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हर दिन हिमाचल में महिलाओं के साथ हो रहा अपराध, दिल दहलाने वाले आंकड़ों पर एक नजर - Shimla

हिमाचल प्रदेश में आए दिन महिलाएं, छात्राएं अपराध का शिकार हो रही हैं. महिलाओं के साथ अपराध का ग्राफ दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. जिस पर पुरी तरह अंकुश नहीं लग पा रहा है.

Special report of crime on women in Himachal Pradesh
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Published : Jul 13, 2019, 7:35 PM IST

Updated : Jul 13, 2019, 8:24 PM IST

शिमला: बलात्कार महिला हिंसा का सबसे भयावह रूप है, जो महिलाओं से उनका आत्म सम्मान और जिंदगी जीने का हक छीन लेता है. साल 2016 में गुड़िया रेप कांड के बाद जिस तरह लोगों में बलात्कार के खिलाफ उबाल आया था, मानों ऐसा लग रहा था कि अब देवभूमि हिमाचल में सबकुछ बदल जाएगा. लेकिन प्रदेश में महिलाओं के साथ हिंसा और बलात्कार की घटनाओं का सिलसिला बदस्तूर जारी है.

सत्ता में आने के बाद सीएम जयराम सरकार ने महिला अपराध पर लगाम कसने के लिए गुड़िया हेल्पलाइन शुरू की है. इसके शुरुआती परिणाम उत्साहजनक आए, लेकिन वर्तमान में महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं में कमी नहीं आ रही है. बल्कि महिलाओं से साथ अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं.

वीडियो.

प्रदेश में महिलाएं दुष्कर्म का सर्वाधिक शिकार होती हैं. महिलाओं के साथ दुष्कर्म के सर्वाधिक 284 मामले साल 2014 में सामने आए. छेड़छाड़ के भी सबसे अधिक 519 मामले साल 2014 में ही सामने आए थे. वहीं, अपहरण के सबसे अधिक मामले साल 2013 में दर्ज किए गए. इसी साल 266 महिलाओं के अपहरण की घटना भी दर्ज की गई.

वहीं, बलात्कार का केस देखा जाए तो साल 2012 में 183 बलात्कार के मामले सामने आए. साल 2013 में 250, 2014 में 284, 2015 में 244, साल 2016 में भी 244, साल 2017 में 236 और 2018 में 345 में दर्ज हो चुके हैं. अपहरण के मामले भी कम नहीं हो रहे. साल 2012 में अपहरण के 152 मामले, 2013 में 288, साल 2014 में 243, साल 2015 में 243, साल 2016 में 191, 2017 में 241 और 2018 में 346 मामले सामने आ चुके हैं. महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों में भी कमी नहीं आ रही है. ये आंकड़े दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे हैं.

ये भी पढ़ें:रंग लाई जयराम सरकार की मेहनत, हिमाचल के साथ अब तक 23 हजार करोड़ के MOU साइन

महिलाओं के प्रति अपराध को रोकने के लिए सख्त कानून भी बनाए गए हैं. समय-समय पर इन कानूनों में संशोधन की किए गए हैं, लेकिन भी अपराध कम होने के बजाए बढ़ रहे हैं. महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ने का एक मुख्य कारण हमारा समाज भी है. सामाजिक और आर्थिक असमानता भी एक बड़ा कारण है. बाहरी राज्यों से आने वाले असामाजिक तत्व भी देवभूमि को शर्मसार कर रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि इन अपराधों को रोकने के लिए पुलिस के साथ-साथ समाज को और हम सबको अपनी भूमिका निभानी होगी.

ये भी पढ़ें: नदिया किनारे, किसके सहारे : ETV भारत की खास मुहिम से जुड़े 'जल पुरुष' राजेंद्र सिंह

पुलिस मुख्यालय में लॉ एंड ऑर्डर के एसपी डॉ. खुशहाल सिंह के अनुसार महिला अपराधों से जुड़ी शिकायतों की मॉनिटरिंग भी सीएम ऑफिस कर रहा है. पुलिस 48 घंटों के भीतर एक्शन टेकन रिपोर्ट सरकार को सौंपती है.

शिमला: बलात्कार महिला हिंसा का सबसे भयावह रूप है, जो महिलाओं से उनका आत्म सम्मान और जिंदगी जीने का हक छीन लेता है. साल 2016 में गुड़िया रेप कांड के बाद जिस तरह लोगों में बलात्कार के खिलाफ उबाल आया था, मानों ऐसा लग रहा था कि अब देवभूमि हिमाचल में सबकुछ बदल जाएगा. लेकिन प्रदेश में महिलाओं के साथ हिंसा और बलात्कार की घटनाओं का सिलसिला बदस्तूर जारी है.

सत्ता में आने के बाद सीएम जयराम सरकार ने महिला अपराध पर लगाम कसने के लिए गुड़िया हेल्पलाइन शुरू की है. इसके शुरुआती परिणाम उत्साहजनक आए, लेकिन वर्तमान में महिलाओं के साथ हो रही घटनाओं में कमी नहीं आ रही है. बल्कि महिलाओं से साथ अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं.

वीडियो.

प्रदेश में महिलाएं दुष्कर्म का सर्वाधिक शिकार होती हैं. महिलाओं के साथ दुष्कर्म के सर्वाधिक 284 मामले साल 2014 में सामने आए. छेड़छाड़ के भी सबसे अधिक 519 मामले साल 2014 में ही सामने आए थे. वहीं, अपहरण के सबसे अधिक मामले साल 2013 में दर्ज किए गए. इसी साल 266 महिलाओं के अपहरण की घटना भी दर्ज की गई.

वहीं, बलात्कार का केस देखा जाए तो साल 2012 में 183 बलात्कार के मामले सामने आए. साल 2013 में 250, 2014 में 284, 2015 में 244, साल 2016 में भी 244, साल 2017 में 236 और 2018 में 345 में दर्ज हो चुके हैं. अपहरण के मामले भी कम नहीं हो रहे. साल 2012 में अपहरण के 152 मामले, 2013 में 288, साल 2014 में 243, साल 2015 में 243, साल 2016 में 191, 2017 में 241 और 2018 में 346 मामले सामने आ चुके हैं. महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों में भी कमी नहीं आ रही है. ये आंकड़े दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे हैं.

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महिलाओं के प्रति अपराध को रोकने के लिए सख्त कानून भी बनाए गए हैं. समय-समय पर इन कानूनों में संशोधन की किए गए हैं, लेकिन भी अपराध कम होने के बजाए बढ़ रहे हैं. महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ने का एक मुख्य कारण हमारा समाज भी है. सामाजिक और आर्थिक असमानता भी एक बड़ा कारण है. बाहरी राज्यों से आने वाले असामाजिक तत्व भी देवभूमि को शर्मसार कर रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि इन अपराधों को रोकने के लिए पुलिस के साथ-साथ समाज को और हम सबको अपनी भूमिका निभानी होगी.

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पुलिस मुख्यालय में लॉ एंड ऑर्डर के एसपी डॉ. खुशहाल सिंह के अनुसार महिला अपराधों से जुड़ी शिकायतों की मॉनिटरिंग भी सीएम ऑफिस कर रहा है. पुलिस 48 घंटों के भीतर एक्शन टेकन रिपोर्ट सरकार को सौंपती है.

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hp_sml_crime rate in himachal_7205854


Conclusion:
Last Updated : Jul 13, 2019, 8:24 PM IST
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