शिमला: कोरोना वायरस की दूसरी लहर तबाही मचा रही है. पहली लहर में बुजुर्ग लोग इसका शिकार हुए थे. दूसरी लहर में वायरस की जेनेटिक म्यूटेशन हो गई. इस कारण वायरस का नेचर एग्रेसिव हो गया है और ये संक्रमित व्यक्ति को संभलने का मौका भी नहीं दे रहा. इस दौरान बड़ी संख्या में युवाओं ने जान गंवाई है. गुरुवार को कुल 65 लोगों की मौत हुई. इसमें से 18 लोग पचास साल से कम आयु के थे. यही नहीं, एक 19 साल की लड़की की भी मौत हुई. अब अधिकांश लोगों की मौत का कारण भी सीवियर कोविड-19 न्यूमोनिया, कोविड एसोसिएटिड न्यूमोनिया पाया जा रहा है.
विशेषज्ञों के अनुसार पहली लहर के दौरान हुई मौतों का बड़ा कारण संक्रमित व्यक्ति का अन्य बीमारियों से पीड़ित होना भी था. यानी कोमोरबिडिटी (डायबिटीज, ह्रदय रोग, किडनी रोग, ब्लड प्रेशर) वाले लोग अधिक संवेदनशील थे और उन्हीं की मौत भी हुई. जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक थी, वे संक्रमण के चपेट में आने से बचे, परंतु दूसरी लहर ने स्ट्रॉन्ग इम्यूनिटी वाले युवाओं तक को अपना शिकार बनाया है. आईजीएमसी अस्पताल के एमएस डॉ. जनकराज का कहना है कि वैक्सीनेशन से ही कोरोना के खिलाफ मजबूत सुरक्षा की दीवार बनेगी.
सख्त बंदिशें और कोरोना नियमों से ही होगा बचाव
आईजीएमसी अस्पताल के मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉ. विमल भारती का कहना है कि दूसरी लहर में कोविड संक्रमण अधिक घातक रूप में सामने आया है. सीवियर कोविड न्यूमोनिया में संक्रमित के इन्फ्लामेटरी मार्कर बढ़ जाते हैं और कई तरह की दिक्कतें आती हैं. ऐसे में संक्रमित की जान बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है. दूसरी लहर में वायरस से जेनेटिक म्यूटेशन के कारण खतरा बढ़ा. इससे बचाव का उपाय लॉकडाउन और कोरोना एसओपी का सख्ती से पालन करना ही है. डॉ. भारती का कहना है कि दूसरी लहर में वायरस ने सीधा फेफड़ों पर हमला किया है. वायरस रूप बदलता है. म्यूटेशन के कारण ये बहुत घातक हो जाता है. दूसरी लहर में वायरस के घातक हो जाने से मल्टीपल आर्गन फेल्योर हो रहा है. स्ट्रॉन्ग इम्यूनिटी वाले लोग भी इसके आगे बेबस हैं.
समय से लोग नहीं आ रहे अस्पताल
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि मौतों का कारण स्टेट लेवल कोविड क्लीनिकल टीम नियमित तौर पर मौत के कारणों को जांच रही है. टीम के अनुसार तकरीबन 70 प्रतिशत के करीब लोगों की मौत अस्पताल पहुंचने के 24 घंटे के अंदर हो रही है. इसका कारण यही है कि लोग समय रहते अस्पताल नहीं आ रहे हैं. जिसके कारण उनकी स्थिति गंभीर होती जाती है और अस्पताल पहुंचने पर मौत हो जाती है. लोग शुरुआती लक्षणों को समय पर नहीं पहचान रहे हैं. कोरोना के लक्षणों को हल्के में लेना गंभीर है. इससे मरीज उस समय अस्पताल आता है जब स्थिति गंभीर हो जाती है. इसके अलावा जैसे-जैसे वैक्सीनशन होती जाएगी उसी के साथ मौतों का आंकड़ा भी कम होता जाएगा.
मई महीने में भयावह हो गया वायरस, 20 दिन में 1097 की मौत
मई महीने में कोरोना संक्रमण ने हिमाचल में कहर बरपाया है. कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा हर रोज बढ़ता गया. कोरोना से गुरुवार तक हिमाचल में 2581 लोगों की मौत हो चुकी है. गुरुवार को 65 लोगों की जान गई. उनमें से 18 लोगों की आयु 50 साल से कम थी. इसी तरह बुधवार 19 मई को 69 लोगों की जान गई. इनमें से 50 से कम आयु वालों की संख्या 15 थी. दुर्भाग्य से इनमें तीन साल की एक बच्ची भी थी. पिछले कल जिन 65 लोगों की मौत हुई, उनमें से 16 की मौत कोविड एसोसिएटिड न्यूमोनिया से हुई. इसके अलावा 14 मौत सीवियर कोविड न्यूमोनिया से हुई. बुधवार को कुल 69 मौतों से 29 की मौत सीवियर कोविड न्यूमोनिया, कोविड एसोसिएटिड न्यूमोनिया से हुई.
हिमाचल में 18 मई को सबसे बड़ी त्रासदी
हिमाचल में 18 मई को अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी हुई. रिकॉर्ड 78 लोगों की मौत हुई. इसमें से 25 लोगों को वायरस के घातक रूप ने निगल लिया. कुल 20 दिन में 1097 लोगों की मौत हुई. यानी एक दिन में औसतन 55 लोगों की मौत हुई. इनमें से सत्तर फीसदी से अधिक मौतें सीवियर कोविड डिजीज, कोविड एसोसिएटिड न्यूमोनिया आदि से हुई. ये सब दुखद परिस्थितियां वायरस के जेनेटिक म्यूटेशन होने से पाई गई.
22 अप्रैल को हिमाचल में 18 लोगों की हुई थी मौत
ठीक एक महीना पहले 22 अप्रैल को हिमाचल में 18 लोगों की जान कोरोना संक्रमण से गई थी. इनमें से पचास साल से कम आयु वाले सिर्फ तीन लोग थे. एक्टिव केस की संख्या 11859 थी. इसके एक ही दिन बाद यानी 23 अप्रैल को मौत का आंकड़ा 26 पर पहुंच गया. अगले दिन यानी 24 अप्रैल को मौतों की संख्या 24 थी. फिर 25 अप्रैल को ये आंकड़ा 32 पर पहुंच गया. 26 अप्रैल को कोरोना से 27 लोगों की मौत हुई और 27 अप्रैल को डेथ केस की संख्या 24 थी. अप्रैल की 28 तारीख को मौतों की संख्या 30 थी और अगले दिन इसने चालीस का आंकड़ा छू लिया. अप्रैल के आखिरी दिन यानी 30 तारीख को 37 लोगों की मौत हुई. इस तरह अप्रैल के अंतिम 9 दिन में 258 लोग मौत का शिकार हुए.
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