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किसान संघर्ष समिति ने मंडी मध्यस्थता योजना लागू करने की उठाई मांग, संजय चौहान ने कही ये बात

किसान संघर्ष समिति के महासचिव संजय चौहान ने सेब के दामों में आई भारी गिरावट व किसानों का मंडियों में हो रहे एपीएमसी कानून की खुली अवहेलना पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि पहले ही प्रदेश में प्राकृतिक आपदा जिसमें भारी ओलावृष्टि, बर्फबारी, वर्षा व सूखे से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. परंतु सरकार ने कुछ हद तक इसका आकलन करने के बावजूद किसी भी किसान को इसकी भरपाई के लिए कोई राहत अभी तक प्रदान नहीं की है.

संजय चौहान, महासचिव, किसान संघर्ष समिति
संजय चौहान, महासचिव, किसान संघर्ष समिति
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Published : Aug 22, 2021, 3:18 PM IST

शिमला: किसान संघर्ष समिति सेब के दामों में आई भारी गिरावट व मंडियों में हो रहे एपीएमसी कानून की खुली अवहेलना पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने सरकार से मांग उठाई कि प्रदेश में मंडी मध्यस्थता योजना को पूर्ण रूप से लागू कर कश्मीर की तर्ज पर ए ग्रेड के सेब के लिए 60 रुपये, बी ग्रेड सेब के लिए 44 रुपये और सी ग्रेड सेब के लिए 24 रुपये प्रति किलो के हिसाब से एचपीएमसी, हिम्फैड व अन्य सहकारी समितियों के माध्यम से खरीद की जाए.

समिति के महासचिव संजय चौहान ने कहा कि सरकार प्रदेश में एपीएमसी कमेटियों की लचर कार्य प्रणाली के कारण मंडियों में एपीएमसी कानून की खुली अवहेलना पर रोक लगाए. कानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू कर मंडियों में खुली बोली लगाई जाए. मंडियों में जिनके पास लाइसेंस व परमिट हैं उन्हें ही कारोबार की इजाजत दी जाए. किसानों को, जिस दिन उत्पाद की बिक्री हो उसी दिन खरीददार व आढ़ती द्वारा भुगतान के प्रावधान को सख्ती से लागू करें.

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कानून की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध सख्ती से कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. यदि सरकार इन मांगों पर अमल नहीं करती है तो समिति किसानों को लामबंद कर आंदोलन करेगी. संजय चौहान ने कहा कि सेब के दामों में आई भारी गिरावट व निरंतर लागत वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण आज सेब की 5000 करोड़ रुपये की आर्थिकी गहरे संकट में चली गई है. सरकार की नीतियों के कारण आज कृषि व बागवानी में लागत कीमत में निरंतर वृद्धि हो रही है.

खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं पर जो सब्सिडी व सहायता प्रदान की जाती थी, वह बिल्कुल समाप्त कर दी गई है. आज किसान बाजार से वस्तुएं महंगे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर हैं. आज सेब के दाम औसतन 300 से 1400 रुपये प्रति पेटी मिल रहे हैं, जो कि पिछले 15 वर्षों में सबसे कम है. उन्होंने कहा कि पहले ही प्रदेश में प्राकृतिक आपदा जिसमें भारी ओलावृष्टि, बर्फबारी, वर्षा व सूखे से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. परंतु सरकार ने कुछ हद तक इसका आकलन करने के बावजूद किसी भी किसान को इसकी भरपाई के लिए कोई राहत अभी तक प्रदान नहीं की है.

ये भी पढ़ें: धर्मशाला मेरा दूसरा घर, राजनीतिक सफर में बड़ा योगदान: अनुराग ठाकुर

शिमला: किसान संघर्ष समिति सेब के दामों में आई भारी गिरावट व मंडियों में हो रहे एपीएमसी कानून की खुली अवहेलना पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने सरकार से मांग उठाई कि प्रदेश में मंडी मध्यस्थता योजना को पूर्ण रूप से लागू कर कश्मीर की तर्ज पर ए ग्रेड के सेब के लिए 60 रुपये, बी ग्रेड सेब के लिए 44 रुपये और सी ग्रेड सेब के लिए 24 रुपये प्रति किलो के हिसाब से एचपीएमसी, हिम्फैड व अन्य सहकारी समितियों के माध्यम से खरीद की जाए.

समिति के महासचिव संजय चौहान ने कहा कि सरकार प्रदेश में एपीएमसी कमेटियों की लचर कार्य प्रणाली के कारण मंडियों में एपीएमसी कानून की खुली अवहेलना पर रोक लगाए. कानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू कर मंडियों में खुली बोली लगाई जाए. मंडियों में जिनके पास लाइसेंस व परमिट हैं उन्हें ही कारोबार की इजाजत दी जाए. किसानों को, जिस दिन उत्पाद की बिक्री हो उसी दिन खरीददार व आढ़ती द्वारा भुगतान के प्रावधान को सख्ती से लागू करें.

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कानून की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध सख्ती से कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. यदि सरकार इन मांगों पर अमल नहीं करती है तो समिति किसानों को लामबंद कर आंदोलन करेगी. संजय चौहान ने कहा कि सेब के दामों में आई भारी गिरावट व निरंतर लागत वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण आज सेब की 5000 करोड़ रुपये की आर्थिकी गहरे संकट में चली गई है. सरकार की नीतियों के कारण आज कृषि व बागवानी में लागत कीमत में निरंतर वृद्धि हो रही है.

खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं पर जो सब्सिडी व सहायता प्रदान की जाती थी, वह बिल्कुल समाप्त कर दी गई है. आज किसान बाजार से वस्तुएं महंगे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर हैं. आज सेब के दाम औसतन 300 से 1400 रुपये प्रति पेटी मिल रहे हैं, जो कि पिछले 15 वर्षों में सबसे कम है. उन्होंने कहा कि पहले ही प्रदेश में प्राकृतिक आपदा जिसमें भारी ओलावृष्टि, बर्फबारी, वर्षा व सूखे से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. परंतु सरकार ने कुछ हद तक इसका आकलन करने के बावजूद किसी भी किसान को इसकी भरपाई के लिए कोई राहत अभी तक प्रदान नहीं की है.

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