शिमला: संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में जलवायु परिवर्तन पर अपना वक्तव्य दिया था. अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि भारत जलवायु परिवर्तन पर काम कर रहा है, हमने पर्यावरण की रक्षा के लिए कदम उठाए हैं. पीएम ने कहा हमने सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है.
वहीं, हिमाचल प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य है जहां पिछले 10 सालों से सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं हो रहा है. हिमाचल में पॉलीथिन से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को समझते हुए तत्कालीन भाजपा सरकार ने 2 अक्टूबर, 2009 को सिंगल यूज प्लास्टिक, पॉलीथिन पर बैन लगाने का फैसला लिया था.
शिमला के लोअर बाजार स्थित सब्जी मंडी में दुकान चलाने वाले मेहर चंद कहते हैं, ''जब सरकार ने पॉलीथिन के लिफाफों पर बैन लगाया था तो शुरुआत में थोड़ी दिक्कतें जरूर हुई, लेकिन अब लोगों में जागरूकता आई है. लोग पहले के मुकाबले अब अपना थैला लाते हैं और यहां से सब्जियां लेकर जाते हैं. सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगने से गंदगी में भी कमी आई है.''
हिमाचल प्रदेश में प्लास्टिक बैन को लेकर प्रभावी नियम और अच्छे विकल्पों का फायदा तो हुआ ही इस पहल के लिए प्रदेश सरकार को साल 2011 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला. तत्कालीन धूमल सरकार ने हिमाचल को प्रथम कार्बन न्यूट्रल राज्य बनाने का प्रयास किया था जिसके सार्थक परिणाम आए.
हिमाचल में प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए अभी भी प्रयास जारी हैं. 2009 में प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद प्रदेश सरकार ने एक बार फिर प्लास्टिक बैन करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए जून 2018 में हिमाचल सरकार ने कार्यक्रमों में इस्तेमाल होने वाली थर्मोकोल की प्लेटें और एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक की छोटी बोतलों पर भी रोक लगा दी. इससे पहले भी हिमाचल सरकार ने साल 2014 में नष्ट न होने वाले प्लास्टिक के कप, ग्लास और चम्मचों के इस्तेमाल पर भी पाबंदी लगाई थी.
हिमाचल में साल 2009 के बाद से ही सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने के प्रभावी कदम उठाए गए. इस फैसले के लिए राज्य सरकार ही नहीं बल्कि आम लोग भी तारीफ के काबिल हैं. प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद लोगों ने शुरुआती तौर पर आई दिक्कतों को दरकिनाकर करते हुए समय के साथ खुद को आगे बढ़ाया और कपड़े से बने थैलों को रोजमर्रा के उपयोग में लाया.
सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने का जितना श्रेय तत्कालीन हिमाचल सरकार को जाता है उससे ज्यादा श्रेय यहां के लोगों को भी जाता है. लोगों ने सरकार के इस फैसले का विरोध नहीं किया बल्कि इसका स्वागत करते हुए इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित की, जिसका सकारात्मक परिणाम अब दुनिया के सामने है.
हिमाचल के अलावा दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में भी प्लास्टिक बैन किया गया था, लेकिन इन राज्यों में सरकार को अपना फैसला वापिस लेना पड़ा. वहीं, हिमाचल में प्लास्टिक बैन के निर्णय को लेकर सरकार को शुरुआत से ही सफलता मिली. इस फैसले के बाद से अब तक हिमाचल में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए प्रयास लगातार जारी हैं. अगर भारत में प्लास्टिक पर पूरी तरह से पाबंदी लगानी है तो, देश के अन्य राज्यों को हिमाचल से सीख लेनी चाहिए.