चंडीगढ़/शिमला: नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 8-8 लाख रुपये में पेपर बिका है. इस हिसाब से इस परीक्षा को लेकर करीब 100 करोड़ का लेन-देन हुआ है. विडंबना है कि मामले की एसआईटी बना दी गई, यानी जिस पुलिस विभाग पर आरोप है वहीं, मामले की जांच कर रही है. मुकेश अग्निहोत्री ने सीएम जयराम ठाकुर पर आरोप लगाया कि सीएम इस मामले को दबाने की कोशिश करते रहे, मुख्यमंत्री की कोशिश रही कि इसमें मामला दर्ज ना हो और जल्द से जल्द रिजल्ट निकाल दिया जाए, लेकिन मुख्यमंत्री के ना चाहने के बावजूद अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज कर दी. इस पूरे मामले को संगठित अपराध की तरह अंजाम दिया गया, एक गिरोह की तरह काम किया गया, जिसमें पुलिस हेडक्वार्टर भी शामिल है.
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि ये पहली बार नहीं है जब कोई परीक्षा लीक हुई हो, इस सरकार के शासन काल में शायद ही कोई पेपर हो जो लीक ना हुआ हो. पुलिस भर्ती पेपर लीक में पेपर खरीदने वालों का तो पता चल रहा है, लेकिन पेपर बेचा किसने, पेपर लीक (Mukesh Agnihotri on cm jairam thakur) किसने किया. इसे लेकर अब तक एक भी नाम सामने नहीं आया है. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इस मामले को हिमाचल में मीडिया से लेकर पुलिस प्रशासन तक पर रोक लगा दी गई है. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इस पेपर लीक के लिए सीधे-सीधे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जिम्मेदार हैं और अगर मुख्यमंत्री की इस मामले में कोई भागीदारी नहीं है तो इस मामले की न्यायिक जांच हो या फिर इसकी सीबीआई जांच हाईकोर्ट की निगरानी होनी चाहिए.
करीब 100 करोड़ रुपये का लेनदेन: नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 1700 पोस्ट के लिए 1 लाख 87 हजार ने अप्लाई किया था जिसमें 75 हजार अभयर्थियों ने फिजिकल टेस्ट पास किया था और 26 हजार ने परीक्षा पास की. मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि एक बड़ा जॉब स्कैम (HP POLICE PAPER LEAK CASE) हुआ है जिसे दबाने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि इसमें पुलिस भी शामिल है. अग्निहोत्री ने कहा कि पुलिस भर्ती का पेपर 8-8 लाख में बिका है, जोकि 1500 से लेकर 2000 लोगों ने खरीदा है. अग्निहोत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि करीब 100 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है. अब सवाल उठता है क्योंकि मुख्यमंत्री के पास ही गृह विभाग है. अब अगर मुख्यमंत्री इसमें शामिल नहीं हैं तो वो न्यायिक जांच के आदेश दें या सीबीआई जांच करवाएं.
अग्निहोत्री ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री जानबूझ कर एसआईटी की जांच करवा रहे हैं, ताकि मामले को दबाया जा सके. मामले में वही अफसर जांच के लिए लगाए गए हैं जिनपर शक की सूई घूम रही है. ऐसे में सरकार पर सवाल उठना लाजमी है. अग्निहोत्री ने आरोप लगाया कि 2020 में जो पुलिस का पेपर लीक हुआ था उसमें लोग डिजिटल इंस्ट्रूमेंट ले गए, जबकि बाहर पेपर सॉल्वर्स को बैठाया गया था. अगर उस समय ही बड़ी कार्रवाई की गई होती तो आज दलालों की इतनी हिम्मत नहीं पड़ती.
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