शिमला: त्योहारी सीजन के दौरान लोगों को कोई परेशानी न हो और यातायात व्यवस्थता सुचारु रुप से चल सके इसके लिए एचआरटीसी कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल वापिस ले ली है. अब कर्मचारी हड़ताल पर नहीं जाएंगे. सोमवार को सचिवालय में परिवहन सचिव जेसी शर्मा और ईडी एचआरटीसी सहित अन्य अधिकारियों के साथ जेसीसी पदाधिकारियों की बैठक में मांगों को लेकर सहमति बनी है और यह फैसला लिया गया.
दोपहर बाद सचिवालय में हुई बैठक में हिमाचल पथ परिवहन निगम संयुक्त समन्वय समीति के अध्यक्ष प्यार सिंह, उपाध्यक्ष मान सिंह और सचिव खमेंद्र गुप्ता सहित अन्य लोगों ने भाग लिया और वित्तीय लाभों को दिए जाने की मांगों को एक बार फिर सरकार के समक्ष रखा. इस दौरान परिवहन सचिव जेसी शर्मा व अन्य अधिकारियों ने जेसीसी पदाधिकारियों को आश्वस्त किया कि निगम के कर्मचारियों की मांगों को पूरा किया जाएगा और उन्हें वित्तीय लाभ भी दिए जाएंगे, लेकिन मौजूदा समय में चुनाव आचार संहिता के चलते सरकार के द्वारा किसी भी घोषणा को पूरा नहीं किया जा सकता है. नवंबर माह में आचार संहिता के हटते ही मांगों को पूरा किया जाएगा.
जेसीसी सचिव खमेंद्र गुप्ता ने बताया कि मासिक वेतन को लेकर परिवहन सचिव जेसी शर्मा ने उन्हें आश्वास्त किया है कि कर्मचारियों को पहले की तरह मासिक वेतन 1 तारीख को आएगा. इसके अतिरिक्त चालक परिचालकों को माह की 22 तारीख को नाइट ओवर टाइम जारी कर दिया है. उन्होंने बताया कि बैठक में पीसमील कर्मचारियों को अनुबंध पर लिए जाने की मांग पर भी चर्चा हुई, जिसमें अधिकारियों ने साफ किया है कि कर्मचारियों को अनुबंध पर लिए जाने का मामला सरकार के ध्यान में पहले से ही है और इस पर जल्द से जल्द फैसला लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार के आश्वासन से वह संतुष्ट हैं और हड़ताल पर नहीं जाएंगे.
एचआरटीसी कर्मचारियों की ये थी मांगें...
वित्तीय मांगों के अतिरिक्त एचआरटीसी को रोडवेज का दर्जा देना.
भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करना.
पीस मील कर्मचारियों को एक मुक्त अनुबंध पर लाना.
चालकों का पूर्व की भांति 9880 रुपए का आरम्भिक वेतनमान बहाल करना.
परिचालकों को आरम्भिक वेतनमान एवं एसीपी स्कीम का लाभ देना.
निगम में रिक्त पड़े पदों पर शीघ्र भर्ती करना.
वैट लीज पर चल रही बसों को बन्द करना.
पेंशन के लिए प्रदेश सरकार के बजट में प्रावधान करना.
पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करना.
यात्री परिवहन का राष्ट्रीयकरण करना.
निजी बसों को रूट परमिट देने पर पूर्ण रोक लगाना.
कर्मचारियों को प्रताड़ित व उकसाने के लिए बेवजह उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को रद्द करना.
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