शिमला: ऊपरी शिमला में एक माह के स्वर्ग प्रवास के बाद शनिवार को कई देवी-देवता (deities of Rampur Bushahr) वापस धरती लोक लौट आए हैं. वहीं, रामपुर बुशहर के देवता छतर खंड, रचोली जाक व शोली गांव के इष्ट देवता पलथान साहब स्वर्ग प्रवास से लौट आए हैं. बच्चे,जवान और बुजुर्गों के चेहरे पर अपने इष्ट देवता के वापस आने पर खुशी साफ देखी जा सकती है.
देवता पलथान साहिब शोली 5 लम्बरदारी की घोड़ी के मालिक हैं. वहीं, शनिवार सुबह से ही शोली मंदिर में लोगों का आना जाना लगा रहा. इसके अलावा मंदिरों में अब देवताओं की नियमित आरती उतारी जाएगी. वहीं, अब शुभ कार्य भी किए जा सकेंगे.
इस मौके पर स्वर्ग प्रवास से लौटे देवी-देवताओं ने (deities returned from heavenly stay) अपने-अपने क्षेत्र में भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में भविष्यवाणी की. इस अवसर पर नरेण पंचायत के ब्रांदली में भारी संख्या में ग्रामीणों ने देवता छतर खंड साहब का ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत किया. साथ ही लोग आने वाले समय के बारे में जानने के लिए मंदिर के प्रांगण में पहुंचे. परंपरा के अनुसार देवी-देवता मकर संक्रांति को स्वर्गलोक प्रस्थान करते हैं. देवी-देवताओं के जाने के बाद उनकी मूर्तियां शक्तिविहीन हो जाती हैं और गुरों को खेल भी नहीं आती.
देवताओं के स्वर्ग चले जाने पर उनके मंदिर सूने हो जाते हैं. इस दौरान क्षेत्र में देवताओं से संबंधित कोई भी कार्य नहीं किए जाते हैं. वहीं, अब देवताओं के धरती लोक पर वापस आने पर क्षेत्र के लोग अपने आराध्य देवता के स्वागत के लिए सुबह से ही मंदिर परिसर में जुट गए थे. देवताओं की मूर्तियां देव रथों में अब सजा दी गई हैं. देवताओं की मूर्तियां स्वर्ग जाने से पूर्व रथों से उतार दी गई थीं. मंदिरों में नियमित पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई है. स्वर्ग प्रवास पर रहते समय देवताओं को मंदिर के बाहर से आकाश की ओर धूप दिया जाता था. देवताओं के स्वर्ग में रहते समय शुभ कार्य नहीं किए जाते थे.
देवता पलथान शोली के कड़ेली स्थित ऐतिहासिक शिवालय में फाल्गुन संक्रांति को अनोखा चमत्कार देखने को मिलता है. यहां एक माह बाद देवता के स्वर्ग प्रवास से लौटने पर जब शिवालय का कपाट खुलता है, तो वहां मौजूद शिव पिंडी पर अपने आप ही ध्रुवा उगी होती है. दैवीय चमत्कार को देखने के लिए कड़ेली ही नहीं बल्कि ननखड़ी, शोली, बोड़जा, देलठ समेत आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं. इस विशेष अवसर पर मंदिर में पारंपरिक ढोल-नगाड़ों की धुनों के बीच विशेष पूजा-अर्चना की गई.
शोलेश्वर महादेव ने अपने गुर के माध्यम से इस बार का वर्ष फल भी सुनाया. देवता पलथान साहेब शोली के बखान के अनुसार यह साल कृषि और फसलों के लिए बहुत अच्छा रहेगा. वहीं, पलथान साहेब शोली इस वर्ष अपने क्षेत्रवासियों के लिए स्वर्ग से सुख-समृद्धि लेकर आए हैं. उनके स्वागत के लिए स्थानीय ग्रामीण काफी उत्साहित दिखे. सभी लोगों ने अपने आराध्य देवता का शुभ आशीर्वाद प्राप्त किया. वहीं, इस अवसर पर मंदिर भगवान भोले नाथ और देवता पलथान साहब शोली के जयकारे से गूंज उठा. वर्षफल सुनाने के बाद देवता के गुर मंदिर के लोगों को आशीर्वाद के तौर पर सरसों के दाने देते हैं.
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