शिमला: शिमला-कालका वर्ल्ड हेरिटेज ट्रैक पर (Shimla-Kalka World Heritage Track) रविवार को भाप इंजन की छुक-छुक की आवाज सुनने को मिली. शिमला रेलवे स्टेशन पर रिपेयर के लिए भाप इंजन को निकाला गया और रेलवे इंजीनियरों ने इसे रिपेयर किया. इसमें जो खामियां थी उसे दुरुस्त किया गया. इस दौरान काफी पर्यटक पर रेलवे स्टेशन पर स्टीम इंजन को देखने के लिए पहुंचे और स्टीम इंजन के साथ फोटो खिंचवाते नजर आए. स्टीम इंजन को यार्ड से रेलवे स्टेशन तक लाया गया.
रिपेयर के बाद कालका रेल ट्रैक पर पर्यटकों के लिए जल्द ही भाप इंजन दौड़ेगा. रेलवे जल्द ही (Shimla Railway Station) पर्यटकों के लिए स्टीम इंजन को चलाने जा रहा है. यह ईंजन रेलवे स्टेशन में ही खड़ा रहता है. इसे रेलवे हर साल रेलवे स्टेशन से कैथलीघाट के बीच बुकिंग पर ही स्टीम इंजन को चलाता है. अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी रहे शिमला में इस इंजन के ट्रैक पर चलने से पुराना समय याद आ जाता है. जब यहां अंग्रेजों का राज चलता था. उसी समय कालका से शिमला तक ट्रैक का निर्माण करवाकर शिमला में रेलवे स्टेशन बनवाया था. इस स्टीम लोकोमोटिव इंजन से ट्रेन को चलता देखने के लिए आज भी शिमला के लोग और पर्यटक जुटते हैं.
शिमला-कालका नैरो गेज रेलवे लाइन (Shimla-Kalka Word Heritage Track) बनने के बाद साल 1903 में जब पहली बार रेल चली थी तो केसी 520 नाम के इसी इंजन ने बोगियों को खींचा था. अब इसमें इतना दम नहीं है कि यह कालका से शिमला तक के करीब सौ किलोमीटर के सफर को पूरा कर सके. इस इंजन का सफर अब मात्र शिमला से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कैथलीघाट रेलवे स्टेशन तक ही सीमित रखा गया है. 1967 में इसे बंद कर दिया था.