शिमला: स्टेट इलेक्शन कमिश्नर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाई कोर्ट को अंतरिम आदेश जारी करते हुए जल्द नगर निगम शिमला चुनाव को लेकर स्टेट इलेक्शन कमीशन (Shimla Municipal Corporation Election) की याचिका पर निर्णय लेने के आदेश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में निर्वाचन आयोग ने हाईकोर्ट द्वारा कुछ वार्डों के पुनः सीमांकन पर लगाई रोक को चुनौती दी है. सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि मामला हाईकोर्ट में 16 अगस्त को सुनवाई के लिए लगा था और हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से आग्रह किया कि मामले पर कानून के अनुसार जल्द से जल्द सुनवाई करे. सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 26 सितम्बर को रखी गई है.
दरअसल नगर निगम शिमला के चुनाव (Supreme Court order to Himachal High Court) से संबंधित मामले पर इलेक्शन कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जानकारी के अनुसार अदालत को बताया कि नगर निगम चुनाव पर रोक लगाने वाले आदेशों को सर्वोच्च अदालत के समक्ष चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने निगम चुनाव के लिए पांच वार्डों के पुन: सीमांकन वाले आदेशों पर रोक लगा रखी है. चुनाव आयोग ने इस रोक को हटाने की गुहार लगाई थी. अदालत ने इस रोक को हटाने से मना कर दिया था.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, मंडलीय आयुक्त, उपायुक्त शिमला और राज्य चुनाव आयोग से जवाब-तलब किया था. याचिकाकर्ता द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया है कि नाभा, फागली, टुटीकंडी, समरहिल और बालूगंज वार्डों का पुनर्सीमांकन मनमाने तरीके से किया है. फागली और टुटीकंडी वार्डों के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए नाभा वार्ड के क्षेत्र को कम कर दिया है. पहले की अपेक्षा अब नाभा वार्ड आधा रह गया है. फागली वार्ड को इतना बड़ा कर दिया है कि नगर निगम के सभी वार्डों की अपेक्षा फागली वार्ड का क्षेत्र अधिक हो गया है. इसके अलावा बालूगंज वार्ड का वह क्षेत्र भी समरहिल में मिला दिया जोकि बालूगंज के नाम से ही जाना जाता है. याचिकाकर्ता ने याचिका में आरोप लगाया था कि इन वार्डों का पुन: सीमांकन राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से किया गया है.
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