शिमला: एसजेवीएन हिमाचल प्रदेश या प्रदेश से बाहर कहीं भी ऐसे स्थानों पर प्रोजेक्ट नहीं लगाएगा जहां स्थानीय जनता की सहमति नहीं हो. यह बात शुक्रवार को एसजेवीएन के चेयरमैन नंदलाल शर्मा ने शिमला में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में एसजेवीएन के हिमाचल प्रदेश में तीन प्रोजेक्ट के जरिए बिजली उत्पन्न कर रहे हैं. इनमें 1500 मेगावाट का नथापा झाकड़ी, 412 मेगावाट का रामपुर हाइड्रो पावर स्टेशन और 1.3 मेगावाट का एनजेएचपीएस सोलर प्लांट है.
नंदलाला शर्मा ने कहा कि यह एसजेवीएन हिमाचल सरकार और केंद्र सरकार का संयुक्त उपक्रम है स्थानीय लोगों की सहमति से ही पावर प्रोजेक्ट लगाता है. उन्होंने इस बात को जरूर माना कि कुछ लोग योजनाबद्ध तरीके से प्रोजेक्ट निर्माण में अड़चन पैदा करते हैं, हालांकि उनका स्थानीय लोगों के हितों का कोई ख्याल नहीं होता. हिमाचल में एसजेवीएन दो और प्रोजेक्ट का निर्माण कर रहा है इनमें 210 मेगावाट का लुहरी स्टेज-1 और 66 मेगावाट क्षमता का धौलासिद्ध प्रोजेक्ट शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि कंपनी ने सुन्नी डैम प्रोजेक्ट की जीपीआर भी तैयार कर दी है और जल्द ही इस परियोजना के निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा. इसके अलावा एसजेवीएन हिमाचल में 8 अन्य प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है इन प्रोजेक्ट के सर्वे किए जा रहे हैं. और अभी इन्वेस्टिगेशन स्टेज पर हैं. इन 8 प्रोजेक्ट में 172 मेगावाट का लुहरी स्टेज-2, 804 मेगावाट का जंगी थोपन, 175 मेगावाट का बारदंग, 232 मेगावाट का पूर्थी प्रोजेक्ट, 430 मेगावाट का रियोली दुगली प्रोजेक्ट, 104 मेगावाट का तांदी, 130 मेगावाट का रासिल प्रोजेक्ट, 267 मेगावाट का साची खास प्रोजेक्ट शामिल हैं.
एसजेवीएन की वार्षिक रिपोर्ट मीडिया के समक्ष रखते हुए नंद लाल शर्मा ने कहा कि जिम्मेदार कॉरपोरेट संगठन होने के नाते कंपनी ने अपनी परियोजना क्षेत्र के आसपास जन समुदाय की सहायता की भी कोशिश की है उन्होंने कहा कि कंपनी ने सीएसआर के तहत स्वास्थ्य और सफाई, शिक्षा और कौशल विकास, बुनियादी ढांचागत और सामुदायिक विकास, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सहायता और संस्कृति, धरोहर और खेलों का संरक्षण एवं बढ़ावा देने जैसे कार्य किए हैं.
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंंने कहा कि प्रोजेक्ट निर्माण से प्रकृति को कम से कम नुकसान हो इसके लिए अत्याधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जा रहा है. पहले प्रोजेक्ट निर्माण और सुरंग निर्माण के समय ब्लास्टिंग और रॉक कटिंग मशीनों का प्रयोग किया जाता था. जिससे आसपास काफी नुकसान होता था, लेकिन अब एसजेवीएन इन सब कार्यों के लिए अत्याधुनिक मशीनों का प्रयोग कर रही है. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रोजेक्ट के निर्माण से पहले प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार और अन्य अनिवार्य विभागों की मंजूरी ली जाती है. ये विभाग उस जमीन का अध्ययन करने के बाद भी जल विद्युत प्रोजेक्ट लगाने की अनुमति देते हैं.
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