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गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर दिखेगी कुल्लू दशहरा की झांकी, भगवान रघुनाथ के साथ अन्य देवता रहेंगे आकर्षण का केंद्र

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के राजपथ पर इस बार हिमाचल का गौरव बढ़ेगा. राजपथ पर 26 जनवरी को आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार हिमाचल के कुल्लू दशहरे की झलक देखने को मिलेगी. इस झांकी में मुख्य आकर्षण भगवान रघुनाथ का रथ का होगा, जिसे सात लोग राजपथ पर एक साथ खींचेंगे.

कुल्लू दशहरा मॉडल
Kullu Dussehra model
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Published : Dec 29, 2019, 7:27 PM IST

शिमला: गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के राजपथ पर इस बार हिमाचल का गौरव बढ़ेगा. राजपथ पर 26 जनवरी को आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार हिमाचल के कुल्लू दशहरे की झलक देखने को मिलेगी. इस झांकी में मुख्य आकर्षण भगवान रघुनाथ का रथ का होगा, जिसे सात लोग राजपथ पर एक साथ खींचेंगे.

26 जनवरी को राजपथ पर आयोजित होने वाली परेड के लिए हिमाचल से तीन मॉडल भेजे गए थे, जिसमें से कुल्लू दशहरे के मॉडल ने तीनों राउंड पार कर लिए हैं अन्य दो मॉडल में हिमाचल से कांगड़ा पेंटिंग और मंडी छोटी काशी का मॉडल भेजा गया था.

झांकी में भगवान रधुनाथ जिनसे कुल्लू दशहरे की पहचान है उनके रथ को मॉडल में शामिल किया गया है. इसके साथ ही कुल्लू दशहरे की पूरी झलक लोगों को राजपथ पर दिखे इसके लिए भगवान रधुनाथ के रथ के साथ दो अन्य देवताओं के रथ भी मॉडल में शामिल होंगे, जिन्हें लोग अपने कंधों पर उठा कर राजपथ पर चलेंगे.

इस दौरान झांकी के साथ देव धुन बजाने वाले कलाकार भी शामिल होंगें. पारंपरिक वाद्य यंत्रों और पारंपरिक वेशभूषा में कलाकार धुन को झांकी के साथ बजाएंगे. ये धुन करीब 65 सेकेंड तक लगातार बजेगी. इससे पहले 2018 में गोंपा मठ की झांकी 26 जनवरी को राजपथ पर दिखाई गई थी. वहीं, 2019 में महात्मा गांधी पर आधारित झांकी का मॉडल हिमाचल से भेजा गया था जो फाइनल राउंड में बाहर हो गया था.

प्रदेश भाषा कला एवं संस्कृति विभाग की निदेशक कुमुद सिंह ने बताया कि इस बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड के लिए हिमाचल कुल्लू दशहरे के मॉडल ने तीनों राउंड पार कर लिए हैं. रक्षा मंत्रालय की ओर से इस बार झांकी के लिए कल्चर और फेस्टिवल थीम दी गई थी, जिसके आधार पर हिमाचल से तीन मॉडल भेजे गए थे. रक्षा मंत्रालय ने कुल्लू दशहरे की झांकी को मंजूरी दी है. हालांकि अभी दो जनवरी को रक्षा मंत्रालय के साथ बैठक होनी है, जिसमें मानकों के तहत मॉडल में बदलाव को लेकर चर्चा की जाएगी.

वीडियो

बैठक के बाद ही राजपथ पर जाने वाले मॉडल को अंतिम रूप दिया जाएगा. तय मानकों में मॉडल की ऊंचाई 16 फुट, लंबाई 45 फुट और चौड़ाई 14 फुट होनी चाहिए. कुल्लू दशहरे का ये मॉडल एचपीयू में विजुअल आटर्स विभाग के प्रोफेसर ओर प्रसिद्ध आर्टिस्ट हिम चटर्जी तैयार किया है.

हिमाचल की झांकियां पहले भी राजपथ पर शोभा बढ़ा चुकी है. प्रदेश का गौरव गणतंत्र दिवस की परेड में राजपथ पर सबसे पहले वर्ष 2007 में लाहौल स्पीति की झांकी ने गौरव बढ़ाया था. इसके बाद वर्ष 2012 में किन्नौर और वर्ष 2017 में चंबा रुमाल और इसके बाद वर्ष 2018 में लाहौल स्पीति के की-गोंपा झांकी ने प्रदेश का गौरव बढ़ाया था.

हालांकि हिमाचल को बहुत कम बार ये गौरव प्राप्त हुआ है, लेकिन इस बार एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे ने हिमाचल को राजपथ पर अपना गौरव स्थापित करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है.

ये भी पढ़ें: ईयर इंडर 2019: हिमाचल को मिले दो गवर्नर, ब्यूरोक्रेसी में देखने को मिला बड़ा फेरबदल

शिमला: गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के राजपथ पर इस बार हिमाचल का गौरव बढ़ेगा. राजपथ पर 26 जनवरी को आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार हिमाचल के कुल्लू दशहरे की झलक देखने को मिलेगी. इस झांकी में मुख्य आकर्षण भगवान रघुनाथ का रथ का होगा, जिसे सात लोग राजपथ पर एक साथ खींचेंगे.

26 जनवरी को राजपथ पर आयोजित होने वाली परेड के लिए हिमाचल से तीन मॉडल भेजे गए थे, जिसमें से कुल्लू दशहरे के मॉडल ने तीनों राउंड पार कर लिए हैं अन्य दो मॉडल में हिमाचल से कांगड़ा पेंटिंग और मंडी छोटी काशी का मॉडल भेजा गया था.

झांकी में भगवान रधुनाथ जिनसे कुल्लू दशहरे की पहचान है उनके रथ को मॉडल में शामिल किया गया है. इसके साथ ही कुल्लू दशहरे की पूरी झलक लोगों को राजपथ पर दिखे इसके लिए भगवान रधुनाथ के रथ के साथ दो अन्य देवताओं के रथ भी मॉडल में शामिल होंगे, जिन्हें लोग अपने कंधों पर उठा कर राजपथ पर चलेंगे.

इस दौरान झांकी के साथ देव धुन बजाने वाले कलाकार भी शामिल होंगें. पारंपरिक वाद्य यंत्रों और पारंपरिक वेशभूषा में कलाकार धुन को झांकी के साथ बजाएंगे. ये धुन करीब 65 सेकेंड तक लगातार बजेगी. इससे पहले 2018 में गोंपा मठ की झांकी 26 जनवरी को राजपथ पर दिखाई गई थी. वहीं, 2019 में महात्मा गांधी पर आधारित झांकी का मॉडल हिमाचल से भेजा गया था जो फाइनल राउंड में बाहर हो गया था.

प्रदेश भाषा कला एवं संस्कृति विभाग की निदेशक कुमुद सिंह ने बताया कि इस बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड के लिए हिमाचल कुल्लू दशहरे के मॉडल ने तीनों राउंड पार कर लिए हैं. रक्षा मंत्रालय की ओर से इस बार झांकी के लिए कल्चर और फेस्टिवल थीम दी गई थी, जिसके आधार पर हिमाचल से तीन मॉडल भेजे गए थे. रक्षा मंत्रालय ने कुल्लू दशहरे की झांकी को मंजूरी दी है. हालांकि अभी दो जनवरी को रक्षा मंत्रालय के साथ बैठक होनी है, जिसमें मानकों के तहत मॉडल में बदलाव को लेकर चर्चा की जाएगी.

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बैठक के बाद ही राजपथ पर जाने वाले मॉडल को अंतिम रूप दिया जाएगा. तय मानकों में मॉडल की ऊंचाई 16 फुट, लंबाई 45 फुट और चौड़ाई 14 फुट होनी चाहिए. कुल्लू दशहरे का ये मॉडल एचपीयू में विजुअल आटर्स विभाग के प्रोफेसर ओर प्रसिद्ध आर्टिस्ट हिम चटर्जी तैयार किया है.

हिमाचल की झांकियां पहले भी राजपथ पर शोभा बढ़ा चुकी है. प्रदेश का गौरव गणतंत्र दिवस की परेड में राजपथ पर सबसे पहले वर्ष 2007 में लाहौल स्पीति की झांकी ने गौरव बढ़ाया था. इसके बाद वर्ष 2012 में किन्नौर और वर्ष 2017 में चंबा रुमाल और इसके बाद वर्ष 2018 में लाहौल स्पीति के की-गोंपा झांकी ने प्रदेश का गौरव बढ़ाया था.

हालांकि हिमाचल को बहुत कम बार ये गौरव प्राप्त हुआ है, लेकिन इस बार एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे ने हिमाचल को राजपथ पर अपना गौरव स्थापित करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है.

ये भी पढ़ें: ईयर इंडर 2019: हिमाचल को मिले दो गवर्नर, ब्यूरोक्रेसी में देखने को मिला बड़ा फेरबदल

Intro:नोट: पैकेज व्रैप से चैक करें।

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के राजपथ पर इस बार हिमाचल का गौरव बढ़ेगा। राजपथ पर 26 जनवरी को आयोजित होने वाले गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार हिमाचल की कुल्लू दशहरे की झलक देखने के लिए मिलेगी। राजपथ पर दिखाई जाने वाली अलग-अलग राज्यों की झांकियों में इस बार हिमाचल की झांकी भी शामिल होगी और यह झांकी हिमाचल के प्रसिद्ध कुल्लू दशहरे पर आधारित होगी। अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे जहां विश्वभर में प्रसिद्ध है तो वहीं अब इस पर आधारित झांकी राजपथ पर अपनी धूम मचाएगी। इस झांकी में मुख्य आकर्षण होगा भगवान रघुनाथ का रथ जिसे सात लोग राजपथ पर एक साथ खींचेगे।


Body:खास बात यह है कि 26 जनवरी को राजपथ पर आयोजित होने वाली परेड के लिए हिमाचल से तीन मॉडल भेजे गए थे जिसमें से कुल्लू दशहरे के मॉडल ने तीनों राउंड पार कर लिए है। अन्य दो मॉडल में हिमाचल से कांगड़ा पेंटिंग ओर मंडी छोटी काशी का मॉडल भेजा गया था जिसमें से कुल्लू दशहरे को ही स्वीकृत किया गया है। बता दे की इस झांकी में भगवान रधुनाथ जिनसे की कुल्लू दशहरे की पहचान है उनके रथ को मॉडल में शामिल किया गया है। इसके साथ ही कुल्लू दशहरे की पूरी झलक लोगों को राजपथ पर दिखे इसके लिए भगवान रधुनाथ के रथ के साथ दो अन्य देवताओं के रथ भी मॉडल में शामिल होंगे जिन्हें लोग अपने कंधों पर उठा कर राजपथ पर चलेंगे। इस झांकी के साथ देव धून बजाने वाले कलाकार भी शामिल होंगें। पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर पारंपरिक वेशभूषा के साथ कलाकार पारंपरिक धुन झांकी के साथ बजाएंगे जो करीब 65 सेकेंड तक लगातार बजेगी। कलाकार ढोल-नगाड़ों के साथ हिमाचली वाद्य यंत्र इस झांकी के साथ बजाएंगे। 2018 के बाद यह गौरव 2020 में हिमाचल को एक बार फिर से मिला है कि हिमाचल की झांकी राजपथ पर देखेगी। पहले 2018 में गोंपा मठ की झांकी राजपथ पर दिखी थी और 2019 में महात्मा गांधी पर आधारित झांकी का मॉडल हिमाचल से भेजा गया था जो फाइनल राउंड में बाहर हो गया था।


Conclusion:प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग की निदेशक कुमुद सिंह ने बताया कि इस बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड के लिए हिमाचल की कुल्लू दशहरे के मॉडल ने तीनों राउंड पर कर लिए है। रक्षा मंत्रालय की ओर से इस बार झांकी के लिए कल्चर ओर फेस्टिवल थीम दी गईं थी जिसके आधार पर हिमाचल से तीन मॉडल भेजे गए थे जिसमें से कुल्लू दशहरे के मॉडल को रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दी है। हालांकि अभी 2 जनवरी को भी रक्षा मंत्रालय के साथ बैठक होनी है जिसमें मानकों के तहत मॉडल में क्या बदवाल किए जाने है किस तरह का संगीत होगा कितने कलाकार शामिल होंगे यह तय होगा। इस बैठक के बाद ही राजपथ पर जाने वाले मॉडल को अंतिम रूप दिया जाएगा। तय मानकों में मॉडल की ऊंचाई 16 फुट, लंबाई 45 ओर चौड़ाई 14 फुट होनी चाहिए। इस बार का कुल्लू दशहरे का मॉडल भी एचपीयू में विजुअल आटर्स विभाग के प्रोफेसर ओर प्रसिद्ध आर्टिस्ट हिम चटर्जी ने ही तैयार किया है।

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हिमाचल की यह झांकियां राजपथ पर बढ़ा चुकी है प्रदेश का गौरव

26 जनवरी गणतंत्र दिवस की परेड में राजपथ पर सबसे पहले वर्ष 2007 में लाहौल स्पीति की झांकी ने गौरव बढ़ाया था।इसके बाद वर्ष 2012 में किन्नौर और वर्ष 2017 में चंबा रुमाल और इसके बाद वर्ष 2018 में लाहौल स्पीति के की-गोंपा झांकी ने प्रदेश का गौरव बढ़ाया था,हालांकि हिमाचल को बहुत कम बात यह गौरव प्राप्त हुआ है लेकिन इस बार एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे ने हिमाचल को राजपथ पर अपना गौरव स्थापित करने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है।
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