शिमला: सेब का सीजन शुरू होते ही बागवानों ने भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शिमला सेब बाहुल जिला परिषद सदस्यों (district council members protest against jairam government) ने बागवानों की समस्याओं को लेकर सरकार के खिलाफ उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार पर बागवानों की अनदेखी के आरोप लगाए. जिला परिषद सदस्यों ने कहा कि पहले ही ओलावृष्टि से बागवान परेशान हैं. वहीं, कार्टन और खाद के बढ़े हुए दाम और कीटनाशक पर सब्सिडी बंद होने से बागवानों की परेशानी और बढ़ गई है.
शिमला जिला परिषद सदस्य कौशल मुगटा (Shimla district council member Kaushal Mugata) ने कहा कि आज केवल जिला परिषद के सदस्यों ने सरकार को नींद से जगाने के लिए सांकेतिक प्रदर्शन (Protest outside Shimla Deputy Commissioner office) किया, लेकीन यदि सरकार बागवानों की समस्या की तरफ ध्यान नहीं देती है तो बागवानी मंत्री का सचिवालय से बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा. भाजपा सरकार के शासन में 2020 से फफूंदीनाशक में सब्सिडी बंद की गई है. सेब पैकिंग सामग्री में जीएसटी लगाया गया, जिसका बागवान विरोध कर रहे हैं. सेब पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की बागवान मांग (Demand to increase import duty on apple) कर रहे हैं.
कौशल मुगटा ने कहा कि जब से भाजपा सरकार सत्ता में आई है बागवानों की अनदेखी (Kaushal Mugata Attacks on jairam Government) की जा रही है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अपने आप को मिस्त्री का बेटा कहते हैं, लेकिन बागवानों की कमर तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन काल में कीटनाशक पर सब्सिडी दी जा रही थी, लेकिन भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही सब्सिडी बंद कर दी और इस बार कार्टन पर जीएसटी भी बढ़ा दी है.
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भट्टाकुफर फल मंडी को बंद कर दिया गया है. पहले क्रेट में सेब बेचने की घोषण की गई थी. उन्होंने कहा कि बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर (Himachal Horticulture Minister Mahendra Singh Thaku) ने कभी भी बागवानों की सुध तक नहीं ली है. जबकि सेब का हिमाचल की आर्थिकी में बहुत बड़ा योगदान रहता है, लेकिन भाजपा सरकार बागवानों की परेशानी को दरकिनार कर रही है.
जिला परिषद सदस्यों ने साफ तौर पर सरकार को चेतावानी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने समय पर सेब बागवानों की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो बागवानों को लेकर उग्र आंदोलन शुरू करने से भी पीछे नहीं हटेंगे, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.