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हिमाचल और नागालैंड के फैमिली कोर्ट को मिली कानूनी मान्यता, लोकसभा में बिल पास

हिमाचल प्रदेश और नागालैंड की फैमिली कोर्ट्स को अब वैधानिक कवर मिल गया है. संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा से एक विधेयक (Family Court Bill 2022) पारित हुआ है. जिसके बाद ये मुमकिन हुआ है. आखिर क्या है पूरा मामला, जानने के लिए पढ़ें पूरी ख़बर

लोकसभा
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Published : Jul 26, 2022, 8:16 PM IST

दिल्ली : संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) के दौरान मंगलवार को लोकसभा से परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित हो गया. इस विधेयक के पारित होने से हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में पारिवारिक न्यायालयों (Family Courts) को वैधानिक कवर मिल गया है. Family Court Amendment Bill 2022 पर मंगलवार को लोकसभा में चर्चा हुई, इस दौरान लोकसभा सांसदों ने पारिवारिक अदालतों में चल रहे मामलों के जल्द निपटारे को लेकर अपनी राय (lok sabha passes Family Court Amendment Bill) रखी.

सोमवार को पेश किया गया था बिल- कानून मंत्री किरण रिजिजू ने सोमवार को परिवार न्यायालय संशोधन विधेयक पेश (Family Court Bill 2022) किया था. आपसी सुलह को बढ़ावा देकर विवाह और पारिवारिक मामलों से जुड़े विवादों के जल्द निपटारे के लिए ये बिल लाया गया था. कानून मंत्री ने कहा था कि हिमाचल और नागालैंड में मौजूदा पारिवारिक न्यायलयों को वैधानिक कवर दिया जाना चाहिए.

दोनों राज्यों में मौजूद है फैमिली कोर्ट- गौरतलब है कि नागालैंड (Nagaland family courts) और हिमाचल प्रदेश में पहले से फैमिली कोर्ट (Himachal Pradesh family courts) हैं. लेकिन दोनों राज्यों में ये अदालतें बिना कानूनी अधिकारों के चल रही थीं. हिमाचल सरकार ने साल 2019 में नोटिफिकेशन के बाद तीन फैमिली कोर्ट और नागालैंड सरकार ने साल 2008 में दो फैमिली कोर्ट की स्थापना हुई थी. फैमिली कोर्ट की स्थापना उनके कामकाज हाईकोर्ट के परामर्श से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. इन दोंनों राज्यों की सरकारों ने फैमिली कोर्ट की स्थापना की, जो फिलहाल बिना किसी कानूनी अधिकार के काम कर रहे हैं. जिसके कारण इन फैमिली कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठ रहे थे.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के अधिवक्ता मनदीप चंदेल का कहना है कि प्रदेश में पहले से ही 3 फैमिली कोर्ट चल रहे हैं कुछ समय पहले हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में इन्हें लेकर तकनीकी पहलू उजागर हुआ था. उसके बाद इन्हें एक वैधानिक कवर की जरूरत थी. अब लोकसभा में संशोधन विधेयक पारित होने से राज्य के तीन फैमिली कोर्ट को आवश्यक वैधानिक कवर मिल गया है.

हिमाचल हाईकोर्ट में आया था मामला- दरअसल बीते साल हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका में कहा गया था केंद्र सरकार परिवार न्यायालय अधिनियम को प्रदेश में विस्तारित करने के लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं की थी और प्रदेश की सरकार ने फैमिली कोर्ट स्थापित करने के निर्देश बिना किसी कानूनी अधिकार के दे दिए थे. जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को पार्टी बनाया था. ऐसा ही मामला नागालैंड फैमिली कोर्ट को लेकर भी आया था, जिसके बाद केंद्र सराकर ने इन दोनों राज्यों में मौजूद फैमिली कोर्ट के लिए परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया था.

पारिवारिक न्यायालय अधिनियम, 1984 के तहत हाइकोर्ट के परामर्श पर राज्य सरकार फैमिली कोर्ट की स्थापना कर सकती है. फैमिली कोर्ट का मकसद विवाह और पारिवारिक मामलों में सुलह को बढ़ावा देने के साथ ऐसे विवादों का जल्द निपटारा करना भी है. हिमाचल और नागालैंड में फैमिली कोर्ट तो हैं लेकिन इन्हें राज्य सरकारों ने अधिसूचना जारी करके स्थापित किया था. जिसके कारण ये बिना कानूनी वैधानिकता के चल रही हैं. संसद से बिल पास होने के बाद इन दोनों राज्यों में फैमिली कोर्ट को वैधानिक कवर मिल जाएगा. हिमाचल में फैमिली कोर्ट 2019 (Family Courts in Himachal) और नागालैंड में फैमिली कोर्ट 2008 में (Family Courts in Nagaland) स्थापित हुए लेकिन इन्हें वैधानिक कवर नहीं मिला हुआ था.

11.4 लाख केस पेंडिंग- लोकसभा में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक इस समय देशभर की फैमिली कोर्ट्स में 11.4 लाख से अधिक मामले लंबित हैं. देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 715 फैमिली कोर्ट हैं. इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान लोकसभा सांसदों ने इन केसों के जल्द निपटारे का समर्थन किया है. सांसदों ने इसके लिए पारिवारिक न्यायालयों में नियुक्तियों से लेकर अन्य संसाधन देने का भी समर्थन किया.

दिल्ली : संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) के दौरान मंगलवार को लोकसभा से परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित हो गया. इस विधेयक के पारित होने से हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में पारिवारिक न्यायालयों (Family Courts) को वैधानिक कवर मिल गया है. Family Court Amendment Bill 2022 पर मंगलवार को लोकसभा में चर्चा हुई, इस दौरान लोकसभा सांसदों ने पारिवारिक अदालतों में चल रहे मामलों के जल्द निपटारे को लेकर अपनी राय (lok sabha passes Family Court Amendment Bill) रखी.

सोमवार को पेश किया गया था बिल- कानून मंत्री किरण रिजिजू ने सोमवार को परिवार न्यायालय संशोधन विधेयक पेश (Family Court Bill 2022) किया था. आपसी सुलह को बढ़ावा देकर विवाह और पारिवारिक मामलों से जुड़े विवादों के जल्द निपटारे के लिए ये बिल लाया गया था. कानून मंत्री ने कहा था कि हिमाचल और नागालैंड में मौजूदा पारिवारिक न्यायलयों को वैधानिक कवर दिया जाना चाहिए.

दोनों राज्यों में मौजूद है फैमिली कोर्ट- गौरतलब है कि नागालैंड (Nagaland family courts) और हिमाचल प्रदेश में पहले से फैमिली कोर्ट (Himachal Pradesh family courts) हैं. लेकिन दोनों राज्यों में ये अदालतें बिना कानूनी अधिकारों के चल रही थीं. हिमाचल सरकार ने साल 2019 में नोटिफिकेशन के बाद तीन फैमिली कोर्ट और नागालैंड सरकार ने साल 2008 में दो फैमिली कोर्ट की स्थापना हुई थी. फैमिली कोर्ट की स्थापना उनके कामकाज हाईकोर्ट के परामर्श से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. इन दोंनों राज्यों की सरकारों ने फैमिली कोर्ट की स्थापना की, जो फिलहाल बिना किसी कानूनी अधिकार के काम कर रहे हैं. जिसके कारण इन फैमिली कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठ रहे थे.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के अधिवक्ता मनदीप चंदेल का कहना है कि प्रदेश में पहले से ही 3 फैमिली कोर्ट चल रहे हैं कुछ समय पहले हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में इन्हें लेकर तकनीकी पहलू उजागर हुआ था. उसके बाद इन्हें एक वैधानिक कवर की जरूरत थी. अब लोकसभा में संशोधन विधेयक पारित होने से राज्य के तीन फैमिली कोर्ट को आवश्यक वैधानिक कवर मिल गया है.

हिमाचल हाईकोर्ट में आया था मामला- दरअसल बीते साल हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका में कहा गया था केंद्र सरकार परिवार न्यायालय अधिनियम को प्रदेश में विस्तारित करने के लिए कोई अधिसूचना जारी नहीं की थी और प्रदेश की सरकार ने फैमिली कोर्ट स्थापित करने के निर्देश बिना किसी कानूनी अधिकार के दे दिए थे. जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को पार्टी बनाया था. ऐसा ही मामला नागालैंड फैमिली कोर्ट को लेकर भी आया था, जिसके बाद केंद्र सराकर ने इन दोनों राज्यों में मौजूद फैमिली कोर्ट के लिए परिवार न्यायालय (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया था.

पारिवारिक न्यायालय अधिनियम, 1984 के तहत हाइकोर्ट के परामर्श पर राज्य सरकार फैमिली कोर्ट की स्थापना कर सकती है. फैमिली कोर्ट का मकसद विवाह और पारिवारिक मामलों में सुलह को बढ़ावा देने के साथ ऐसे विवादों का जल्द निपटारा करना भी है. हिमाचल और नागालैंड में फैमिली कोर्ट तो हैं लेकिन इन्हें राज्य सरकारों ने अधिसूचना जारी करके स्थापित किया था. जिसके कारण ये बिना कानूनी वैधानिकता के चल रही हैं. संसद से बिल पास होने के बाद इन दोनों राज्यों में फैमिली कोर्ट को वैधानिक कवर मिल जाएगा. हिमाचल में फैमिली कोर्ट 2019 (Family Courts in Himachal) और नागालैंड में फैमिली कोर्ट 2008 में (Family Courts in Nagaland) स्थापित हुए लेकिन इन्हें वैधानिक कवर नहीं मिला हुआ था.

11.4 लाख केस पेंडिंग- लोकसभा में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक इस समय देशभर की फैमिली कोर्ट्स में 11.4 लाख से अधिक मामले लंबित हैं. देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 715 फैमिली कोर्ट हैं. इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान लोकसभा सांसदों ने इन केसों के जल्द निपटारे का समर्थन किया है. सांसदों ने इसके लिए पारिवारिक न्यायालयों में नियुक्तियों से लेकर अन्य संसाधन देने का भी समर्थन किया.

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