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किन्नौर के ठंगी गांव में माघ मेला शुरू, ग्रामीणों ने बर्फ के साथ किया देवता व मंदिर करदारों का स्वागत - ठंगी गांव में माघ मेला शुरु

जिला किन्नौर के ठंगी गांव में आज से माघ मेले की शुरुआत हो (Magh Mela started in Thangi) गई. ये मेला हर वर्ष पूरे आठ दिन अलग-अलग तौर तरीकों व पारंपरिक रूप से मनाया जाता है. इस मेले में ग्रामीण पूरी धरती के लिए अच्छे की (Magh Mela in Kinnaur) कामना की जाती है.

Magh Mela started in Thangi
ठंगी गांव में माघ मेला शुरू.
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Published : Feb 10, 2022, 4:18 PM IST

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के पूह खंड के तहत ठंगी गांव में मनाए जाने वाले माघ मेले का आज वीरवार से आगाज हो (Magh Mela started in Thangi) गया है. बारिश हो या फिर बर्फबारी ये मेला पूरे आठ दिन चलता है. आस्था और विश्वास के इस मेले में ग्रामीण पूरी धरती के लिए अच्छे की कामना की जाती है. ऐसे में स्थानीय देवता रापुक शंकर को मंदिर प्रांगण मे लाने से पूर्वक उनका व उनके साथ कारदारों का ग्रामीण बर्फ के अठखेलियों से (Magh Mela in Kinnaur) स्वागत करते हैं.

बता दें, इन दिनों जिले में तापमान माईनस 12 से 15 डिग्री है. ऐसे में ग्रामीण अपनी परंपराओं को जिंदा रखने के लिए ठंड भी भूल जाते हैं. मेले की शुरुआत से लेकर आठवें दिन के अंत तक अलग-अलग तौर तरीकों व पारंपरिक रूप से मेले को मनाया जाता है. इसमें ठंगी के स्थानीय देवता रापुक शंकर की पालकी उनके मंदिर से ठंगी स्कूल के प्रांगण में स्थानीय लोग लेकर (Thangi village of Kinnaur) जाते हैं.

ठंगी गांव में माघ मेला शुरू.

इसके बाद गांव की महिलाएं व पुरुष पूरी पारंपरिक वेशभूषा व आभूषण पहनकर देवता रापुक शंकर के समक्ष हर दिन जमा होकर अलग-अलग तरीके से उत्सव मनाते हैं. मेले में स्थानीय लोग व बौद्ध भिक्षु मिलकर पूजा पाठ व सुख समृद्धि की कामना करते हैं. साथ ही माघ मेले में देवता रापुक शंकर के समक्ष हर एक फसल और पेड़-पौधों की पूजा करते हैं. इस परंपरा को स्थानीय बोली में रूम पजाम कहते हैं. रूम पजाम से आने वाले समय में सभी फसलें अच्छी होती हैं और धरती पर हरियाली रहती है.

ये भी पढ़ें: भव्य नगर कीर्तन के साथ पांवटा में मनाई गई साहिबजादा अजीत सिंह की जयंती

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के पूह खंड के तहत ठंगी गांव में मनाए जाने वाले माघ मेले का आज वीरवार से आगाज हो (Magh Mela started in Thangi) गया है. बारिश हो या फिर बर्फबारी ये मेला पूरे आठ दिन चलता है. आस्था और विश्वास के इस मेले में ग्रामीण पूरी धरती के लिए अच्छे की कामना की जाती है. ऐसे में स्थानीय देवता रापुक शंकर को मंदिर प्रांगण मे लाने से पूर्वक उनका व उनके साथ कारदारों का ग्रामीण बर्फ के अठखेलियों से (Magh Mela in Kinnaur) स्वागत करते हैं.

बता दें, इन दिनों जिले में तापमान माईनस 12 से 15 डिग्री है. ऐसे में ग्रामीण अपनी परंपराओं को जिंदा रखने के लिए ठंड भी भूल जाते हैं. मेले की शुरुआत से लेकर आठवें दिन के अंत तक अलग-अलग तौर तरीकों व पारंपरिक रूप से मेले को मनाया जाता है. इसमें ठंगी के स्थानीय देवता रापुक शंकर की पालकी उनके मंदिर से ठंगी स्कूल के प्रांगण में स्थानीय लोग लेकर (Thangi village of Kinnaur) जाते हैं.

ठंगी गांव में माघ मेला शुरू.

इसके बाद गांव की महिलाएं व पुरुष पूरी पारंपरिक वेशभूषा व आभूषण पहनकर देवता रापुक शंकर के समक्ष हर दिन जमा होकर अलग-अलग तरीके से उत्सव मनाते हैं. मेले में स्थानीय लोग व बौद्ध भिक्षु मिलकर पूजा पाठ व सुख समृद्धि की कामना करते हैं. साथ ही माघ मेले में देवता रापुक शंकर के समक्ष हर एक फसल और पेड़-पौधों की पूजा करते हैं. इस परंपरा को स्थानीय बोली में रूम पजाम कहते हैं. रूम पजाम से आने वाले समय में सभी फसलें अच्छी होती हैं और धरती पर हरियाली रहती है.

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