शिमला: मंगलवार को विधानसभा मानसून सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के विधायक राजेन्द्र राणा ने नियम 67 के तहत प्रदेश में बेनामी संपत्तियों पर चर्चा की मांग की, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार द्वारा इसकी अनुमति नहीं दी गई.
जिसके चलते विपक्ष ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी और सदन से वॉकआउट कर बाहर आ गए. साथ ही सरकार पर बेनामी संपत्तियों में मंत्री के बचाने के आरोप लगाए हैं और प्रदेश में हुए बेनामी सौदों की ईडी व सीबीआई से जांच करवाने की मांग की है.
विधायक राजेन्द्र राणा ने कहा कि नियम 67 तहत प्रदेश में बेनामी संपत्ति पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था, लेकिन सरकार बेनामी सौदों पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है, जबकि विपक्ष के पास मंत्री के बेनामी सौदों के सबूत भी है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में लेंड सीलिंग एक्ट है और 315 कनाल जमीन ही एक व्यक्ति खरीद सकता है, लेकिन मंत्री ने 12 सौ कनाल जमीन 2018 में फतेपुर में खरीदी है. साथ ही परिवार व रिश्तेदारों के नाम 515 कनाल जमीन खरीदी गई है.
राजेन्द्र राणा ने कहा कि 19 बीघा जमीन धर्मशाला में एचपीसीए स्टेडियम के पास 75 लाख रुपये की रजिस्ट्री की गई है, जबकि जमीन के भाव बहुत ज्यादा है और इसमें टैक्स की चोरी की गई है. साथ ही तपोवन में भी बेनामी जमीन का सौदा हुआ है और सिरमौर के चहल में सैकड़ों बीघा जमीन खरीदी जा रही है. उन्होंने कहा कि मंत्री दिल्ली क्यों तलब हुए और उसके बाद क्या एक्शन हुआ. इसको लेकर विपक्ष सदन में चर्चा की मांग कर रहा था, लेकिन बेनामी सौदों की चर्चा नहीं कर रही सरकार.
विधायक राजेन्द्र राणा ने कहा कि बेनामी सौदों की चर्चा ना करके सरकार कुछ लोगों को बचा रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने सत्ता में आने से पहले बेनामी सौदों की जांच करने की बात कही थी और अब सरकार के तीन साल में कितने मंत्रियों ने हिमाचल में जमीन खरीदी है. उसका ब्यौरा सदन में रखे और इस मामले की जांच सीबीआई व ईडी से करवाआ जाए.
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