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पंडित सुखराम के निधन से दुखी हूं: जयराम ठाकुर - सुखराम के निधन से दुखी हूं

सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि मैं पंडित सुखराम के निधन से दुखी (Jairam Thakur on Pandit Sukh Ram)हूं. पंडित सुखराम बड़े नेता थे.उन्होंने संचार क्रांति के तौर पर जो किया उसे भुलाया नहीं जा सकता. इसका फायदा हिमाचल को ही नहीं,बल्कि पूरे देश को हुआ.

पंडित सुखराम के निधन से दुखी हूं
पंडित सुखराम के निधन से दुखी हूं
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Published : May 11, 2022, 4:21 PM IST

शिमला: सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि मैं पंडित सुखराम के निधन से दुखी (Jairam Thakur on Pandit Sukh Ram)हूं. पंडित सुखराम बड़े नेता थे.उन्होंने संचार क्रांति के तौर पर जो किया उसे भुलाया नहीं जा सकता. इसका फायदा हिमाचल को ही नहीं,बल्कि पूरे देश को हुआ. पंडित जयराम कांग्रेस की सरकार में केंद्र में मंत्री भी रहे. साथ ही प्रदेश में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई. जिसने विधानसभा में भाजपा को समर्थन दिया. इस दुख की घड़ी में मैं उनके परिवार के साथ खड़ा हूं.

बता दें कि दिल्ली स्थित एम्स में पंडित सुखराम ने अंतिम सांस ली. बीती रात को पंडित सुखराम को फिर से दिल का दौरा पड़ा, जिस कारण उनका देहांत हो गया. इससे पहले 9 मई को भी उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था.उनके पोते आश्रय शर्मा (aashray sharma on pandit sukhram death) ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने दादा के निधन की जानकारी दी है. उन्होंने लिखा, ''अलविदा दादा जी, अब नहीं बजेगी टेलिफोन की घंटी''.

वीडियो

4 मई को मनाली में पंडित सुखराम को ब्रेन स्ट्रोक हुआ था. जिसके बाद उन्हें जोनल अस्पताल मंडी में उपचार के लिए भर्ती करवाया गया था. 7 मई सुबह 9:30 बजे पंडित सुखराम को बेहतर इलाज के लिए राज्य सरकार के हेलीकॉप्टर के माध्यम से दिल्ली ले जाया गया था. जहां एम्स में पंडित सुखराम भर्ती थे. पंडित सुखराम 95 वर्ष के थे. काफी लंबे समय तक उन्होंने देश-प्रदेश की राजनीति में अपना सक्रिय योगदान दिया है.

ये भी पढ़ें :27 साल पहले बजी थी देश में मोबाइल की पहली घंटी, पंडित सुखराम ने कहा था पहला HELLO

ये भी पढ़ें :जमीन से शुरू हुआ और आकाश तक पहुंचा था तुंगल के शेर का राजनीतिक सफर, सुखराम की सुनी-अनसुनी कहानियां

शिमला: सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि मैं पंडित सुखराम के निधन से दुखी (Jairam Thakur on Pandit Sukh Ram)हूं. पंडित सुखराम बड़े नेता थे.उन्होंने संचार क्रांति के तौर पर जो किया उसे भुलाया नहीं जा सकता. इसका फायदा हिमाचल को ही नहीं,बल्कि पूरे देश को हुआ. पंडित जयराम कांग्रेस की सरकार में केंद्र में मंत्री भी रहे. साथ ही प्रदेश में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई. जिसने विधानसभा में भाजपा को समर्थन दिया. इस दुख की घड़ी में मैं उनके परिवार के साथ खड़ा हूं.

बता दें कि दिल्ली स्थित एम्स में पंडित सुखराम ने अंतिम सांस ली. बीती रात को पंडित सुखराम को फिर से दिल का दौरा पड़ा, जिस कारण उनका देहांत हो गया. इससे पहले 9 मई को भी उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था.उनके पोते आश्रय शर्मा (aashray sharma on pandit sukhram death) ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने दादा के निधन की जानकारी दी है. उन्होंने लिखा, ''अलविदा दादा जी, अब नहीं बजेगी टेलिफोन की घंटी''.

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4 मई को मनाली में पंडित सुखराम को ब्रेन स्ट्रोक हुआ था. जिसके बाद उन्हें जोनल अस्पताल मंडी में उपचार के लिए भर्ती करवाया गया था. 7 मई सुबह 9:30 बजे पंडित सुखराम को बेहतर इलाज के लिए राज्य सरकार के हेलीकॉप्टर के माध्यम से दिल्ली ले जाया गया था. जहां एम्स में पंडित सुखराम भर्ती थे. पंडित सुखराम 95 वर्ष के थे. काफी लंबे समय तक उन्होंने देश-प्रदेश की राजनीति में अपना सक्रिय योगदान दिया है.

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