शिमलाः हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. दस दिन तक चले इस सत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष में काफी गहमा गहमी देखने को मिली. कोरोना काल मे आयोजित इस सत्र को विपक्ष ने ऐतिहासिक करार दिया और सत्र के दौरान हर जनहित के मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने में कामयाब होने की बात कही.
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि दस दिन के इस सत्र में विपक्ष ने सभी जनता से जुड़े मुद्दों को सदन में रखने की कोशिश की गई. हालांकि सरकार की ओर से विपक्ष को रोकने का प्रयास भी किया गया.
पहली बार हुई नियम 67 के तहत चर्चा
उन्होंने कहा कि हिमाचल के इतिहास में ये पहली बार हुआ कि नियम 67 के तहत चर्चा हुई है. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि नियम 67 के तहत तब चर्चा होती है जब सरकार फेल हो जाती है. मौजूदा प्रदेश सरकार कोरोना से निपटने में फेल हो गई है. कोरोना काल मे सफर मंहगा कर दिया गया. लोगों को राशन से महरूम किया गया और बिजली मंहगी कर दी गई. स्वास्थ्य विभाग में घोटाले हुए हैं. इन सभी मुद्दों को सदन में उठाया गया और सरकार से जवाब तलब किया गया. सरकार जवाब देने से बचती नजर आई.
रोष जताने के लिए किए वॉकआउट
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि विपक्ष ने कई मुद्दों पर सदन से वॉकआउट भी किया. वॉकआउट लोकतंत्र का संतभ है. जब विपक्ष को लगा कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही तो इसके लिए अपना रोष प्रकट किया गया. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने सभी चर्चाओं में हिस्सा लिया है. सरकार ने श्रमिक विरोधी बिल लाया, उसका विरोध किया गया है.
पर्यटन कारोबारियों को राहत देने की उठाई मांग
वहीं, विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विपक्ष की मांग थी कि सत्र बुलाया जाए और सत्र दस दिन तक चला और विपक्ष ने कोविड-19 के साथ ही अन्य मुद्दों को सदन में उठाया. शिमला मटौर फोरलेन निर्माण, पुलिस जवानों और सरकारी कर्मियों के वेतन देने सम्बंधित मामले सदन में उठाए गए और खास कर कोरोना से प्रभावित हुए पर्यटन कारोबारियों को राहत देने की मांग सरकार से की गई. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने जनता से जुड़े मुद्दों को सदन में प्रमुखता से सदन में उठाया.
सवालों से भागती नजर आई सरकार
वहीं, कांग्रेस विधायक आशीष बुटेल ने कहा सदन में काम रोको प्रस्ताव पहली बार आया और कोविड-19 को लेकर चर्चा हुई, लेकिन सरकार जवाब देने से भागती नजर आई. कानून व्यस्वथा और भ्रष्टाचार के मुद्दे को सदन में विपक्ष ने प्रमुखता से उठाया. दूसरी ओर, सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश में लगी रही जिसके चलते विपक्ष को महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना देना पड़ा था. उन्होंने कहा कि कोरोना काल मे ये सरकार पूरी तरह से फेल हुई है और सवालों से सरकार भागती रही.
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