटकों के लिए हिमाचली थाली शुरू की गई है और काफी तादाद में लोग यहां खाने आते हैं और सिड्डू खाना काफी पसंद कर रहे हैं. वहीं, मिडल बाजार में हिमाचली रसोई के मैनेजर अंकुश शर्मा का कहना है कि उनके रेस्टोरेंट में केवल हिमाचली फूड ही परोसे जाते हैं यहां मंडयाली, कांगड़ी धाम के अलावा अन्य व्यंजन परोसे जाते हैं और पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोग भी काफी संख्या में आते हैं.
ये तो बात हुई हिमाचली थाली की. वहीं, अगर आप हिमाचल के अलग-अलग जिलों में शादियों में बनने वाली खास तरह की धाम का स्वाद लेना चाहते हैं तो वो भी आपको शिमला में मिलेगी. इसके लिए आपको शिमला के मिडल बाजार स्थित हिमाचली रसोई में जाना होगा. शिमला का यह एक रेस्टोरेंट पर्यटकों को हिमाचली धाम और प्रदेश के अन्य पारंपरिक व्यंजनों को परोस रहा है. यहां आप कांगड़ी, मंडियाली, चंब्याली, बिलासपुरी धाम का आनंद लेने के साथ ही हिमाचल के अन्य पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं.
अब हिमाचली व्यंजनों से अलग अगर आप शिमला में मिलने वाले कुछ खास फूड आइटम का स्वाद लेना चाहते हैं तो उसके लिए आपको रुख करना होगा शिमला के लक्कड़ बाजार का. यहां आपको सीता राम के छोले-भटूरे का ऐसा जायका मिलेगा, जिसका स्वाद आपकी जुबां पर लंबे समय तक रहेगा. पांच दशकों से चली आ रही इस दुकान पर पीतल की बड़ी परात (प्लेट) में छोले की महक हवा में तैरती रहती है. उसका अंदाजा आप दुकान के बाहर लोगों की भीड़ से ही लगा सकते हैं.
हर रोज यह दुकान सुबह 10 बजे खुलती है और शाम तीन बजे तक बंद हो जाती है. यहां बैठने के लिए कोई जगह नहीं है, लेकिन लंबी कतारें लक्कड़ बाजार की असल रौनक है. दुकान के मालिक विक्रम ठाकुर का कहना है कि पिछले 80 सालों से यहां छोले-भटूरे का काम कर रहे हैं और यहां काफी दूर से लोग खाने के लिए आते हैं. सुबह सामान तैयार करके लाते हैं और सारा सामान तीन बजे से पहले की खत्म हो जाता है.
वहीं, अगर आप मीठे के शौकीन हैं और शिमला की बर्फीली हवाओं के बीच कुछ मीठा खाना चाहते हैं तो नथूराम की गरमा गरम जलेबी के अलावा कुछ और बेहतर हो ही नहीं सकता. यहां पहुंचने के लिए शिमला के स्कैंडल प्वाइंट से सीधा आपको लोअर बाजार आना होगा. शिमला के लोअर बाजार में डीसी ऑफिस के समीप यह दुकान 119 साल पुरानी है, लेकिन जायका एकदम लाजवाब.
एक बड़ी सी कढ़ाई में लगातार खौलता दूध और बगल में शुद्ध देसी घी में बनती जलेबी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. कहते हैं कि इस दुकान में जलेबी का स्वाद चखने के लिए अंग्रेज वाइसरॉय तक यहां आते थे. नथूराम-लक्ष्मण दास की बालू शाही के दीवाने तब न सिर्फ अंग्रेज थे, बल्कि आज भी देश-विदेश से लोग जलेबी का आनंद लेने यहां आते हैं.
अब जब बात हिमाचली जायके के साथ मीठे की हो गई तो जलेबी के स्वाद को पसंद ना करने वालों के लिए भी खास विकल्प शिमला में मौजूद है. अगर आप केक और बेकरी बिस्किट के दीवाने हैं तो आपकी यह तलाश शिमला के माल रोड और रिज के बीचो बीच चल रही त्रिशूल बेकरी पर पूरी हो सकती है. यहां आज भी पेस्ट्री देसी घी और चॉकलेट से बनाई जाती है. इसमें पाइन एप्पल का स्वाद भी है. पिंक मोमजामे के लिफाफे में लिपटी ताजा ब्रेड आज भी मिल जाती है.
इस बेकरी की खास बात यह है कि करीब 100 वर्षों तक यह बेकरी लकड़ी से जलने वाली भट्ठी (ओवन) से चलती थी. यहां हर सामान पुरानी ईंटों से मिट्टी की लेप के भीतर ओवन में बनता था. यहां ब्रेड, पेस्ट्री और मकरूम्स बिस्किट बनाए जाते थे और फिर लोहे के बड़े ट्रंकनुमा ट्रे में बिकते थे. अब जब लकड़ी जलाने की परमिशन नहीं है तो भट्टी को इलेक्ट्रॉनिक कर दिया गया है, लेकिन तरीका अभी भी पुराना ही है, जिससे जायके में कोई फर्क ना आये.
बता दें कि अंग्रेज जब ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला में बसे तो विलायत से अपने बेकर्स भी लाए. ये बेकर्स परंपरागत तकनीक से यह पेस्ट्री ही नहीं, बल्कि ब्रेड भी बनाते थे. उस वक्त बाबा जी ने उनसे काम सीखा था और अंग्रेजों के टेस्ट को ध्यान में रखते हुए 1959 उन्होंने इस त्रिशूल बेकरी की स्थापना की.
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इसके अलावा अगर आप मोमोज के दीवाने हैं. उसके लिए आप शिमला के माल रोड पर स्थित फेमस कृष्णा बेकरी पर जा सकते हैं. यहां के मोमोज और कुकरेज का स्वाद बहुत फेमस है और यही वजह है कि कृष्णा बेकरी के बाहर आपको अक्सर लोग हाथों में प्लेट लिए मोमोज खाते नजर आएंगे. इसके अलावा चाइनीज फूड से जुड़े अन्य बहुत से काउंटर भी शिमला में जगह-जगह पर आपको आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे, जहां आप चाइनीज फूड का लुत्फ उठा सकते हैं.
अगर, आप शिमला जा रहे हैं और आपके ग्रुप में लड़कियां भी शामिल हैं जो पानी-पुड़ी और चाट पापड़ी की दीवानी हैं तो उनके लिए शिमला के टका बैंच से बेहतर कोई और जगह नहीं हो सकती है. शिमला के टका बैंच पर पानी-पुड़ी और चाट पापड़ी के स्टॉल साल के 12 महीने सजे रहते हैं. यहां की पानी-पुड़ी और चाट पापड़ी बहुत ही फेमस है. यही वजह है कि पर्यटक यहां के स्ट्रीट फूड का स्वाद लेना नहीं भूलते हैं.