शिमलाः कोरोना संकट में प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में हुई ऑक्सीमिटर और ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद सवालों के घेरे में आ गई है. अधिक दरों पर खरीद का मामला अब प्रधानमंत्री (पीएमओ) के दरबार पहुंच गया है. जिला मंडी से संबंध रखने वाले सुधांशु कपूर ने इस मामले में प्रधानमंत्री को शिकायतपत्र भेजा है.
शिकायतपत्र में सुधांशु ने आरोप लगाया है कि कोरोना महामारी के दौरान हिमाचल सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के माध्यम से अधिक दरों पर ऑक्सीजन सिलेंडर व ऑक्सीमिटर खरीदे गए हैं, जिससे सरकारी खजाने को लाखों रुपये की चपत लगी है.
शिकातकर्ता सुधांशु ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि इस मामले को लेकर जांच की जाए और जिस भी अधिकारी की गलती पाई जाती है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए. शिकायतकर्ता का आरोप है कि सभी नियमों को दरकिनार करके तीन गुणा अधिक मुल्य पर ऑक्सीमिटर और ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीदारी हुई है.
पल्स ऑक्सीमिटर की 88.50 लाख की खरीदारी प्रत्येक ऑक्सीमिटर 2950 रुपये के हिसाब से सीपीडबल्यूडी के माध्यम से हुई है, जबकि मेडिकल डिवाइस होने के नाते सीपीडबल्यूडी का इससे कोई भी संबंध नहीं था और न ही उनके पास इसकी जांच परख के कोई विशेषज्ञ है. न ही सीपीडबल्यू पहले भी कोई इस तरह की खरीदारी करता है.
बजारों में 500 से लेकर 2500 तक के ऑक्सीमिटर उपलब्ध है. वहीं, ऑक्सीजन सिलेंडर 9,100 की बजाये 15,750 रुपये तक खरीदे गए हैं. यहां पर वित विभाग के आदेशों को भी दरकिनार किया गया है. शिकायकर्ता का कहना है कि वित विभाग के आदेश हैं कि जैम पोर्टल, ई-टेंडर व एचएलएल के माध्यम से यह खरीदारी की जाए. शिकायतकर्ता ने सवाल उठाए हैं कि इसके माध्यम से खरीदारी क्यों नहीं की गई है.
ऑक्सीमिटर व ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीद प्रक्रिया में मुल्य की प्रासंगिकता का भी ध्यान नहीं रखा गया है. जब सीपीडबल्यू के मुल्य निर्धारित हुए उस समय अधिक मुल्य की प्रासंगिक्ता क्यों नहीं देखी गई, जबकि जिस मुल्य पर खरीद हुई, वह तीन गुणा अधिक है.
सीपीडबल्यूडी ने आरोपों को बताया तथ्यहीन
उधर, सीपीडबल्यूडी की ओर से इस मामले में प्रेस नोट जारी कर सफाई दी गई है. सीपीडबल्यूडी का कहना है कि गैस पाइप लाइन, मेनिफोल्ड बनाने व सिलेंडर व ऑक्सीमिटर खरीदने में कोई अनियमितता नहीं हुई है. सारा काम ट्रांसपेरेंट बिडिंग प्रक्रिया से हुआ है. इस मामले को लेकर लगाए गए आरोप तथ्य पर आधिरित नहीं है.
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