शिमला: हिमाचल की राजधानी शिमला में कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों तथा उनके परिजनों की भूख को शांत करने वाला सेवा संकल्प नियमों की भेंट चढ़ गया. अपने सेवाभाव के लिए बेला बॉबी के नाम से मशहूर सरदार सरबजीत सिंह बॉबी ने भूख के दानव को एक मुट्ठी अन्न के मंत्र से परास्त किया था. कैंसर अस्पताल के समीप गुरु के लंगर में रोजाना तीन हजार से अधिक लोग निशुल्क भोजन पाते थे.
सेवा का ये संकल्प ऐसा था कि यहां पूर्व सीएम स्व. वीरभद्र सिंह, पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत सहित कई वीवीआईपी ने भोजन बांटने की सेवा की. कुछ समय से नियम व कानून इस सेवा प्रकल्प के आड़े आ गए. आईजीएमसी अस्पताल प्रशासन (IGMC Hospital Administration) का कहना है कि बॉबी के लंगर वाले स्थान को लेकर टेंडर, अनुमतियों व बिजली कनेक्शन जैसे नियम फॉलो नहीं हो रहे. इसकी आड़ में प्रशासन ने पुलिस को बुलाकर लंगर का सामान बाहर फेंकवा दिया. इसकी सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हो रही है. कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह (Congress MLA Vikramaditya Singh) से लेकर कई अन्य प्रभावशाली लोग बॉबी के पक्ष में आ गए हैं.
खुद स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे सरबजीत सिंह ने आम जनता से ही इस अभियान को गति देने की अपील की है. यहां इस घटनाक्रम के संदर्भ में बॉबी के सेवा कार्यों के बारे में जानना जरूरी है. सरबजीत सिंह वैसे तो ब्लड डोनेशन कैंप्स व अन्य माध्यमों से मानवता की सेवा करते ही आ रहे थे, लेकिन विशाल सेवा संकल्पों का सफर 2014 में शुरू हुआ. अक्टूबर 2014 में उन्होंने आईजीएमसी अस्पताल के समीप रीजनल कैंसर सेंटर (Regional Cancer Center near IGMC Hospital) में मरीजों को चाय-बिस्किट से सेवा की शुरुआत की. धीरे-धीरे मरीजों को सूप, दलिया देने लगे. लोगों का सहयोग मिला तो चावल, दाल, खिचड़ी का प्रबंध किया.
अब आलम यह है कि एक दिन में सुबह से लेकर रात तक तीन हजार से अधिक लोग निशुल्क रूप से भरपेट भोजन पाते थे, जो लोग चावल न लेना चाहें, उनके लिए गर्म रोटियों का भी प्रबंध है. सरबजीत सिंह ने पीड़ित मानवता की सेवा के लिए पांच साल पहले शहर के स्कूली बच्चों के सामने एक रोटी रोज का मंत्र रखा. उसका असर ये हुआ कि शिमला के कई स्कूलों के बच्चे सप्ताह में एक से अधिक दिन दो रोटियां एक्स्ट्रा लाने लगे. ये रोटियां जमा कर लंगर में दी जाती रहीं. संस्था ने रोटियां गर्म करने के लिए खास मशीन खरीदी है. इसके अलावा स्कूली बच्चे घरों से एक मुट्ठी अन्न भी लाते थे. ये सिलसिला लगातार चला.
कोरोना काल में ये बेशक कुछ समय के लिए थम गया था, लेकिन लंगर में अन्न व अन्य तरीकों से सहयोग करने वालों की कोई कमी नहीं है. बहुत से लोग स्वेच्छा से लंगर के लिए बासमती चावल, पैक्ड दालें आदि भेंट करते हैं. कई लोग धन से भी मदद करते रहे. यही कारण है कि सेवा का ये संसार खूब फल-फूल रहा था. बड़ी बात ये है कि लंगर में भोजन बांटे जाने से पहले भगवान से प्रार्थना की जाती और सभी की भलाई की अरदास की जाती है.
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह भी इस लंगर में भोजन बांट चुके हैं. उनके परिवार के सदस्यों के साथ कई वीवीआईपी लोग भी अपने पैसे से लंगर देते हैं और उस दिन खुद ही भोजन भी बांटते हैं. सरबजीत सिंह का सपना है कि कोई भी बीमार व्यक्ति व उनके परिजन भूखे नहीं रहने चाहिए और किसी को भी एंबुलेंस के बिना कष्ट का सामना न करना पड़े. उन्होंने कैंसर व अन्य गंभीर रूप से बीमार लोगों की सेवा के लिए अस्पताल तक आने व जाने को सुलभ बनाया. एंबुलेंस सेवा शुरू की. इसके अलावा वे डेड बॉडी वैन भी संचालित करते हैं. लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था भी सरबजीत सिंह की संस्था ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स के जरिए हो रही है.
इस लंगर को लेकर बाद में कई विवाद सामने आने लगे. वहीं, आम जनता का कहना है कि यदि कोई रोजाना हजारों पीड़ित लोगों को निशुल्क भोजन उपलब्ध करवा रहा है तो प्रशासन को भी नियमों में कुछ छूट देनी चाहिए. इस संबंध में लंगर मैनेजर दीपिका ने बताया कि हम मरीजों व तीमारदारों के हित में कार्य कर रहे हैं. कई वर्षों से हम मरीजों व तीमारदारों के लिए निशुल्क लंगर की सुविधा प्रदान कर रहे हैं. प्रशासन अधिकारियों के साथ सुरक्षा कर्मी सहित कुछ कर्मचारी दिन के समय आए और हमारा सामान बाहर निकाल दिया.
दीपिका ने कहा कि जब हम उन्हें रोक रहे थे तो उन्होंने हमारे कर्मचारियों के साथ धक्का-मुक्की की. हमने जो मरीजों व तीमारदारों के लिए दिन के समय का खाना तैयार किया था. उसे भी बाहर निकाला गया. हमारी सरकार से भी मांग है कि लंगर बंद न किया जाए. उन्होंने कहा कि सरबजीत सिंह बॉबी अभी शिमाला में नहीं है. उनका किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है और वे चंडीगढ़ में अपना उपचार करवा रहे हैं.
ये है लंगर विवाद: जनवरी में आईजीएमसी प्रशासन ने संस्था को टेंडर प्रक्रिया से आने के लिए कहा, लेकिन संस्था ने टेंडर में भाग नहीं लिया. ऐसे में प्रशासन ने संस्था को जगह खाली करने को कहा उस दौरान भी काफी विवाद हुआ. उस दौरान सरबजीत सिंह बॉबी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वह 31 मार्च 2021 को ये जगह खाली कर देंगे और चाबी एमएस को सौंप देंगे, लेकिन अब सितंबर शुरू होने के बावजूद जब संस्था ने जगह खाली नहीं की तो एमएस डॉ. जनक राज ने 4 सितंबर को खाली करने को कहा.
आईजीएमसी के एमएस डॉ जनक राज (IGMC MS Dr. Janak Raj) के नेतृत्व में अस्पताल प्रशासन मौके पर पहुंचा और निजी संस्था से जब पूछा कि आपके पास अस्पाल की संपत्ति पर लंगर लगाने को लेकर कोई कागज है तो संस्था में काम कर करने वालों ने संतोष जनक जवाब नहीं दिया. इसके बाद एमएस ने पूछा कि बिजली पानी का मीटर कहां है तो उसका भी जवाब नहीं दिया. एमएस ने बिजली विभाग को निर्देश दिए कि वह मीटर चेक करें और यदि अवैध है तो तुरंत काट दें.
आईजीएमसी में शनिवार, 4 सितंबर को दोपहर बाद कैंसर अस्पताल के समीप चल रहे लंगर में विवाद खड़ा हो गया. आईजीएमसी प्रशासन ने लंगर लगाने वाली जगह को अवैध बता कर खाली करवा लिया. प्रशासन की ओर से जांच में सामने आया है लंगर में बिजली और पानी के कनेक्शन अवैध हैं. इसी पर कार्रवाई करते हुए आईजीएमसी प्रशासन ने शानिवार दोपहर अपने सुरक्षा कर्मियों को भेज कर स्थान खाली कराने को कहा. इस बीच वहां धक्का मुक्की भी हो गई. सूचना मिलते ही क्यूआरटी ने मोर्चा संभाला और शांत करवाया.
वहीं, आईजीएमसी के एमएस डॉ जनक राज (IGMC MS Dr. Janak Raj) ने बताया कि अस्पताल की संपत्ति पर अवैध कब्जा है इसलिए उसे हटाया जा रहा है. लंगर बंद नहीं हुआ है. मरीजों को खाना मिल रहा है. उनका कहना था कि अवैध को नियमित करने के लिए टेंडर प्रक्रिया होती है बॉबी टेंडर भरे.
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