शिमला: कई दिनों से धधक रहे हिमाचल के जंगलों की आग बुझाने में सरकार तो लाचार और नाकाम रही, लेकिन मंगलवार को इंद्रदेव की कृपा से बहुमूल्य वन संपदा आग से बच गई. सोमवार को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भारी ओलावृष्टि और बारिश से जंगलों की आग बुझ गई. शिमला के (Forests fire extinguished by rain water) टूटीकंडी क्षेत्र में आग का भयावह तांडव रुक गया. शिमला व आसपास के जंगलों में लगी आग पूरी तरह से बुझ गई. इस तरह बहुमूल्य वन संपदा की रक्षा हुई.
पिछले कई दिनों से हिमाचल प्रदेश के लाखों हेक्टेयर वन क्षेत्र में (Himachal forest fire) आग से बहुत नुकसान हो रहा था. दुर्गम क्षेत्रों की आग बुझाने में वन विभाग और फायर ब्रिगेड के कर्मचारी भी खुद को असहाय महसूस कर रहे थे. ऐसे में इंद्रदेव ने कृपा की और हिमाचल के जंगल आगे और जलने से बच गए. हालांकि सरकार हर साल वनों को आग से बचाने के लिए बड़े-बड़े दावे करती है. पिछले कई समय से हेलीकॉप्टर के जरिए पानी की बौछारें करके आग बुझाने के दावे हवाई साबित हुए हैं. आखिर में प्रकृति ही काम आई और बारिश से जंगलों की आग बुझ सकी.
उल्लेखनीय है कि हर साल वनों को आग से बचाने के लिए योजनाएं तो बहुत बनाई जाती हैं लेकिन उन पर अमल नहीं होता है. इस बार भी लगभग हर जिले में जंगलों में आग लगी. पिछले एक महीने में प्रदेश के जंगलों में 877 जगह पर आग लगने की घटनाएं सामने आई है. अब तक कुल मिलाकर 6961.75 हेक्टेयर क्षेत्र आग की चपेट में आया है. जिसमें 5672.77 हेक्टेयर प्राकृतिक वन भूमि और 1246.98 हेक्टेयर प्लांटेशन वाला क्षेत्र शामिल है. आग लगने से कई वन्य जीव भी काल का ग्रास बन गए हैं. इस सीजन में यानी एक महीने के अंदर 1 करोड़ 84 लाख 38 हजार 588 रुपए का नुकसान हो चुका है.
प्रदेश में लंबे समय से सूखे की स्थिति होने के कारण (Cases of forest fire in Himachal) इस बार जंगलों की आग अनियंत्रित हो गई थी. जंगलों में आग लगने के सबसे अधिक 215 मामले धर्मशाला डिवीजन में सामने आई हैं. रामपुर सर्कल में 135 मामले, शिमला में 112 मामले, चंबा में 142 मामले, मंडी में 115 मामले, नाहन में 46 मामले, हमीरपुर में 29 मामले, बिलासपुर में 25 मामले, कुल्लू में 19 मामले, वाइल्ड लाइफ एरिया धर्मशाला में 2 मामले, वाइल्ड लाइफ एरिया शिमला में 3 मामले और जीएचएनपी शमशी में आग लगने के 17 मामले सामने आए हैं.
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