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हिमाचल में 17000 लैंडस्लाइड पॉइंट, 675 स्थानों को चिन्हित कर कार्य कर रहा आपदा प्रबंधन विभाग

आपदा प्रबंधन विभाग (Himachal disaster management ) के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 17 हजार स्थान ऐसे हैं, जहां हर करीब साल भूकंप आता है. ऐसे में आपदा प्रबंधन विभाग ने जियोलॉजिकल सर्वे और आईआईटी मंडी और रुड़की के सहयोग से इन स्थानों पर विभिन्न तकनीकों की सहायता से कार्य किया जा रहा है. प्रदेश के विभ्न्न स्थलों पर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं. भूस्खलन अथवा 5 मिमी से अधिक बारिश होने की संभावना की स्थिति में अर्ली वार्निंग सिस्टम (Early alert system installed in himachal) लोगों को सचेत करेगा.

Landslide Points in Himachal pradesh
हिमाचल में 17000 लैंडस्लाइड पॉइंट
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Published : Jul 13, 2022, 6:09 PM IST

शिमला: पहाड़ी राज्य होने के कारण बरसात के मौसम (monsoon season in himachal ) में हिमाचल प्रदेश में भूस्खन (Landslides in Himachal)और बाढ़ से सैकड़ों लोग काल का ग्रास बन जाते हैं और करोड़ों की संपत्ति भी मिट्टी में मिल जाती है. आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार प्रदेश में 17 हजार स्थान ऐसे हैं, जहां हर करीब साल भूकंप आता है. आपदा प्रबंधन विभाग ने जियोलॉजिकल सर्वे और आईआईटी मंडी और रुड़की के सहयोग से इन स्थानों पर विभिन्न तकनीकों की सहायता से कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि किन्नौर जिले के 11 भूस्खन वाले स्थानों पर होमगार्ड के जवान भी तैनात किए हैं ताकि आपदा के समय अधिक से अधिक जानमाल बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग लोगों को जागरूक करने का के कार्य भी कर रहा है.

अर्ली वार्निंग सिस्टम और होमगार्ड के जवान होंगे तैनात: अति संवेदनशील स्थानों पर होमगार्ड के जवान तैनात किए जा रहे हैं. होमगार्ड के जवान स्थानीय लोगों को जागरूक कर सकते हैं. इसके अलावा आपदा के समय लोगों को अलर्ट भी किये जा सकते हैं. आईआईटी मंडी द्वारा विकसित अर्ली वार्निंग सिस्टम प्रदेश में भूस्खलन और भारी बारिश से होने वाले जान माल के नुकसान को रोकने में मददगार साबित होगा.

हिमाचल आपदा प्रबंधन के स्पेशल सेक्रेट्री सुदेश मोक्टा. (वीडियो)

प्रदेश में साल दर साल बरसात के मौसम में होने वाले भूस्खलन व भारी बारिश से होने वाले नुकसान को रोकने के मद्देनजर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने विभिन्न स्थानों पर 50 अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए क्षेत्र हैं. कांगड़ा, मंडी में 10-10 जगहो पर अल वार्निंग सिस्टम लगाए गए हैं. भूस्खलन अथवा 5 मिमी से अधिक बारिश होने की संभावना की स्थिति में अर्ली वार्निंग सिस्टम (Early alert system installed in himachal) लोगों को सचेत करेगा. इसके अलावा सचेत करने के मद्देनजर भूस्खलन से पहले मिट्टी में होने वाली हरकत को सेंसर से पहचान कर सिस्टम हूटर बजाएगा अथवा ब्लिकि करेगा. 5 से 10 मिनट पहले चेतावनी स्वरूप हूट बजने अथवा ब्लिंकिंग होने की स्थिति में लोगों को भूस्खलन वाली जगह पर जाने से रोका जा सकेगा.

अवैज्ञानिक तरीके से खुदाई भूस्खलन का सबसे बाद कारण: प्रोजेक्टों के निर्माण के दौरान खुदाई से निकलने वाले मलबे को कंपनियों को चिन्हित जगहों पर ही ठिकाने लगाना होगा. बरसात के मौसम में यह मलवा भी परेशानी का सबब बन रहा है. हिमाचल आपदा प्रबंधन के स्पेशल सेक्रेट्री सुदेश मोक्टा (Himachal disaster management special secretary Sudesh Mokta) ने कहा कि अवैज्ञानिक तरीके से खुदाई भी भूस्खलन का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है. हिमाचल में इन दिनों मानसूनी बारिश कहर बन कर बरप रही है. बारिश से अब तक 116 करोड़ से अधिक का नुकसान हो गया है. वहीं, बादल फटने और भूस्खलन (Cloud Burst in himachal) की वजह से हुए हादसों में 60 से अधिक लोग हताहत हुए हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में 50 से अधिक स्थानों पर अर्ली अलर्ट सिस्टम तैनात, लैंडस्लाइड से पहले ही मिलेगी जानकारी

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कहर बरपा रहा मानसून, अब तक 67 लोगों की मौत, 116 करोड़ का नुकसान

शिमला: पहाड़ी राज्य होने के कारण बरसात के मौसम (monsoon season in himachal ) में हिमाचल प्रदेश में भूस्खन (Landslides in Himachal)और बाढ़ से सैकड़ों लोग काल का ग्रास बन जाते हैं और करोड़ों की संपत्ति भी मिट्टी में मिल जाती है. आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार प्रदेश में 17 हजार स्थान ऐसे हैं, जहां हर करीब साल भूकंप आता है. आपदा प्रबंधन विभाग ने जियोलॉजिकल सर्वे और आईआईटी मंडी और रुड़की के सहयोग से इन स्थानों पर विभिन्न तकनीकों की सहायता से कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि किन्नौर जिले के 11 भूस्खन वाले स्थानों पर होमगार्ड के जवान भी तैनात किए हैं ताकि आपदा के समय अधिक से अधिक जानमाल बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग लोगों को जागरूक करने का के कार्य भी कर रहा है.

अर्ली वार्निंग सिस्टम और होमगार्ड के जवान होंगे तैनात: अति संवेदनशील स्थानों पर होमगार्ड के जवान तैनात किए जा रहे हैं. होमगार्ड के जवान स्थानीय लोगों को जागरूक कर सकते हैं. इसके अलावा आपदा के समय लोगों को अलर्ट भी किये जा सकते हैं. आईआईटी मंडी द्वारा विकसित अर्ली वार्निंग सिस्टम प्रदेश में भूस्खलन और भारी बारिश से होने वाले जान माल के नुकसान को रोकने में मददगार साबित होगा.

हिमाचल आपदा प्रबंधन के स्पेशल सेक्रेट्री सुदेश मोक्टा. (वीडियो)

प्रदेश में साल दर साल बरसात के मौसम में होने वाले भूस्खलन व भारी बारिश से होने वाले नुकसान को रोकने के मद्देनजर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने विभिन्न स्थानों पर 50 अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए क्षेत्र हैं. कांगड़ा, मंडी में 10-10 जगहो पर अल वार्निंग सिस्टम लगाए गए हैं. भूस्खलन अथवा 5 मिमी से अधिक बारिश होने की संभावना की स्थिति में अर्ली वार्निंग सिस्टम (Early alert system installed in himachal) लोगों को सचेत करेगा. इसके अलावा सचेत करने के मद्देनजर भूस्खलन से पहले मिट्टी में होने वाली हरकत को सेंसर से पहचान कर सिस्टम हूटर बजाएगा अथवा ब्लिकि करेगा. 5 से 10 मिनट पहले चेतावनी स्वरूप हूट बजने अथवा ब्लिंकिंग होने की स्थिति में लोगों को भूस्खलन वाली जगह पर जाने से रोका जा सकेगा.

अवैज्ञानिक तरीके से खुदाई भूस्खलन का सबसे बाद कारण: प्रोजेक्टों के निर्माण के दौरान खुदाई से निकलने वाले मलबे को कंपनियों को चिन्हित जगहों पर ही ठिकाने लगाना होगा. बरसात के मौसम में यह मलवा भी परेशानी का सबब बन रहा है. हिमाचल आपदा प्रबंधन के स्पेशल सेक्रेट्री सुदेश मोक्टा (Himachal disaster management special secretary Sudesh Mokta) ने कहा कि अवैज्ञानिक तरीके से खुदाई भी भूस्खलन का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है. हिमाचल में इन दिनों मानसूनी बारिश कहर बन कर बरप रही है. बारिश से अब तक 116 करोड़ से अधिक का नुकसान हो गया है. वहीं, बादल फटने और भूस्खलन (Cloud Burst in himachal) की वजह से हुए हादसों में 60 से अधिक लोग हताहत हुए हैं.

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