शिमला: हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी नई इमारतें या अन्य परियोजनाएं, जिनकी लागत बहुत अधिक है और जो अधिक सार्वजनिक महत्व की नहीं हैं के उद्घाटन की आवश्यकता नहीं है. उन्हें तैयार होने के तुरंत बाद ही सार्वजनिक उपयोग में लाना चाहिए. हाईकोर्ट ने इस बाबत राज्य सरकार को नीति तैयार करने के आदेश जारी किए हैं.
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश सबीना ने कहा कि उद्घाटन गतिविधियों पर अनावश्यक खर्च को बचाने के लिए यह जरूरी है. इसके अलावा क्या प्रधानों या उपप्रधानों को एक विशेष मूल्य तक परियोजनाओं का उद्घाटन करने की अनुमति दी जानी है या नहीं, इस पर भी विचार करें.
ग्राम पंचायत कपहरा की प्रधान माया देवी और ग्राम पंचायत कपाहरा के उपप्रधान विनय कुमार शर्मा द्वारा दायर याचिका में विकास अधिकारी, विकास खंड घुमारवीं, जिला बिलासपुर द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें विकास खंड घुमारवीं के सभी ग्राम पंचायतों के सचिवों को अवगत कराते हुए कहा था कि यदि उनमें से किसी ने भी सरकारी खर्च पर निर्मित किसी परियोजना का उद्घाटन किया है तो वह पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव से पहले उद्घाटन पट्टिकाओं को हटा दें.
पंचायती राज विभाग द्वारा 18 सितंबर, 2009 को जारी आदेशों के तहत हिमाचल प्रदेश राज्य के सभी जिला पंचायत अधिकारियों और खंड विकास अधिकारियों के साथ-साथ उपायुक्तों को भी सूचित किया गया था कि विभाग को सूचना है कि पंचायती राज संस्थाओं के पदाधिकारी केवल राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से सरकारी निधि से निर्मित भवनों एवं अन्य विकास परियोजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं.
इसलिए सरकार ने ऐसी सभी गतिविधियों पर रोक लगाने का निर्णय लिया है. प्रार्थियों के अनुसार राज्य सरकार को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए कि ग्राम पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा किस मूल्य की परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाना चाहिए, ताकि जनता तुरंत निर्मित भवनों या अन्य परियोजनाओं का उपयोग शुरू कर सकें.
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