शिमला: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती व पराक्रम दिवस के उपलक्ष्य पर एक दिन पूर्व संगोष्ठी का आयोजन (ABVP organized seminar on Parakram Diwas) किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के रूप में चेयरमैन राजनीतिक विज्ञान विभाग हि.प्र.वि.वि. हरीश कुमार एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में एबीवीपी के हिमाचल प्रांत मंत्री गौरव अत्रि मौजूद रहे. कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के सफाई कर्मचारियों और पैरालम्पिक खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम में उपस्थित कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि हरीश कुमार ने कहा कि (Biography of Subhash Chandra Bose) जब देश अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम था तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज बनाकर देश की आजादी के लिए बिगुल फूंका था. नेताजी की अदम्य भावना और राष्ट्र के लिए उनके निस्वार्थ सेवा के सम्मान में उनको याद रखने के लिए भारत सरकार ने हर साल 23 जनवरी पर उनके जन्मदिन को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का (subhash chandra bose jayanti) फैसला किया है. इससे देश के लोगों विशेषकर युवाओं को विपत्ति का सामना करने में नेताजी के जीवन से प्रेरणा मिलेगी और उनमें देशभक्ति और साहस की भावना समाहित होगी.
उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के साथ-साथ नेताजी का जुड़ाव सामाजिक कार्यों में भी बना रहा. अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध के लिए उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया और युवाओं को 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा (slogan of subhash chandra bose) भी दिया. उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों से नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान भी किया.
युवाओं को सम्बोधित करते हुए एबीवीपी के हिमाचल प्रांत मंत्री गौरव अत्रि ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस साहसी, नेतृत्व कौशल से परिपूर्ण और असाधारण वक्ता थे. वे खुद तो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे ही पर उन्होंने अन्य कई लोगों को भारतीय राष्ट्रीय सेना में शामिल होने और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया था. सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने के पीछे का मकसद देश के लोगों, खासतौर पर युवाओं में नेताजी की तरह ही विपरीत परिस्थितियों का सामना करने और उनमें देशभक्ति की भावना का संचार करना है.
वहीं, इकाई उपाध्यक्ष अनिल ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का व्यक्तिगत हमें सिखाता है कि आत्मसम्मान गौरव और देश की रक्षा करना ही हमारा धर्म है. उन्होंने कहा कि नेताजी राजनीतिक, साहित्यिक और ऐतिहासिक दृष्टि से क्रांतिकारि नेता थे. उन्होंने भारतीयों को झुकना नहीं लड़ना सिखाया. अनिल ने कहा कि नैतिक मूल्यों और देश प्रेम की भावना की स्थापना करके ही हम अपने महापुरुषों को सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे.
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