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नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को कुलपति ने किया बंद, छात्रों को हॉस्टल खाली करने फरमान - नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बंद

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी घण्ड़ल में छात्रों के बढ़ते आंदोलन को देख यूनिवर्सिटी को 25 सितंबर तक बंद किया गया है. इसके साथ ही छात्रों को 20 सितंबर तक हॉस्टल खाली करने के आदेश दिए गए है.

National law university Shimla protest
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Published : Sep 19, 2019, 6:43 PM IST

शिमला: नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी घण्ड़ल में मूलभूत सुविधाओं को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों के आंदोलन को बढ़ता देख यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 25 सितंबर तक यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. इस फरमान को 18 सितंबर की रात से ही लागू कर दिया गया है.

विश्वविद्यालय कुलसचिव की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि छात्र कैंपस को खाली करें. आदेशों के बाद भी अगर कोई छात्र रात को कैंपस में रुकता हैं तो वह उसकी अपनी जिम्मेदारी होगी. इसके साथ ही छात्रों को 20 सितंबर तक हॉस्टल खाली करने होंगे और अगर इस तय तिथि तक यह हॉस्टल खाली नहीं किए जाते हैं तो उन छात्रों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

वीडियो.

विश्वविद्यालय को बंद करने के लिए कुलपति निष्ठा जसवाल ने कहा कि छात्रों से लगातार उनकी मांगों को लेकर बात भी की गई और प्रशासन के साथ बातचीत में वह मान भी गए थे, लेकिन छात्रों को गुमराह किया जा रहा है जिससे कि छात्र अपना प्रदर्शन समाप्त नहीं कर रहे है.

National law university Shimla protest
विश्वविद्यालय कुलसचिव द्वारा जारी अधिसूचना

ऐसे में शैक्षणिक माहौल को बिगड़ता देख यूनिवर्सिटी को 25 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है. कुलपति का कहना है कि छात्र खाने की घटिया गुणवत्ता की बात कर रहे है जबकि वहीं खाना यूनिवर्सिटी की पूरी फैकल्टी भी खा रही है.

शिमला: नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी घण्ड़ल में मूलभूत सुविधाओं को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों के आंदोलन को बढ़ता देख यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 25 सितंबर तक यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. इस फरमान को 18 सितंबर की रात से ही लागू कर दिया गया है.

विश्वविद्यालय कुलसचिव की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि छात्र कैंपस को खाली करें. आदेशों के बाद भी अगर कोई छात्र रात को कैंपस में रुकता हैं तो वह उसकी अपनी जिम्मेदारी होगी. इसके साथ ही छात्रों को 20 सितंबर तक हॉस्टल खाली करने होंगे और अगर इस तय तिथि तक यह हॉस्टल खाली नहीं किए जाते हैं तो उन छात्रों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

वीडियो.

विश्वविद्यालय को बंद करने के लिए कुलपति निष्ठा जसवाल ने कहा कि छात्रों से लगातार उनकी मांगों को लेकर बात भी की गई और प्रशासन के साथ बातचीत में वह मान भी गए थे, लेकिन छात्रों को गुमराह किया जा रहा है जिससे कि छात्र अपना प्रदर्शन समाप्त नहीं कर रहे है.

National law university Shimla protest
विश्वविद्यालय कुलसचिव द्वारा जारी अधिसूचना

ऐसे में शैक्षणिक माहौल को बिगड़ता देख यूनिवर्सिटी को 25 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है. कुलपति का कहना है कि छात्र खाने की घटिया गुणवत्ता की बात कर रहे है जबकि वहीं खाना यूनिवर्सिटी की पूरी फैकल्टी भी खा रही है.

Intro:नोट:शॉट्स ओर बाइट व्रैप से देखें।

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी घण्ड़ल में मूलभूत सुविधाओं को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों के आंदोलन को बढ़ता देख यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 25 सितंबर तक के लिए यूनिवर्सिटी को बंद करने का फरमान जारी कर दिया है। इस फरमान को 18 सितंबर की रात से ही लागू कर दिया गया है। हैरानी की बात यह है यूनिवर्सिटी को बंद करने के साथ ही विश्वविद्यालय कुलपति ने 20 सितंबर तक जो छात्र विश्वविद्यालय के होस्टलों में रह रहे है उन्हें हॉस्टल खाली करने के आदेश जारी किए है। इसके साथ ही सभी छात्रों को यह आदेश जारी किए गए है कि वह यूनिवर्सिटी के कैंपस को खाली कर दिया जाए।


Body:विश्वविद्यालय कुलसचिव की ओर से जो अधिसूचना जारी की गई है उसमें कहा गया है छात्र कैंपस को खाली करें ओर अगर कोई छात्र आदेशों के बाद भी रात को कैंपस में रुकता है तो वह उसकी अपनी जिम्मेवारी होगी। इसके साथ ही छात्रों को 20 सितंबर तक हॉस्टल खाली करने होंगे और अगर इस तय तिथि तक यह हॉस्टल खाली नहीं किए जाते है तो उन छात्रों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यूनिवर्सिटी को बंद करने के फरमान पर विश्वविद्यालय की कुलपति निष्ठा जसवाल का तर्क है छात्रों से लगातार उनकी मांगों को लेकर बात भी की गई और प्रशासन के साथ बातचीत में वह मान भी गए थे लेकिन छात्रों को गुमराह किया जा रहा है जिससे कि छात्र अपना प्रदर्शन समाप्त नहीं कर रहे है। ऐसे में शैक्षणिक माहौल को बिगड़ता देख यूनिवर्सिटी को 25 सितंबर तक के लिए बंद कर दिया गया है।


Conclusion:कुलपति का कहना है कि छात्र खाने की घटिया गुणवत्ता की बात कर रहे है जबकि वही खाना यूनिवर्सिटी की पूरी फ़ैकल्टी भी खा रही है वहां इस तरह की कोई परेशानी नहीं है। वहीं छात्रों का आरोप है कि उन्हें खाने की खाने के लिए खाना भी घटिया परोसा जा रहा है तो वहीं पीने के लिए पानी तक नहीं नसीब हो रहा। ऐसे में विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर भी सवाल छात्रों ने खड़े किए हैं।छात्रों का कहना है कि वह भारी-भरकम फीस विश्वविद्यालय प्रशासन को दे रहे हैं इसके बावजूद भी उन्हें पीने के लिए साफ पानी और गुणवत्ता वाला खाना तक नसीब नहीं हो रहा है. छात्रावासों में सुविधाएं भी उन्हें मुहैया नहीं करवाई जा रही है। यहां तक कि जो भी फैसले प्रशासन लेता है उन्हें भी गुप्त रखा जाता है और छात्रों को छात्रावासों में भी किसी तरह की सुविधा नहीं मिल पाई मिल पाई है। छात्रों को मेडिकल सुविधा भी यूनिवर्सिटी में नहीं दी जा रही है। यही वजह है कि छात्र आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं.
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