वो कहते थे कि जब उनको पहली बार टिकट मिला तो टारना माता के मंदिर की सीढ़ियां उतर रहे थे और अकेले ही था तभी वीरभद्र सिंह भी अपनी पत्नी और कार्यकर्ताओं के साथ मंदिर जा रहे थे. क्यूंकि उस समय उनको अधिक लोग नहीं जानते थे. तो उन्होंने खुद ही अपना परिचय दिया.
विधाक राकेश जम्वाल ने कहा कि 1997 में जब मैंने भाजपा में युवा मोर्चा के महामंत्री का कार्यभार संभाला तो वो संगठन मंत्री थे. उन्होंने कहा कि एक बार हम दिल्ली गए तो हमें रात के डेढ़ बजे गए. हम हिचकिचा रहे थे लेकिन एक घंटी बजाने पर ही वो उठ गए. इतना ही नहीं सुबह 7 बजे उठकर नाश्ता भी बनाया. राकेश जम्वाल ने कहा कि अगर आज में सदन में हूं तो उनका बहुत बड़ा सहयोग है.
दिवंगत आत्मा की शांति के लिए सदन में कुछ क्षणों का मौन रखा गया.
विधानसभा की कार्यवाही लोकसभा सदस्य रामस्वरूप शर्मा के निधन पर कल तक के लिए स्थगित.