शिमला: हिमाचल प्रदेश छात्र अभिभावक मंच ने प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बुधवार को शिक्षा निदेशालय शिमला के बाहर अभिभावक मंच के बैनर तले अभिभावकों ने प्रदर्शन किया. मंच का कहना है कि निजी स्कूलों में भारी फीसों, मनमानी लूट, फीस वृद्धि व गैर कानूनी फीस वसूली पर रोक लगाने में सरकार नाकाम है. मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर मनमानी फीस लेने को लेकर कानून बनाने को लेकर सरकार ने सकारात्मक रुख न अपनाया तो निजी स्कूलों से प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग की मिलीभगत के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच अपना उग्र आंदोलन करेगा.
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि प्रदेश (Student parent forum Protest in Shimla) सरकार की नाकामी व उसकी निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे हैं. कोरोना काल में भी निजी स्कूल टयूशन फीस के अलावा एनुअल चार्जेज़, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम, मिसलेनियस, केयरज़, स्पोर्ट्स, मेंटेनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग फंड, ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी प्रकार के फंड व चार्जेज वसूलते रहे हैं. निजी स्कूलों ने बड़ी चतुराई से वर्ष 2022 में कुल फीस के 80 फीसदी से ज्यादा हिस्से को टयूशन फीस में बदल कर लूट को बदस्तूर जारी रखा है. उन्होंने प्रदेश सरकार पर निजी स्कूलों से मिलीभगत का आरोप लगाया है.
कानून का प्रारूप तैयार करने में ज्यादा समय लगा दिया: अभिभावक मंच का कहना है कि कानून का प्रारूप तैयार करने में ही इस सरकार ने तीन वर्ष का समय लगा दिया. अब जबकि एक साल पहले अभिभावकों ने कानून को लेकर दर्जनों सुझाव दिए हैं, तब भी जान बूझकर यह सरकार कानून बनाने में आनाकानी कर रही है. पिछले बजट सत्र में कानून हर हाल में बनना चाहिए था, लेकिन सरकार की संवेदनहीनता के कारण कानून अभी तक भी नहीं बन पाया. सरकार की नाकामी के कारण ही बिना एक दिन भी स्कूल गए बच्चों की फीस में पिछले दो वर्षों में 15 से 0 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है.
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