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नोटबंदी के 5 साल: मजबूती से सुनामी झेल गया था हिमाचल

किसी भी राज्य के लिए मजबूत बैंकिंग नेटवर्किंग कितनी जरूरी है, इसका अंदाजा नोटबंदी के समय हुआ था. हिमाचल में प्रति व्यक्ति बैंक शाखा देश में सबसे अधिक है. इसका लाभ नोटबंदी के समय हुआ था. यहां न तो बैंकों के सामने लंबी लाइंस लगी और न ही कोई अफरा- तफरी की हालत बनी. यहां एक बार अतीत में झांक कर उस समय की परिस्थितियों पर नजर डालते हैं.

नोटबंदी के 5 साल
5 years of demonetisation
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Published : Nov 8, 2021, 4:03 PM IST

शिमला: वर्ष 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को रात 8 बजे देश के नाम संबोधन में नोटबंदी का ऐलान क्या किया कि तमाम देशवासी भौचक्के रह गए. सवा सौ करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में रात के समय आए इस ऐतिहासिक बदलाव से एक साथ कई सवाल गूंज गए.पांच सौ व एक हजार रुपए के नोट चलन से बाहर किए जाने के कारण देश में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया. रात ही में एटीएम के आगे लोगों की कतार लग गई. समूचे देश में बहुत सी आबादी इस फैसले से बुरी तरह से परेशानी में घिर गई, लेकिन सत्तर लाख की आबादी वाला छोटा पहाड़ी राज्य नोटबंदी के इस तूफान को झेलने में काफी हद तक कामयाब रहा. इसके पीछे हिमाचल के छोटे राज्य होने के साथ-साथ मजबूत बैंकिंग नेटवर्क का अहम रोल रहा.

हिमाचल के बड़े शहरों में बेशक नोटबंदी के कारण एटीएम के आगे कतारें दिखी हों, लेकिन किसी तरह की अफरा-तफरी यहां देखने में नहीं आई. आम जनता ने भी नोट बदलवाने के लिए संयम का परिचय दिया.साथ ही बैकिंग व पोस्टल डिपार्टमेंट के कर्मचारियों ने भी जनता की सहूलियत का ध्यान रखा.नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का हिमाचल के तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह ने भी स्वागत किया था. वीरभद्र सिंह ने तब कहा था कि इससे काले धन के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी.


इस तरह काम आया मजबूत बैकिंग नेटवर्क: हिमाचल प्रदेश में बैकिंग नेटवर्क काफी मजबूत है. प्रदेश में 2061 बैंक शाखाएं हैं और उनका विस्तार ग्रामीण इलाकों तक में है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में सैंकड़ों डाकघरों ने भी नोट बदलने और जनता को राहत देने के लिए सराहनीय कार्य किया. प्रदेश में डेढ़ हजार गांवों में अभी बैकिंग सुविधा दिया जाना बाकी है. नोटबंदी के बाद शिमला व प्रदेश के शहरी इलाकों में बड़ी संख्या में बैंकों के कारण भी इसका विपरीत प्रभाव खास देखने में नहीं आया. वहीं, जनजातीय इलाकों को राहत देने के लिए सरकार ने हेलीकॉप्टर के जरिए 29 करोड़ रुपए से अधिक की करंसी पहुंचाई. जनजातीय इलाकों में सौ-सौ रुपए के अलावा दो हजार रुपए की नई करंसी पहुंचाई गई. प्रदेश में 1800 से अधिक एटीएम स्थापित हैं. भारत में 11 हजार लोगों पर एक बैंक की सुविधा है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में 3300 लोगों पर एक बैंक उपलब्ध है. यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश देश के अन्य राज्यों के मुकाबले आसानी से नोटबंदी की मार झेल गया.

हिमाचल के बैंकों में जमा हुए थे 7000 करोड़ रुपए: नोटबंदी का फैसला लिए जाने के बाद की अवधि में हिमाचल प्रदेश में बैंकों में 500 व 1000 रुपए के नोटों के तौर पर 7000 करोड़ रुपए जमा हुए थे. वहीं, नोटबंदी के बाद की अवधि में हिमाचल को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से 2100 करोड़ रुपए जारी किए गए थे.

राज्य सरकार ने भी किए थे कई इंतजाम: नोटबंदी के दौर में आम जनता को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने भी कई कदम उठाए थे. लोगों को पुरानी करंसी से टैक्स जमा करने की छूट के अलावा सरकारी बसों में सफर करने के लिए टिकट के पैसे 500 व 1000 रुपए के नोटों से अदा करने की सहूलियत दी गई. हिमाचल में 24 नवंबर 2016 तक सरकारी बसों ने किराए के लिए पुरानी करंसी स्वीकार की. शुरुआत में जरूर लोगों को कुछ दिक्कत झेलनी पड़ी, लेकिन समय बीतने के साथ ही हिमाचल में स्थिति सामान्य हो गई थी. अलबत्ता देश के बड़े राज्यों व महानगरों में लंबे समय तक नोटबंदी की मार से परेशानी की खबरें आती रहीं.

शादियों की खरीदारी में आई थी दिक्कत: हिमाचल में नवंबर महीने में शादियों वाले परिवारों में जरूर दिक्कत आई थी, लेकिन इससे अफरा-तफरी का माहौल नहीं बना. आम जनता ने भी नोट बदलवाने के लिए संयम से काम लेकर बैंकों पर अतिरिक्त बोझ नहीं डाला. ग्रामीण इलाकों में श्रमिकों ने पुरानी करंसी के नोट मजदूरी के रूप में ले लिए. बाद में उन्हें बैंकों में बदलवाया गया. हिमाचल एक छोटा राज्य है और यहां ग्रामीण, कस्बाई व छोटे शहरों के लोग एक-दूसरे से परिचित हैं, लिहाजा मुसीबत में फंसे लोगों की एक-दूसरे ने मदद भी की.

कूड़े के ढेर में भी मिले थे फटे हुए नोट: नोटबंदी के बाद काला धन रखने वालों को जरूर परेशानी हुई थी. अघोषित धन को ठिकाने लगाने के लिए कई लोगों ने नोट जला दिए तो कुछ ने नोटों को फाड़ कर कूड़े में फेक दिया. शिमला से एक बैंक से करोड़ों रुपए की पुरानी करंसी एक बैंक कर्मी ने ही गायब कर दी थी.

ये भी पढ़ें :कैबिनेट का फैसला: हिमाचल में अब सभी बच्चे जाएंगे स्कूल, एक क्लिक पर पढ़ें सारी जानकारी

शिमला: वर्ष 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को रात 8 बजे देश के नाम संबोधन में नोटबंदी का ऐलान क्या किया कि तमाम देशवासी भौचक्के रह गए. सवा सौ करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में रात के समय आए इस ऐतिहासिक बदलाव से एक साथ कई सवाल गूंज गए.पांच सौ व एक हजार रुपए के नोट चलन से बाहर किए जाने के कारण देश में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया. रात ही में एटीएम के आगे लोगों की कतार लग गई. समूचे देश में बहुत सी आबादी इस फैसले से बुरी तरह से परेशानी में घिर गई, लेकिन सत्तर लाख की आबादी वाला छोटा पहाड़ी राज्य नोटबंदी के इस तूफान को झेलने में काफी हद तक कामयाब रहा. इसके पीछे हिमाचल के छोटे राज्य होने के साथ-साथ मजबूत बैंकिंग नेटवर्क का अहम रोल रहा.

हिमाचल के बड़े शहरों में बेशक नोटबंदी के कारण एटीएम के आगे कतारें दिखी हों, लेकिन किसी तरह की अफरा-तफरी यहां देखने में नहीं आई. आम जनता ने भी नोट बदलवाने के लिए संयम का परिचय दिया.साथ ही बैकिंग व पोस्टल डिपार्टमेंट के कर्मचारियों ने भी जनता की सहूलियत का ध्यान रखा.नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले का हिमाचल के तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह ने भी स्वागत किया था. वीरभद्र सिंह ने तब कहा था कि इससे काले धन के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी.


इस तरह काम आया मजबूत बैकिंग नेटवर्क: हिमाचल प्रदेश में बैकिंग नेटवर्क काफी मजबूत है. प्रदेश में 2061 बैंक शाखाएं हैं और उनका विस्तार ग्रामीण इलाकों तक में है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में सैंकड़ों डाकघरों ने भी नोट बदलने और जनता को राहत देने के लिए सराहनीय कार्य किया. प्रदेश में डेढ़ हजार गांवों में अभी बैकिंग सुविधा दिया जाना बाकी है. नोटबंदी के बाद शिमला व प्रदेश के शहरी इलाकों में बड़ी संख्या में बैंकों के कारण भी इसका विपरीत प्रभाव खास देखने में नहीं आया. वहीं, जनजातीय इलाकों को राहत देने के लिए सरकार ने हेलीकॉप्टर के जरिए 29 करोड़ रुपए से अधिक की करंसी पहुंचाई. जनजातीय इलाकों में सौ-सौ रुपए के अलावा दो हजार रुपए की नई करंसी पहुंचाई गई. प्रदेश में 1800 से अधिक एटीएम स्थापित हैं. भारत में 11 हजार लोगों पर एक बैंक की सुविधा है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में 3300 लोगों पर एक बैंक उपलब्ध है. यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश देश के अन्य राज्यों के मुकाबले आसानी से नोटबंदी की मार झेल गया.

हिमाचल के बैंकों में जमा हुए थे 7000 करोड़ रुपए: नोटबंदी का फैसला लिए जाने के बाद की अवधि में हिमाचल प्रदेश में बैंकों में 500 व 1000 रुपए के नोटों के तौर पर 7000 करोड़ रुपए जमा हुए थे. वहीं, नोटबंदी के बाद की अवधि में हिमाचल को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से 2100 करोड़ रुपए जारी किए गए थे.

राज्य सरकार ने भी किए थे कई इंतजाम: नोटबंदी के दौर में आम जनता को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने भी कई कदम उठाए थे. लोगों को पुरानी करंसी से टैक्स जमा करने की छूट के अलावा सरकारी बसों में सफर करने के लिए टिकट के पैसे 500 व 1000 रुपए के नोटों से अदा करने की सहूलियत दी गई. हिमाचल में 24 नवंबर 2016 तक सरकारी बसों ने किराए के लिए पुरानी करंसी स्वीकार की. शुरुआत में जरूर लोगों को कुछ दिक्कत झेलनी पड़ी, लेकिन समय बीतने के साथ ही हिमाचल में स्थिति सामान्य हो गई थी. अलबत्ता देश के बड़े राज्यों व महानगरों में लंबे समय तक नोटबंदी की मार से परेशानी की खबरें आती रहीं.

शादियों की खरीदारी में आई थी दिक्कत: हिमाचल में नवंबर महीने में शादियों वाले परिवारों में जरूर दिक्कत आई थी, लेकिन इससे अफरा-तफरी का माहौल नहीं बना. आम जनता ने भी नोट बदलवाने के लिए संयम से काम लेकर बैंकों पर अतिरिक्त बोझ नहीं डाला. ग्रामीण इलाकों में श्रमिकों ने पुरानी करंसी के नोट मजदूरी के रूप में ले लिए. बाद में उन्हें बैंकों में बदलवाया गया. हिमाचल एक छोटा राज्य है और यहां ग्रामीण, कस्बाई व छोटे शहरों के लोग एक-दूसरे से परिचित हैं, लिहाजा मुसीबत में फंसे लोगों की एक-दूसरे ने मदद भी की.

कूड़े के ढेर में भी मिले थे फटे हुए नोट: नोटबंदी के बाद काला धन रखने वालों को जरूर परेशानी हुई थी. अघोषित धन को ठिकाने लगाने के लिए कई लोगों ने नोट जला दिए तो कुछ ने नोटों को फाड़ कर कूड़े में फेक दिया. शिमला से एक बैंक से करोड़ों रुपए की पुरानी करंसी एक बैंक कर्मी ने ही गायब कर दी थी.

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