शिमला : हिमाचल विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों को लेकर सियासी दलों में मंथन चल रहा है. लेकिन कई सीटों पर टिकट के चाहवान अपनी ताल पहले ही ठोक चुके हैं. सियासी गलियारों में इसे भले बगावत कहा जाता हो लेकिन ये बगावत इस बार चुनाव को और दिलचस्प बना रही है. हिमाचल विधानसभा चुनाव की मौजूदा स्क्रिप्ट के मुताबिक ऐसा ही दिलचस्प मुकाबला कुल्लू की बंजार सीट पर देखने को मिल सकता है. जहां कुल्लू राजपरिवार के दो भाई एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव रण में आमने-सामने नजर आ सकते हैं. (sibling rivalry in Himachal) (Brother vs Brother at Banjar Seat)
हितेश्वर सिंह बनाम आदित्य सिंह - कुल्लू राजपरिवार के ये दो चेहरे रिश्ते में चचेरे भाई हैं. दोनों भाइयों की चाहत सियासी पारी खेलने की है. दोनों भाई टिकट भी अलग-अलग पार्टियों से चाहते हैं लेकिन दोनों की नजरें एक ही विधानसभा क्षेत्र पर है. दोनों भाई अपने-अपने हिसाब से शक्ति प्रदर्शन करते हुए अपने-अपने कार्यकर्ताओं के साथ टिकट की मांग भी कर चुके हैं. (Hiteshwar singh vs Aditya vikram singh) (Brother vs brother in himachal election)
हितेश्वर सिंह कौन है- हितेश्वर सिंह पूर्व सांसद और कुल्लू से बीजेपी विधायक रहे महेश्वर सिंह के बेटे हैं. साल 1977 में सियास में कदम रखने वाले महेश्वर सिंह 3 बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं. बंजार सीट से दो बार विधायक रहे महेश्वर सिंह ने साल 2012 में चुनाव से पहले नाराज होकर बीजेपी छोड़ दी और हिमाचल लोकहित पार्टी का गठन किया. तब वो हिलोपा पार्टी से कुल्लू विधानसभा से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे लेकिन अगले चुनाव से पहले ही पार्टी का बीजेपी में विलय करवा लिया था. वहीं हितेश्वर सिंह दो बार जिला परिषद सदस्य रहे हैं और मौजूदा वक्त में कांगड़ा को-ऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन हैं. बीते दिनों बंजार में जनसभा करके वो शक्ति प्रदर्शन करके टिकट का दावा ठोक चुके हैं. वैसे जिस बंजार सीट से वो टिकट मांग रहे हैं, वहां मौजूदा वक्त में सुरेंद्र शौरी बीजेपी के विधायक हैं.
आदित्य विक्रम सिंह कौन हैं- आदित्य विक्रम सिंह मौजूदा वक्त में हिमाचल कांग्रेस के सचिव हैं. लेकिन अपने चचेरे भाई की ही तरह उनकी भी बड़ी पहचान पिता की बदौलत बनती है. आदित्य सिंह हिमाचल के पूर्व मंत्री कर्ण सिंह के बेटे हैं. कर्ण सिंह पूर्व सांसद और कुल्लू के पूर्व विधायक महेश्वर सिंह के छोटे भाई थे. साल 2017 में कर्ण सिंह का निधन हो गया था. कुल्लू की बंजार सीट से 3 बार विधायक रहे कर्ण सिंह बीजेपी की टिकट पर साल 1990 में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. साल 2007 में बीजेपी को अलविदा कहकर पहले बसपा और फिर कांग्रेस का हाथ थाम लिया. 2012 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते और फिर वीरभद्र सरकार की कैबिनेट में शामिल हुए. इससे पहले वो बीजेपी की सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहे.
कांग्रेस-बीजेपी की एक परिवार ने बढ़ाई मुश्किल- दोनों भाई अपनी-अपनी पार्टी से टिकट मांग रहे हैं लेकिन मौजूदा वक्त में दोनों को ही टिकट मिलने की उम्मीद कम है. हितेश्वर सिंह जिस बंजार सीट से टिकट मांग रहे हैं वहां मौजूदा वक्त में बीजेपी के विधायक सुरेंद्र शौरी है, फिलहाल उन्हें ही टिकट मिलने की उम्मीद है. दूसरा बीजेपी एक परिवार को एक टिकट के फॉर्मूले पर चलती है. पिता महेश्वर सिंह कुल्लू से टिकट की आस लगाए बैठे हैं और इस बार भी उनका चुनाव लड़ना तय है, ऐसे में बीजेपी का टिकट उनके लिए फिलहाल दूर की कौड़ी है.
इसी तरह आदित्य सिंह भी बंजार से ही कांग्रेस का टिकट मांग रहे हैं. बंजार सीट पर टिकट का प्रबल दावेदार खीमी राम शर्मा को माना जा रहा है. जो हाल फिलहाल में ही बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. वैसे दिलचस्प पहलू ये है कि साल 2012 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खीमीराम शर्मा को हराकर ही आदित्य सिंह के पिता कर्ण सिंह कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा पहुंचे और फिर मंत्री बनाए गए थे. आज वही खीमीराम शर्मा कांग्रेस की टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.
टिकट मिलने के चांस कम लेकिन होकर रहेगी टक्कर- अपने-अपने दलों का सियासी समीकरण दोनों भाई जानते हैं लेकिन फिर भी टिकट को लेकर अपना दावा पेश कर रहे हैं. यही दावा दोनों दलों के लिए मुश्किल का सबब बना हुआ है. दोनों भाई हर हाल में चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं. हितेश्वर सिंह जनसभा के जरिये अपनी ताकत दिखा चुके हैं. वहीं आदित्य सिंह स्क्रीनिंग कमेटी के कुल्लू दौरे और दिल्ली में कांग्रेस चुनाव समिति की बैठक के दौरान 10 जनपथ के बाह अपने समर्थकों के साथ नारेबाजी कर चुके हैं. ऐसे में दोनों भाइयों का शक्ति प्रदर्शन बता रहा है कि वो चुनाव तो लड़कर रहेंगे. ऐसे में मौजूदा स्थिति इशारा कर रही है कि अगर दोनों को टिकट मिले या ना मिले, बंजार की जंग में दो भाई आमने-सामने होकर रहेंगे.