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Drone Flying Training in Himachal: शैक्षणिक संस्थानों और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय अकादमी के मध्य ड्रोन प्रशिक्षण के लिए समझौता ज्ञापन

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Published : Jun 10, 2022, 9:59 PM IST

ड्रोन फ्लाइंग प्रशिक्षण के लिए कौशल विकास पाठयक्रम चलाने को सरकार ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय अकादमी (आईजीआरयूए) से समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता ज्ञापन राज्य सरकार के प्रधान सचिव शिक्षा डॉ. रजनीश की उपस्थिति में हस्ताक्षरित किए गए. हिमाचल सरकार द्वारा ड्रोन नीति-2022 के प्रावधानों के दृष्टिगत राज्य में ड्रोन क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है.

Drone Flying Training in Himachal
हिमाचल में ड्रोन फ्लाइंग प्रशिक्षण

शिमला: ड्रोन फ्लाइंग प्रशिक्षण के लिए कौशल विकास पाठयक्रम चलाने को सरकार ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय अकादमी (आईजीआरयूए) से समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता ज्ञापन राज्य सरकार के प्रधान सचिव शिक्षा डॉ. रजनीश की उपस्थिति में हस्ताक्षरित किए गए. इस समझौते का उद्देश्य प्रदेश के 6 विश्वविद्यालयों, 50 महाविद्यालयों और तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय अकादमी (आईजीआरयूए) के साथ भविष्य के लिए छात्रों को तैयार करने और उन्हें ड्रोन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना है.

हिमाचल सरकार द्वारा ड्रोन नीति-2022 के प्रावधानों के दृष्टिगत राज्य में ड्रोन क्षेत्र को बढ़ावा देने (Drone Flying Training in Himachal) की दिशा में यह एक बड़ा कदम है. इस नीति को 06 जून, 2022 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में स्वीकृति प्रदान की गई थी. यह ड्रोन संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रमों के माध्यम से लाइसेंस प्राप्त श्रम शक्ति और कौशल विकास के सृजन में सहयोग करेगा, जिन्हें भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) और राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के अन्तर्गत अंतिम रूप दिया जा रहा है. राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे के साथ ड्रोन से संबंधित पाठ्यक्रमों को जोड़ने से छात्रों को ड्रोन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे.

हिमाचल प्रदेश ड्रोन नीति तैयार करने वाला देश का पहला राज्य है. इस नीति में ड्रोन के उपयोग से शासन एवं सुधार (गरूड़) के आधार पर एक समग्र ड्रोन ईको सिस्टम तैयार करने की परिकल्पना की गई है. इसके माध्यम से सुदृढ़ आधारभूत संरचना, अनुसंधान एवं विकास, ड्रोन विनिर्माताओं और सेवा प्रदाताओं की बाजार तक पहुंच सुनिश्चित होगी. यह नीति पहाड़ी प्रदेश के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के लोगों के लिए अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होगी.

उन्होंने कहा कि यह नीति मुख्य रूप से ड्रोन और ड्रोन-सक्षम प्रौद्योगिकी के निर्माण और लाइसेंस प्राप्त मानव शक्ति के सृजन पर केन्द्रित है और इसके लिए ड्रोन फ्लांइग प्रशिक्षण स्कूल स्थापित कर विभिन्न ड्रोन सम्बन्धित पाठयक्रमों के माध्यम से उनका कौशल विकास किया जाएगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के माध्यम से भारत सरकार द्वारा भी इन्हें अन्तिम रूप दिया जा रहा है ताकि विद्यार्थियों को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क से जोड़कर युवाओं को ड्रोन क्षेत्र से सम्बन्धित रोजगार के अवसरों का उपयोग करने के लिए सशक्त किया जाएगा.

शिमला: ड्रोन फ्लाइंग प्रशिक्षण के लिए कौशल विकास पाठयक्रम चलाने को सरकार ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय अकादमी (आईजीआरयूए) से समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता ज्ञापन राज्य सरकार के प्रधान सचिव शिक्षा डॉ. रजनीश की उपस्थिति में हस्ताक्षरित किए गए. इस समझौते का उद्देश्य प्रदेश के 6 विश्वविद्यालयों, 50 महाविद्यालयों और तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय अकादमी (आईजीआरयूए) के साथ भविष्य के लिए छात्रों को तैयार करने और उन्हें ड्रोन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना है.

हिमाचल सरकार द्वारा ड्रोन नीति-2022 के प्रावधानों के दृष्टिगत राज्य में ड्रोन क्षेत्र को बढ़ावा देने (Drone Flying Training in Himachal) की दिशा में यह एक बड़ा कदम है. इस नीति को 06 जून, 2022 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में स्वीकृति प्रदान की गई थी. यह ड्रोन संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रमों के माध्यम से लाइसेंस प्राप्त श्रम शक्ति और कौशल विकास के सृजन में सहयोग करेगा, जिन्हें भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) और राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के अन्तर्गत अंतिम रूप दिया जा रहा है. राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे के साथ ड्रोन से संबंधित पाठ्यक्रमों को जोड़ने से छात्रों को ड्रोन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे.

हिमाचल प्रदेश ड्रोन नीति तैयार करने वाला देश का पहला राज्य है. इस नीति में ड्रोन के उपयोग से शासन एवं सुधार (गरूड़) के आधार पर एक समग्र ड्रोन ईको सिस्टम तैयार करने की परिकल्पना की गई है. इसके माध्यम से सुदृढ़ आधारभूत संरचना, अनुसंधान एवं विकास, ड्रोन विनिर्माताओं और सेवा प्रदाताओं की बाजार तक पहुंच सुनिश्चित होगी. यह नीति पहाड़ी प्रदेश के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के लोगों के लिए अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होगी.

उन्होंने कहा कि यह नीति मुख्य रूप से ड्रोन और ड्रोन-सक्षम प्रौद्योगिकी के निर्माण और लाइसेंस प्राप्त मानव शक्ति के सृजन पर केन्द्रित है और इसके लिए ड्रोन फ्लांइग प्रशिक्षण स्कूल स्थापित कर विभिन्न ड्रोन सम्बन्धित पाठयक्रमों के माध्यम से उनका कौशल विकास किया जाएगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के माध्यम से भारत सरकार द्वारा भी इन्हें अन्तिम रूप दिया जा रहा है ताकि विद्यार्थियों को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क से जोड़कर युवाओं को ड्रोन क्षेत्र से सम्बन्धित रोजगार के अवसरों का उपयोग करने के लिए सशक्त किया जाएगा.

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