शिमला: कोरोना जैसी लाइलाज महामारी के दौर में जयराम सरकार में हुए सेनिटाइजर घोटाले की विजिलेंस जांच का फंदा सचिवालय के एक सुपरिंटेंडेंट के गले में पड़ता नजर आ रहा है. कहा जा रहा है कि इस सुपरिंटेंडेंट का रसूख बेमिसाल है. बहरहाल विजिलेंस टीम सीसीटीवी फुटेज अपने साथ ले गई है और मिनट दर मिनट की फुटेज खंगाली जा रही है.
सचिवालय में हुए इस सेनिटाइजर घोटाले के गूंज जब सचिवालय के गलियारों में गूंजी तो मुख्यमंत्री राम ठाकुर के पास विजिलेंस जांच के अलावा कोई चारा नहीं बचा. ऐसे में उन्होंने इस मामले की विजिलेंस जांच के आदेश दे डाले.
सेनिटाइजर घोटाले की कड़ियां जोड़ने में जुटी विजिलेंस
अब विजिलेंस सीसीटीवी फुटेज से लेकर क्लर्कों के बयानों को लेकर इस घोटाले की कड़ियां जोड़ने में लगी है. कहा जा रहा है कि सेनिटाइजर घोटाले के सामने आने से पहले इस सुपरिंटेंडेंट को इस शाखा से बदलने का तीन बार जयराम ठाकुर के बड़े बाबुओं से आग्रह किया जा चुका है लेकिन आला अधिकारियों ने एक बार भी इस आग्रह पर गौर नहीं फरमाया है. बताते है कि इस सुपरिंटेंडेंट की सरकार के समर्थक एक संगठन में अंदर तक पैठ है.
खंगाला जा रहा सचिवालय का सीसीटीवी फुजेट
प्रदेश सचिवालय में चर्चा है कि गेट पर लगे सीसीटीवी फुटेज के अनुसार सुपरिंटेंडेंट और सप्लायर एक ही सरकारी गाड़ी से पहुंचते हैं और साथ कि अंदर आते हुए दिखाई देते हैं. चर्चा यह भी है कि स्टोर रूम में ही पेटियां फाड़ कर सेनिटाइजर की शीशियों पर अंकित मूल्य 30 रुपए के स्थान पर 130 रुपए की मुहर लगाई गई. हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है यह अभी जांच का विषय है और विजिलेंस मामले से संबंधित दस्तावेज अपने साथ ले गई है इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज भी खंगाला जा रहा है.
सुपरिंटेंडेंट की पहले भी हो चुही है शिकायत
इस संबंध में जांच एजेंसी ने तीन क्लर्कों के बयान भी दर्ज किए हैं और इन सभी ने यह बात लिखित में स्वीकार की है कि 30 रुपए के स्थान पर 130 रुपए की मुहर लगाई है. चर्चा है कि सुपरिंटेंडेंट की शिकायत पहले भी आला अधिकारियों से कई बार की गई है और किसी अन्य ब्रांच में ट्रांसफर की मांग भी की गई थी लेकिन आला अधिकारियों ने हर बार ट्रांसफर की बात को अनसुना कर दिया. दरअसल मामले में 18 मार्च से लेकर 20 अप्रैल तक के सीसीटीवी फुटेज की जांच हो रही है. वीरवार को विजिलेंस ने एसएडी से पूरा रिकॉर्ड कब्जे में लिया था.
पहले चरण में सप्लाई हुई थी सेनिटाइजर की 2900 यूनिट
प्राप्त जानकारी के मुताबिक एसएडी ने एनआईसी के माध्यम से बीते 11 मार्च को टेंडर आमंत्रित किया था, जिसमें छह निविदाएं आईं. इनमें से सबसे कम रेट वाला 130 रुपए प्रति सेनिटाइजर फाइनल हुआ. पहले चरण में सेनिटाइजर की 2900 यूनिट की सप्लाई हुई, जिसका रेट 130 रुपए तय हुआ था. उसी बीच केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन जारी हुई, जिसमें कहा गया था कि सेनेटाइजर का रेट 50 रुपए से अधिक नहीं होगा. उसके बाद ही 50 रुपए के सेनेटाइजर पर 130 रुपए की मुहर लगाने का मामला सामने आया. इसमें गौर करने वाली बात यह भी है कि केंद्रीय गाइड लाइन के बाद ठेकेदार 50 रुपए प्रति यूनिट के अनुसार सेनिटाइजर की सप्लाई करने को राजी हो गया. पूरे मामले में अभी तक ठेकेदार को पेमेंट भी नहीं दी है
टेंडर प्रक्रिया में छह लोगों ने लिया था हिस्सा
वहीं एसएडी के अंडर सेक्रेटरी पुष्पलता सिंघा ने कहा कि सेनिटाइजर की सप्लाई के लिए एसएडी का काम सिर्फ टेंडर फाइनल करने तक ही था. उन्होने कहा कि 11 मार्च को एनआईसी के माध्यम से ऑनलाइन टेंडर आमंत्रित किए और 18 मार्च को ओपन हुई टेंडर प्रक्रिया में छह लोगों ने भाग लिया था और सबसे कम 130 रुपए रेट वाले को सेनेटाइजर की सप्लाई करने के लिए कह दिया.
सेनिटाइजर की सप्लाई में एसएडी का कोई रोल नहीं
पहली खेप में करीब 28 हजार से अधिक सेनिटाइजर की सप्लाई हुई. इसी बीच केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर 50 रुपए के हिसाब से सेनिटाइजर खरीदने को कहा. एसएडी ने उस ठेकेदार को केंद्रीय गाइडलाइन के मुताबिक सेनिटाइजर की सप्लाई करने को कहा था, जिसके लिए वह राजी भी हो गया था. पुष्पलता सिंघा ने कहा कि सेनिटाइजर की सप्लाई में एसएडी का कोई रोल नहीं है.
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