शिमला: मौजूदा दौर हर मामले में आधुनिकतम है और इस दौर में अपराधी भी आधुनिक हो गए हैं. आजकल साइबर ठग फोन से लेकर सोशल मीडिया तक को हथियार बनाकर ठगी को अंजाम देते हैं. इन साइबर ठगों का निशाना वो लोग होते हैं जो सतर्क नहीं रहते और यही वजह है कि वो लोग साइबर ठगों के बिछाए जाल में फंस जाते हैं. हनीट्रैप का ऐसा ही एक मामला शिमला से सामने आया था. पीड़ित शख्स ने मेल के जरिये साइबर सेल में अपनी शिकायत भेजी थी.
क्या है हनीट्रैप ?
हनी यानि शहद और ट्रैप यानि जाल. हनीट्रैप यानि एक ऐसा जाल जिसमें फंसने वाले को अंदाजा भी नहीं होता कि वो किस मुश्किल में फंस सकता है. हनीट्रैप के मामलों को अंजाम देने के लिए ज्यादातर महिलाओं का इस्तेमाल किया जाता है और हनीट्रैप में पुरुषों को फंसाया जाता है.
साइबर ठग महिलाओं के सहारे पुरुषों को फंसाते हैं. भरोसे से लेकर दोस्ती और प्यार तक का सहारा लिया जाता है. इस दौरान महिला की तरफ से शिकार बनाए जा रहे शख्स के बारे में कोई सीक्रेट या उसकी न्यूड तस्वीर या वीडियो ले ली जाती है. इसके सहारे पीड़ित से कोई जानकारी, सीक्रेट या रुपये ऐंठे जाते हैं. इसे सीधे शब्दों में ब्लैकमेलिंग कह सकते हैं लेकिन इसे बकायदा पूरी प्लानिंग और जाल बिछाकर अंजाम दिया जाता है.
शिमला में साइबर ठगों ने फेंका जाल
शिमला में रहने वाले एक शख्स को एक महिला ने फोन किया. पीड़ित के मुताबिक उसे रॉन्ग नंबर के बहाने महिला ने फोन किया. पहली बार रॉन्ग नंबर के बहाने कुछ देर बात हुई और फिर बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया. इसके बाद धीरे-धीरे वीडियो कॉल में बातचीत शुरू हो गई. साइबर ठगों ने महिला के जरिये उस शख्स को फंसाने के लिए ये जाल फेंका था
हनीट्रैप में फंसा शख्स
महिला के साथ पीड़ित की वीडियो कॉल पर कई बार बातचीत हुई और इसी दौरान साइबर ठगों ने पीड़ित का न्यूड वीडियो रिकॉर्ड कर लिया. इसके बाद महिला ने पीड़ित शख्स से रुपयों की मांग करनी शुरू कर दी और पैसे ना देने पर वीडियो को वायरल करने की धमकी देने लगी. आरोपियों की धमकी और बदनामी के डर से उसने साइबर ठगों के बताए ई-वॉलेट में 70 हजार रुपये जमा करवा दिए.
पुलिस तक पहुंचा मामला
इसके बाद पीड़ित शख्स ने मेल के जरिये एक शिकायत साइबर पुलिस को भेजी. साइबर सेल ने मामला दर्ज कर पीड़ित द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर जांच शुरू कर दी. बैंक की मदद से उस ई-वॉलेट का पता लगवाया गया, जिसमें पीड़ित ने 70 हजार रुपये जमा करवाए थे.
जब तक साइबर पुलिस ई-वॉलेट तक पहुंची शातिर ठगों ने ज्यादातर रुपये निकाल लिए थे. ई-वॉलेट में सिर्फ 25 हजार रुपये ही बचे थे. पुलिस ने उस अकाउंट फ्रीज करवाया और वॉलेट से बरामद 25 हजार रुपये पीड़ित को लौटाए गए.
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