शिमला: मिशन रिपीट का सपना देख रही बीजेपी विधानसभा चुनावों में अपनी (HP Assembly Election) पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार है. हालांकि मिशन रिपीट (BJP Mission Repeat in Himachal) कितना सफल होता है यह तो वक्त ही बताएगा. संघ और भाजपा के बड़े नेताओं ने सांसदों तक को चुनावी मैदान में उतरने को तैयार रहने के आदेश जारी कर दिए हैं. राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी ने अपने गृह क्षेत्र पालमपुर में जनसंपर्क शुरू भी कर दिया है.
बड़े चेहरे उतारे जा सकते हैं चुनाव मैदान में: भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप तो अध्यक्ष होने के नाते पहले से ही विधानसभा क्षेत्र में लोगों के संपर्क में हैं. धर्मशाला से विधायक रहे और मंत्री तक का सफर तय कर चुके किशन कपूर कई बार विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल (Former Himachal CM Prem Kumar Dhumal) अनेकों बार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं. ऐसे में अगर भाजपा हाईकमान को जरा भी संदेह हुआ कि इन दिग्गजों के गृह क्षेत्र से हार की संभावना है तो इन सभी को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. वैसे भी भाजपा लोकसभा और राज्यसभा में कम्फर्टेबल मेजोरिटी में है.
मंत्रियों और विधायकों के टिकट पर तलवार: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) ही सरेआम ऐलान कर चुके हैं कि सर्वे के अनुसार अगर मंत्रियों की स्थिति भी ठीक नहीं पाई गई तो उनके टिकट काटने में हाईकमान जरा भी नहीं हिचकिचाएगा. इसी बात को ध्यान में रखकर चलें तो भाजपा की आंतरिक सर्वे रिपोर्ट (BJP internal survey report) में मंत्रियों की स्थिति नाजुक लग रही है. अंदेशा जताया जा रहा है कि कांगड़ा और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के कई मंत्रियों के टिकट काटे जा सकते हैं. या फिर पड़ोसी विधानसभा क्षेत्रों को शिफ्ट किया जा सकता है. क्योंकि ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां भाजपा लंबे समय से जीत को तरस रही है.
हिमाचल में भी कटेंगे कई टिकट: हाईकमान तीन मंत्रियों के अलावा एक तिहाई विधायकों के भी टिकट काटने की तैयारी में है. इनके खिलाफ जनता में खासी नाराजगी है. पिछले चार महीने (ticket allotment in BJP Himachal) में भाजपा के दो आंतरिक सर्वेक्षण को इसके लिए आधार बनाया गया है. पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भी दो टूक कहा था कि 15 फीसदी विधायकों के टिकट यूपी और उत्तराखंड में भी कटे हैं. उन्होंने हिमाचल में भी इस संभावना से इंकार नहीं किया था. अब भाजपा के सर्वेक्षणों के बाद केंद्रीय नेतृत्व के टिकट काटने का मन बना ही लिया है इससे मंत्रियों और विधायकों की चिंता बढ़ गई है.
वहीं, विधायकों की बात करें तो इस बार 3 से 4 बार विधानसभा पहुंचने वाले विधायकों के टिकट भी काटे जा सकते हैं. सर्वे रिपोर्ट के अनुसार जिन विधायकों की हार निश्चित लग रही है उनके टिकट कटना भी तय है फिर चाहे वो पहली बार विधायक बनें हो या फिर कई बार से विधायक हों. दो चुनाव हारने वाले नेताओं को टिकट नहीं देने की नीति तो भाजपा ने पहले से ही अपना रखी है.
टिकट आवंटन में केवल जीत ही पैरामीटर: भाजपा के टिकट आवंटन में केवल सर्वे रिपोर्ट ही अहम रहने वाली है. जिस व्यक्ति को टिकट देने से जीत की उम्मीद अधिक होगी उसी को टिकट दिया जाएगा. हालांकि परिवारवाद को भी ध्यान में रखा जा सकता है. लेकिन कितनी कड़ाई से इसका पालन किया जाता है यह देखने वाली बात होगी.
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