शिमलाः प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में लॉकडाउन के दौरान शुरू की गई ई-ओपीडी मरीजों के लिए वरदान साबित हुई है. मरीजों ने फोन पर ही संबंधित विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेकर अपना इलाज जारी रखा.
आईजीएमसी के आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान बीते ढ़ाई महीनों में 10,000 मरीजों ने अपनी बीमारी के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श लिया. हिमाचल में ई-ओपीडी शुरू होने से जहां मरीजों को भाग दौड़ से राहत मिली, वहीं कोरोना संकट में लोगों को घर बैठे ही इलाज की सुविधा का लाभ उठाया.
गौरतलब है कि 24 मार्च से कर्फ्यू लगने के बाद आईजीएमसी में भी ओपीडी बंद कर दी गई थी और केवल गम्भीर मरीजों का इलाज ही अपातकाल विभाग में किया जा रहा था. ऐसे में रूटीन मरीजों का इलाज प्रभावित ना हो इसके लिए ई-ओपीडी शुरू की गई और हेल्पलाइन नंबर जारी कर मरीजों को अपने चिकित्सक से इलाज संबंधी जानकारी के लिए सुविधा प्रदान की.
लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में गाड़ी के चलने पर भी प्रतिबंध था और सिर्फ एम्बुलेंस के जरिए ही गंभीर रूप से बीमार मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा था. ऐसे में लोगों ने ई-ओपोडी का लाभ उठाया और अब तक 10,000 मरीजों को फोन के माध्यम से इसका लाभ मिल चुका है.
ई-ओपीडी के सफल होने के बाद अब आईजीएमसी प्रशासन ने मरीजों के सुविधा के लिए एक कमेटी का गठन किया है. अब आईजीएमसी प्रशासन ई-ओपीडी को आगे बढ़ाते हुए ई-संजीवनी क्लिनिक शुरू करने जा रहा है. इससे मरीजों को घर बैठे इलाज की सुविधा मिल सकेगी और फोन पर भी चिकित्सक से परामर्श लिया जा सकेगा.
इस बारे में आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता ने बताया कि ई-ओपीडी में अब तक 10,000 मरीज इलाज संबंधी जानकारी ले चुके हैं और अब इसे और मजबूत करते हुए ई-संजीविनी क्लिनिक शुरू करने की योजना है. अब esanjeevaniopd.in पर कोई भी मरीज इलाज की सुविधा ले सकता है.
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