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भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन के लिए प्रदेश सरकार ने जारी की 28 करोड़ 63 लाख रुपए की किश्त

भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन न्यू ऑस्ट्रियन टनल मैथड (एनएटीएम) तकनीक पर बनेगी. रेल लाइन के लिए प्रदेश सरकार ने 28 करोड़ 63 लाख रुपए की किश्त की जारी है. इससे जमीन के अधिग्रहण का काम आगे बढ़ाया जाएगा. कोरोना संकट के कारण सरकार पहले यह पैसा जारी नहीं कर सकी थी, लेकिन अब हालात सुधरने के बाद सरकार ने अपने हिस्से का यह पैसा जारी किया है.

state government released fund for Bhanupalli-Bilaspur-Barry railline
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Published : Jan 11, 2021, 5:03 PM IST

शिमलाः सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन न्यू ऑस्ट्रियन टनल मैथड (एनएटीएम) तकनीक पर बनेगी. इस ब्रॉडगेज लाइन की चौड़ाई 1674 एमएम होगी. बिलासपुर के पंजाब से सटी सीमा पर छह टनल का कार्य चल रहा है. इनमें से दो टनल का 100 मीटर और चार का 50 मीटर तक काम हो चुका है.

वहीं, सभी टनल का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है. रेल विकास निगम के साइट इंजीनियर उपेंद्र परमार ने बताया कि प्रथम चरण में भानुपल्ली से बैरी तक 63.1 किमी लंबी रेललाइन का निर्माण किया जाएगा. जिले की सीमा पर दो टनल का काम चल रहा है और बीस किलोमीटर एरिया तक 7 टनल बनेंगे.

28 करोड़ 63 लाख रुपए की किश्त जारी

इस रेल लाइन के लिए प्रदेश सरकार ने 28 करोड़ 63 लाख रुपए की किश्त की जारी है. इससे जमीन के अधिग्रहण का काम आगे बढ़ाया जाएगा. कोरोना संकट के कारण सरकार पहले यह पैसा जारी नहीं कर सकी थी, लेकिन अब हालात सुधरने के बाद सरकार ने अपने हिस्से का यह पैसा जारी किया है. प्रदेश सरकार को इसमें अपना हिस्सा हर साल देना होता है.

भानुपल्ली-बैरी रेल लाइन का लेह तक सर्वेक्षण

भानुपल्ली-बैरी-बिलासपुर रेल लाइन का लेह तक सर्वेक्षण भी किया जा रहा है. इससे पहले अभी बिलासपुर तक रेल लाइन को पहुंचाया जाना है, जिसमें जमीन अधिग्रहण के लिए काफी ज्यादा धनराशि खर्च होनी है. बताया जाता है कि अभी जो पैसा राज्य सरकार ने जारी किया है उसमें जमीन के साथ-साथ मेजर सिविल वर्क के लिए भी पैसा खर्च होगा.

राज्य सरकार के लिए महंगा प्रोजेक्ट

इस रेल लाइन में कई सुरंगों का निर्माण किया जाना है. इसमें जमीन अधिग्रहण के लिए काफी ज्यादा पैसा लग रहा है, जिसमें राज्य सरकार की भी ज्यादा हिस्सेदारी है, जबकि दूसरे रेल प्रोजेक्टों में प्रदेश सरकार की उतनी हिस्सेदारी नहीं बनती. आर्थिक दृष्टि से राज्य सरकार के लिए यह महंगा प्रोजेक्ट है, जिसमें हिस्सेदारी को कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री से भी आग्रह किया है.

प्रदेश में रेल लाइन बनने से कनेक्टिविटी को बढ़ावा

यह रेल लाइन अगर लेह तक बनती है तो सामरिक दृष्टि से बेहद ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसपर तेजी के साथ काम चल रहा है, लेकिन अभी तक केन्द्र सरकार ने आगे पहुंचाने का निर्णय नहीं लिया है. सर्वेक्षण के बाद इसपर कोई निर्णय लिया जा सकेगा.

इस रेल लाइन के बन जाने से लेह तक इसमें रसद आसानी से और बिना किसी बाधा के पहुंचाई जा सकती है, जो चीन के साथ संवेदनशील बॉर्डर के लिए जरूरी है. इस रेल लाइन के बनने से प्रदेश में कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा मिलेगा.

ये भी पढ़ें: 18 नगर पंचायत और 24 नगर परिषदों में बीजेपी समर्थित प्रत्याशियों ने लहराया जीत का परचम: सुरेश कश्यप

शिमलाः सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेललाइन न्यू ऑस्ट्रियन टनल मैथड (एनएटीएम) तकनीक पर बनेगी. इस ब्रॉडगेज लाइन की चौड़ाई 1674 एमएम होगी. बिलासपुर के पंजाब से सटी सीमा पर छह टनल का कार्य चल रहा है. इनमें से दो टनल का 100 मीटर और चार का 50 मीटर तक काम हो चुका है.

वहीं, सभी टनल का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है. रेल विकास निगम के साइट इंजीनियर उपेंद्र परमार ने बताया कि प्रथम चरण में भानुपल्ली से बैरी तक 63.1 किमी लंबी रेललाइन का निर्माण किया जाएगा. जिले की सीमा पर दो टनल का काम चल रहा है और बीस किलोमीटर एरिया तक 7 टनल बनेंगे.

28 करोड़ 63 लाख रुपए की किश्त जारी

इस रेल लाइन के लिए प्रदेश सरकार ने 28 करोड़ 63 लाख रुपए की किश्त की जारी है. इससे जमीन के अधिग्रहण का काम आगे बढ़ाया जाएगा. कोरोना संकट के कारण सरकार पहले यह पैसा जारी नहीं कर सकी थी, लेकिन अब हालात सुधरने के बाद सरकार ने अपने हिस्से का यह पैसा जारी किया है. प्रदेश सरकार को इसमें अपना हिस्सा हर साल देना होता है.

भानुपल्ली-बैरी रेल लाइन का लेह तक सर्वेक्षण

भानुपल्ली-बैरी-बिलासपुर रेल लाइन का लेह तक सर्वेक्षण भी किया जा रहा है. इससे पहले अभी बिलासपुर तक रेल लाइन को पहुंचाया जाना है, जिसमें जमीन अधिग्रहण के लिए काफी ज्यादा धनराशि खर्च होनी है. बताया जाता है कि अभी जो पैसा राज्य सरकार ने जारी किया है उसमें जमीन के साथ-साथ मेजर सिविल वर्क के लिए भी पैसा खर्च होगा.

राज्य सरकार के लिए महंगा प्रोजेक्ट

इस रेल लाइन में कई सुरंगों का निर्माण किया जाना है. इसमें जमीन अधिग्रहण के लिए काफी ज्यादा पैसा लग रहा है, जिसमें राज्य सरकार की भी ज्यादा हिस्सेदारी है, जबकि दूसरे रेल प्रोजेक्टों में प्रदेश सरकार की उतनी हिस्सेदारी नहीं बनती. आर्थिक दृष्टि से राज्य सरकार के लिए यह महंगा प्रोजेक्ट है, जिसमें हिस्सेदारी को कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री से भी आग्रह किया है.

प्रदेश में रेल लाइन बनने से कनेक्टिविटी को बढ़ावा

यह रेल लाइन अगर लेह तक बनती है तो सामरिक दृष्टि से बेहद ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसपर तेजी के साथ काम चल रहा है, लेकिन अभी तक केन्द्र सरकार ने आगे पहुंचाने का निर्णय नहीं लिया है. सर्वेक्षण के बाद इसपर कोई निर्णय लिया जा सकेगा.

इस रेल लाइन के बन जाने से लेह तक इसमें रसद आसानी से और बिना किसी बाधा के पहुंचाई जा सकती है, जो चीन के साथ संवेदनशील बॉर्डर के लिए जरूरी है. इस रेल लाइन के बनने से प्रदेश में कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा मिलेगा.

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