शिमला: जयराम सरकार ने बेशक नए वेतन आयोग सहित कर्मचारियों की कई मांगें स्वीकार कर ली है. लेकिन हिमाचल का सबसे बड़ा वोट बैंक ओपीएस की मांग पर (OPS demand in Himachal Pradesh) अड़ा हुआ है. ओपीएस बहाल करने की मांग को लेकर हिमाचल के न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के सदस्य प्रदेश भर में क्रमिक अनशन कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि बाकी सभी मांगे ओपीएस के आगे कोई खास महत्व नहीं रखती.
कर्मचारियों का कहना है (NPS karamchari Sangh Himachal) कि जब राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकार इस दिशा में कदम बढ़ा सकती है तो हिमाचल सरकार को क्या परेशानी है. कर्मचारियों का कहना है कि सरकार इस तथ्य को लेकर गुमराह कर रही है कि ओपीएस की बहाली संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने में प्रदेश सरकार के खजाने पर कोई खास आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा.
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने सत्ता में आते ही 10 दिन के भीतर ओपीएस को बहाल करने (OPS demand in Himachal Pradesh) का वादा और दावा किया है. यहां तक कि क्रमिक अनशन पर बैठे कर्मचारियों को मिलने के लिए कांग्रेस नेता सुखविंदर सुखू और विक्रमादित्य सिंह भी पहुंचे थे. कांग्रेस नेताओं ने उन्हें भरोसा दिलाया कि पार्टी उनके साथ है. वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि ओपीएस की बहाली को लेकर कांग्रेस कर्मचारी वर्ग को गुमराह कर रही है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार जिन राज्यों ने उक्त योजना को बहाल करने का ऐलान किया है वह भी अब उलझन में है. यहां तक की राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री केंद्रीय गृह मंत्री से ओपीएस को लेकर मदद मांग रहे हैं.
हिमाचल में सरकार ने बेशक ओपीएस के मामले में हाई पावर कमेटी का गठन किया है. लेकिन यह कमेटी सिर्फ बैठकों तक सीमित है. क्रमिक अनशन पर बैठे एनपीएस संघ के पदाधिकारी एमके कौशल ने कहा कि जो दल सत्ता में होता है उसी से उम्मीद होती है. उन्होंने कहा कि देश में कई राज्यों में (demands of employees in himachal) ओपीएस को बहाल करने के लिए कदम उठाए हैं. अब उम्मीद है कि हिमाचल सरकार भी इस पक्ष में कदम उठाएगी. एमके कौशल ने कहा कि सरकार ने कमेटी जरूर बनाई है लेकिन इस कमेटी से कोई खास उम्मीद नहीं है.
एक बैठक इस कमेटी की हुई थी जिसके बाद सरकार से एनपीएस से एक प्रतिनिधि को इस कमेटी में शामिल करने की मांग रखी थी. सरकार ने यह मांग भी पूरी की. लेकिन यह कमेटी क्या कर रही है इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती. उन्होंने कहा कि सरकार आर्थिक बोझ की बात कहती है, लेकिन इस मुद्दे पर कर्मचारियों से कोई वार्ता नहीं की जाती. उन्होंने कहा कि ओपीएस लागू करने से कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा. वहीं, सचिवालय कर्मचारी संघ के महासचिव राजेंद्र का कहना है कि सरकार कर्मचारियों की छोटी-मोटी मांगों को भी सही तरीके से पूरा नहीं कर पा रही है. इन विषयों पर भी कर्मचारियों को गुमराह किया जा रहा है. जो भी हो कर्मचारियों की1 मुख्य मांग तो ओपीएस ही है. जब तक यह मांग पूरी नहीं होती कर्मचारियों के आंदोलन जारी रहेंगे.
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