शिमला: साल 2021 अपने अंतिम चरण में है. ऐसे में अधिकांश लोगों की यह जानने की इच्छा रहती है कि आखिर इस साल कौन-कौन सी ऐसी घटनाएं और उपलब्धियां रहीं जिसे आने वाले कई सालों तक याद किया जाता रहेगा. वैसे तो चिलचिलाती गर्मी से राहत पाने के लिए सैलानी देवभूमि हिमाचल का रुख तो करते ही हैं, इसके साथ ही कोरोना काल में इस छोटे से पाहड़ी राज्य में कई ऐसे स्थान रहे, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र साबित हुए. इस साल हिमाचल के पर्यटन पर एक नई इबारत अटल टनल ने भी उकेर दी. अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटकों ने भी इस साल भाग-दौड़ भरी जिंदगी से कुछ राहत पाने के लिए कुल्लू जिले में बने ट्री हाउस में कुछ सुकून के पल बिताए. पहाड़ों पर बने लकड़ी के मकानों ने भी पर्यटकों आकर्षित किया. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा इस साल शिमाल में एक नया आकर्षण का केंद्र बनकर उभरी. इससे पहले कि हम 2021 को अलविदा (Attractive places of Himachal Pradesh in 2021) कहें, आइए एक नजर डालते हैं हिमाचल में इस साल आकर्षण का केंद्र रहे 10 स्थानों पर...
अटल टनल रोहतांग ने बढ़ाई हिमाचल की शान: हिमाचल प्रदेश में अटल टनल रोहतांग बनने के बाद लाहौल घाटी में सैलानियों की आमद में लगातार वृद्धि हो रही है. यह टनल हिमाचल में एक नया आकर्षण का केंद्र बनकर उभरी है. इस टनस के लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की टनल के (Atal rohtang tunnel Himachal) उद्घाटन के बाद से अब तक करीब दो लाख से ज्यादा पर्यटक वाहन इस टनल से गुजर चुके हैं. इस सुरंग का उद्घाटन 3 अक्टूबर, 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था. जिसके बाद से ही लाहौल घाटी में सैलानियों की आमद में कई गुणा बढ़ोतरी हुई थी.
कोरोना संकट के बीच मिली राहत के बाद अब सैलानियों का हिमाचल आना शुरू हो गया है. हिमाचल के पर्यटन पर एक नई इबारत अटल टनल ने भी उकेर दी है. अटल टनल के दीदार को रोजाना हजारों वाहन पहुंच रहे हैं. अटल टनल ने चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात सेना के जवानों के लिए भी राहत दी है और शीत मरुस्थल लाहौल के लोगों को भी 6 महीने की बर्फीली कैद से मुक्ति मिली है. 3 अक्टूबर 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने अटल टनल का शुभारंभ करते हुए कहा था कि आज अटल जी का सपना पूरा हुआ है. उन्होंने कहा कि यह टनल लेह और लद्दाख के लिए भी लाइफ लाइन बनेगी. देश के अन्य हिस्सों से लेह और लद्दाख पहुंचना आसान हो जाएगा. यहां के किसान देश के अन्य बड़े बाजारों से आसानी से जुड़ सकेंगे.
पर्यटकों की पसंद बने पत्थर-लकड़ी के घर: पहाड़ों में मकान बनाने के लिए ग्रामीण लोग काष्ठकुणी शैली का सहारा लेते हैं. इस शैली में मकान बनाने के लिए लकड़ी और पत्थरों का अधिक इस्तेमाल होता है. अधिकतर मकान ढाई मंजिल के बनाए जाते हैं और राजाओं के समय में इनकी ऊंचाई सात मंजिल तक भी होती थी. हिमाचल प्रदेश जहां (wooden style Houses in Himachal) अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है. वहीं, पहाड़ों पर बने लकड़ी के मकान को देख पर्यटक भी उनकी ओर खिंचे चले आते हैं. पर्यावरण में आए बदलाव के चलते अब एक बार फिर से लोग पत्थर और लकड़ी से बने मकानों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. इतना ही नहीं, अमीर सैलानी हिमाचल आकर ऐसे ही घरों में बसना चाहते हैं. सैलानियों को आकर्षित करने के लिए बन स्पेशल टूर पैकेज भी बनाए जाते हैं.
हिमाचल प्रदेश घूमने आ रहे पर्यटक जहां अपनी छुट्टियों का लुत्फ शांत जगह पर उठाना चाहते हैं तो वहीं, शांति की तलाश के लिए पर्यटक अब ग्रामीण क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने कच्चे लकड़ी के मकान और शांत बहते झरने पर्यटकों की पहली पसंद बन रहे हैं. अब पर्यटकों को ग्रामीण क्षेत्रों की ओर आकर्षित करने के लिए ट्री हाउस भी बनाए जा रहे हैं. पेड़ों पर बने ट्री हाउस शहरों की चकाचौंध से जूझ रहे पर्यटकों को अपनी ओर खींचने लगे हैं. पर्यटकों की रुचि बढ़ते हुए देख कुल्लू जिले में कारोबारियों ने और ट्री-हाउसों का निर्माण शुरू कर दिया है. पेड़ पर एक कमरा बनाया जाता है. इसमें जाने के लिए नीचे से रास्ता भी बना है. ऊंचाई से वादियों को निहारने का कुछ अलग ही नजारा होता है. विश्व धरोहर ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (Great Himalayan National Park) भी बंजार घाटी में ही आता है. ऐसे में यह अनूठी पहल सैलानियों को आकर्षित करने में काफी मदद करेगी.
छोटी काशी मंडी में बनेगा शिव धाम: छोटी काशी के नाम से विख्यात हिमाचल के मंडी शहर में प्रदेश सरकार शिव धाम विकसित करेगी. सरकार ने इसी साल जुलाई में शिव धाम विकसित (Shiv Dham Project Mandi Himachal) करने का ऐलान किया था. यहां पर 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित करने की योजना है. इसके अलावा गंगा आरती की तर्ज पर मंडी में ब्यास आरती भी रोज करवाने की तैयारी है. वहीं, इस धाम के निर्माण के बाद यह सैलानियों के लिए एक नया आकर्षण का केंद्र होगा और इसके बनने से हिमाचल में धार्मिक पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा.
हिमाचल में पर्यटन को पंख देगा एप्पल ब्लॉस्म टूर प्रोग्राम: पर्यटकों का पसंदीदा पहाड़ी डेस्टीनेशन (Tourism in Himachal) हिमाचल अब नए आकर्षण के साथ उनका स्वागत करेगा. एप्पल बाउल (Apple Bowl Himachal) कहे जाने वाला हिमाचल एप्पल ब्लॉस्म टूर प्रोग्राम (Apple Blossom Tour Program in Himachal) आयोजित करेगा. हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (Himachal Pradesh Tourism Development Corporation) एप्पल ब्लॉस्म टूर प्रोग्राम शुरू करेगा. इसका आरंभिक प्लान तैयार किया गया है. दिसंबर में सरकार ने इस प्रोग्राम को लॉन्च किया गया था. दरअसल इस टूर प्रोग्राम के तहत सैलानियों को सेब बागीचों की सैर करवाई जाएगी और इसका पैकेज भी काफी सस्ता होगा. एक व्यक्ति के लिए एक हजार रुपए अधिकतम का पैकेज प्रस्तावित होगा.
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एचपीटीडीसी ने लिया सैलानियों को पारंपरिक व्यंजन परोसने का फैसला: हिमाचल सरकार राज्य के इसी साल सैलानियों को पारंपरिक व्यंजनों से रूबरू करवाने का भी निर्णय लिया था. इसके तहत हिमाचल प्रदेश आने वाले सैलानियों के लिए अब हिमाचल टूरिज्म कॉरपोरेशन के होटलों में खास तौर पर हर सीजन में पारंपरिक व्यंजन (Tradational food in Himachal) परोसे जाएंगे. एचपीटीडीसी निगम के होटलों में सिड्डू, कचौरी, पल्दा, मदरा आदि व्यंजनों की जानकारी सैलानियों को दी जाएगी. एचपीटीडीसी की इस मुहिम से हिमाचल के पारंपरिक व्यंजनों राष्ट्रीय स्तर भी पहचान मिलेगी.
शिमला में अटल की प्रतिमा बनी आकर्षण का केंद्र: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर स्थापित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा इस साल शिमला में एक नया आकर्षण का केंद्र बनकर उभरी. यूं तो हजारों पर्यटक रोजाना (Statue of Atal Bihari Vajpayee shimla) पहाड़ों की रानी शिमला पहुंचते है, लेकिन रिज मैदान पहुंचने वाले पर्यटक इस प्रतिमा के साथ फोटो खिंचवाना नहीं भूलते हैं. यह प्रतिम शिमला के (Tourist places in shimla) सबसे भीड़ भाड़ वाले इकाले में स्थापित की गई है, जिसके चलते लोग इस प्रतिमा के पास पहुंच ही जाते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर 26 दिसंबर 2020 को यह प्रतिमा यहां पर स्थापित की गई थी. बता दें कि रिज पर महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, यशवंत सिंह परमार और मेजर सोमनाथ के बाद यह चौथी प्रतिमा थी, जो रिज पर स्थापित की गई है. 18 फुट ऊंजी इस प्रतिमा पर 1.08 करोड़ रुपए की लागत आई थी.
लाहौल स्पीति में विंटर स्पोर्ट्स की हुई थी शुरुआत: हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में इस साल विंटर स्पोर्ट्स की शुरुआत भी हुई थी. जहां 25 जनवरी को स्नो फेस्टिवल का (Snow festival in lahaul spiti) आयोजन किया गया था. शीत मरुस्थल लाहौल स्पीति में पहली बार इस तरह के स्नो फेस्टिवल का आयोजन हुआ था. वहीं, तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ राम लाल मारकंडा (Winter sports Himachal) ने जिला मुख्यालय केलांग में स्नो फेस्टिवल का विधिवत रूप से शुभारंभ किया था.
यह फेस्टिवल 75 दिनों तक चला था और 30 मार्च को प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने देश के सबसे लंबे स्नो फेस्टिवल का वर्चुअल समापन किया था. इस फेस्टिवल में परंपरागत खेलों का मीडिया व सोशल मोडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार भी हुआ था. इस फेस्टिवल के दौरान युवाओं ने स्कीइंग कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था. वहीं, आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश में यह विंटर स्पोर्ट्स के दिवानों के लिए नया आकर्षण साबित हो सकता है.
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लाहौल स्पीति में बर्फ के बने घर यानी इग्लू में पर्यटक उठा रहे लुत्फ: लाहौल स्पीति में इसी साल बर्फ के बने घर यानी इग्लू का कॉन्सेप्ट भी लाया गया. लाहौल घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने के मकसद से जहां जनवरी में स्नो फेस्टिवल किया गया था. वहीं, लाहौल स्पीति में पहली बार बर्फ (Igloo rooms in lahaul spiti) के घर इग्लू भी बनाए गए थे. स्नो फेस्टिवल के दौरान ही तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. राम लाल मारकंडा ने 'प्रोग्रेसिव यूथ क्लब' क्वारिंग के युवाओं द्वारा बनाए (Tourist places in lahaul spiti) गए इग्लू हाउस का उद्घाटन किया था. वहीं, आने वाले दिनों में एडवेंचर टूरिज्म के हिसाब से यह सैलानियों के लिए अपने किस्म का नया आकर्षण बन सकता है.
CM के गृह क्षेत्र की मुरहाग पंचायत में बना अनूठा पार्क: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह क्षेत्र की मुरहाग पंचायत में इसी साल मनरेगा के तहत एक अनूठे पार्क का निर्माण किया गया था. यहां पार्क के भीतर बने प्राचीन मंदिर और अन्य आकर्षणों को देखने के (Park in Murhag Panchayat of mandi) लिए बड़ी संख्या में सैलानी इस साल यहां पहुंचे. इस पार्क के अंदर हिमाचल के पारंपरिक व्यंजन भी परोसे जाते हैं. मुरहाग पंचायत में 1.20 करोड़ की लागत से इस पार्क का निर्माण किया गया है, जबकि इसी क्षेत्र की देवीदड़ पंचायत में भी एक पार्क का निर्माण हो रहा है, जिसके लिए अब तक 50 लाख की राशि जारी की गई है. मनरेगा के तहत बनाया गया ये पार्क भी इस साल एक आकर्षण का केंद्र बनकर उभरा है.
कोटखाई में बुजुर्गों की पहल तालाब का निर्माण, अब पर्यटक उठा रहे आनंद: हिमाचल प्रदेश में शिमला जिले के कोटखाई में इस साल बुजुर्गों ने पहल करके एक तालाब का निर्माण किया. दरअसल पर्यावरण संरक्षण समिति घयाल खनेटी ने लोगों के सहयोग से ऊपरी शिमला में वर्षा जल संग्रहण के लिए एक मुहिम शुरू (Ponds in kotkhai of shimla) की थी. इस दौरान समिति ने जुब्बल कोटखाई उपमंडल की पांच पंचायतों में करीब 25 पुराने तालाबों को जीवित किया, तो वहीं कुछ नए तालाब भी बनाए.
तालाबों (Boating in ponds of kotkhai) को संवारने में लोगों ने कोई खानापूर्ति नहीं की थी. सबसे पहले इनका डिजाइन तैयार हुआ था और फिल इन तलाबों का निर्माण किया गया था. इसके अलावा समिति ने तालाबों के चारों तरफ सुंदरीकरण के लिए पौधे भी लगाए हैं. ये इलाके अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहे है. वहीं, इन तालाबों में बोटिंग भी करवाई जा रही है. सैलानी जंगल के बीचो-बीच स्थित इन तालाबों की खूबसूरती और बोटिंग का आनंद लेने के लिए आ रहे हैं.
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