ETV Bharat / city

कानून की डिग्री फिर भी किसानी का जुनून, किन्नौर के बागबान ने उगा डाले 'ग्राउंड एप्पल'

पौष्टिकता और टेस्ट में लाजवाब है ग्राउंड सेब. नेपाल के एक बागबान की मदद से अमेरिका से मंगाया इस वैराइटी के सेब का बीज. जनजातीय जिला किन्नौर में कल्पा खंड के पूर्वणी के बागवान सत्यजीत उगा रहे ग्राउंड एप्पल.

किन्नौर के बागबान ने उगा डाले 'ग्राउंड एप्पल'
author img

By

Published : Mar 20, 2019, 4:47 AM IST

Updated : Mar 20, 2019, 6:59 AM IST

रामपुर: विदेशी सरजमीं पर उगने वाला ग्राउंड सेब अब हिमाचल के जनजातीय जिले किन्नौर में पैदा किया जा रहा है. हिमाचल के सेब तो दूनिया भर में मशहूर हैं लेकिन कंदमूल सा दिखने वाला ये सेब पौष्टिकता और स्वाद दोनों में लाजवाब है.

किन्नौर के बागबान ने उगा डाले 'ग्राउंड एप्पल'

दरअसल, हिमाचल के एक बागबान ने पहली बार जमीन के नीचे ही हर्बल सेब तैयार किया है. भूमिगत सेब (ग्राउंड एप्पल) सामान्य फल की तरह नहीं, कंदमूल जैसा दिखता है. लेकिन इसका स्वाद लाजवाब है. यह क्रंची व पौष्टिकता से भरपूर है. अभी तक इस तरह की सेब प्रजाति अमेरिका आदि देशों में ही उगाई जाती है. जमीन में ग्राउंड एप्पल का एक बल्लब डालने से 8 से 10 किलो के करीब फल निकाले जा सकते हैं और बीज अलग से इसी से तैयार होता है.

Farmer satyajeet negi
किन्नौर के बागबान ने उगा डाले 'ग्राउंड एप्पल'

जनजातीय जिला किन्नौर में कल्पा खंड के पूर्वणी के बागवान सत्यजीत नेगी ने कानून की डिग्री लेने के बाद बागबानी का फैसला लिया और छह बीघा जमीन पर पांच क्विंटल भूमिगत सेब उगाए हैं. उनका कहना है कि नेपाल के एक बागवान की मदद से उन्होंने अमेरिका से इस वैराइटी का बीज मंगवाया.

नेगी बताते हैं कि मार्च 2016 में उन्होंने सेब बीज डाला और नवंबर-दिसंबर में सेब फसल तैयार हो गई. उनका यह भी दावा है कि अगर सेब को जमीन से दो-चार महीने देरी से भी निकाला जाए तो ये खराब नहीं होता. हिमाचल खासकर किन्नौर-लाहौल, उत्तराखंड और नेपाल का मौसम इसके लिए अनुकूल है. इस वैराइटी के सेब को हर बार खेत में उगाना पड़ता है.

ग्राउंड एप्पल पर नहीं पड़ता मौसम की बेरुखी का असर
मौसम की बेरुखी और ओलावृष्टि की मार का असर इस वैराइटी के सेब पर नहीं होता है. इसके पौधों को कीटनाशकों की जरूरत भी नहीं होती. बागबान नेगी बताते हैं कि वह जमीन में गाय का गोबर और राख डालते हैं. अब सत्यजीत से प्रेरणा लेकर हिमाचल और उत्तराखंड के कई बागवान उनसे बीज ले चुके हैं.

एक किलो बीज से एक क्विंटल तक सेब
बागवान सत्यजीत नेगी का कहना है कि एक किलो सेब बीज से आप 50 से 100 किलो तक पैदावार ली जा सकती है. इसमें सामान्य सेब की तरह ज्यादा मेहनत और पैसा खर्च नहीं करना पड़ता और मुनाफा भी अधिक होता है. यह सेब 200 ग्राम से लेकर एक किलो तक होता है.

ग्राउंड एप्पल से मोटापा और बीपी कम करने का दावा
बागवान सत्यजीत का दावा है कि भूमिगत सेब का 4 माह तक सेवन करने से मोटापा कम हो जाता है. ये ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है. कैंसर को भी मात देने में सहायक है.

रामपुर: विदेशी सरजमीं पर उगने वाला ग्राउंड सेब अब हिमाचल के जनजातीय जिले किन्नौर में पैदा किया जा रहा है. हिमाचल के सेब तो दूनिया भर में मशहूर हैं लेकिन कंदमूल सा दिखने वाला ये सेब पौष्टिकता और स्वाद दोनों में लाजवाब है.

किन्नौर के बागबान ने उगा डाले 'ग्राउंड एप्पल'

दरअसल, हिमाचल के एक बागबान ने पहली बार जमीन के नीचे ही हर्बल सेब तैयार किया है. भूमिगत सेब (ग्राउंड एप्पल) सामान्य फल की तरह नहीं, कंदमूल जैसा दिखता है. लेकिन इसका स्वाद लाजवाब है. यह क्रंची व पौष्टिकता से भरपूर है. अभी तक इस तरह की सेब प्रजाति अमेरिका आदि देशों में ही उगाई जाती है. जमीन में ग्राउंड एप्पल का एक बल्लब डालने से 8 से 10 किलो के करीब फल निकाले जा सकते हैं और बीज अलग से इसी से तैयार होता है.

Farmer satyajeet negi
किन्नौर के बागबान ने उगा डाले 'ग्राउंड एप्पल'

जनजातीय जिला किन्नौर में कल्पा खंड के पूर्वणी के बागवान सत्यजीत नेगी ने कानून की डिग्री लेने के बाद बागबानी का फैसला लिया और छह बीघा जमीन पर पांच क्विंटल भूमिगत सेब उगाए हैं. उनका कहना है कि नेपाल के एक बागवान की मदद से उन्होंने अमेरिका से इस वैराइटी का बीज मंगवाया.

नेगी बताते हैं कि मार्च 2016 में उन्होंने सेब बीज डाला और नवंबर-दिसंबर में सेब फसल तैयार हो गई. उनका यह भी दावा है कि अगर सेब को जमीन से दो-चार महीने देरी से भी निकाला जाए तो ये खराब नहीं होता. हिमाचल खासकर किन्नौर-लाहौल, उत्तराखंड और नेपाल का मौसम इसके लिए अनुकूल है. इस वैराइटी के सेब को हर बार खेत में उगाना पड़ता है.

ग्राउंड एप्पल पर नहीं पड़ता मौसम की बेरुखी का असर
मौसम की बेरुखी और ओलावृष्टि की मार का असर इस वैराइटी के सेब पर नहीं होता है. इसके पौधों को कीटनाशकों की जरूरत भी नहीं होती. बागबान नेगी बताते हैं कि वह जमीन में गाय का गोबर और राख डालते हैं. अब सत्यजीत से प्रेरणा लेकर हिमाचल और उत्तराखंड के कई बागवान उनसे बीज ले चुके हैं.

एक किलो बीज से एक क्विंटल तक सेब
बागवान सत्यजीत नेगी का कहना है कि एक किलो सेब बीज से आप 50 से 100 किलो तक पैदावार ली जा सकती है. इसमें सामान्य सेब की तरह ज्यादा मेहनत और पैसा खर्च नहीं करना पड़ता और मुनाफा भी अधिक होता है. यह सेब 200 ग्राम से लेकर एक किलो तक होता है.

ग्राउंड एप्पल से मोटापा और बीपी कम करने का दावा
बागवान सत्यजीत का दावा है कि भूमिगत सेब का 4 माह तक सेवन करने से मोटापा कम हो जाता है. ये ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है. कैंसर को भी मात देने में सहायक है.



अमेरीका की प्रजाती का भूमिगत सेब हिमाचल में खुब फल फुल रहा
सरकार देगी बढ़ावा तो हिमाचल के किसानों व बागवानों की आर्थीकी हो सकती है बहेतरीन

रामपुर बुशहर, 19 मार्च मीनाक्षी 
भूमिगत सेब (ग्राउंड एप्पल)  एक ऐसा फल है जो भूमि के नीचे तैयार किया जाता है। भूमिगत सेब (ग्राउंड एप्पल) सामान्य फल सेब की तरह नहीं, कंदमूल जैसा दिखता है। लेकिन इसका स्वाद लाजवाब है। यह क्रंची व पौष्टिकता से भरपूर है। अभी तक इस तरह की सेब प्रजाति अमेरिका आदि देशों में ही उगाई जाती है लेकिन अब  हिमाचल की धरती जनजातिय जिला किन्नौर में सबसे पहले ज़मीन के नीचे हर्बल सेब पैदा किए जा रहे है। ज़मीन में ग्राउंड एप्पल का एक बल्लब डालने से 8 से 10 किलो के करीब फल निकाले जा सकते है और बीज अलग से इसी से तैयार होता है। 

नौ माह बाद आलू की तरह फल तैयार हो जाता है। ज़मीन से निकालकर धोने के बाद इसे खाया जा सकता है। लेकिन इसका स्वाद अधिक मिठा व लाजवाब है । किन्नौर पूर्वणी बागवान  सत्यजीत नेगी  जिन्होंने इसे सबसे पहले किन्नौर जिला में लाया है। 
उनका कहना है कि इसका बीज अमेरीका से नेपाल होते हुए किन्नौर तक बड़ी मुश्क्कत से पहुंचाया गया है।  सत्यजीत नेगी बागवान ने कहा कि यह कई किस्म की दवाइयां बनाने के काम आता है। चीन में इससे कई प्रकार की दवाईयां तैयार की जा रही है। हिमाचल की धरती पर इसे पहली बार उगाया गया। कानून की डिग्री लेने के बावज़ूद सत्यजीत नेगी बागवानी पेशे से जुड़े हैं। उन्होंने अपने खेतों में सेब की एक ऐसी प्रजाति उगा दी जो ज़मीन के भीतर फल देती है। सत्याजीत नेगी का कहना है कि इस सेब को भूमि के नीचे रख कर कई दिनों तक फल की तरह खाया जा सकता है। यदि सरकार इसको बढ़ावा दे तो यह किसानों व बागवानों के लिए एक प्रकार का बहेतरीन आर्थीकी का साधन बन सकता है। लेकिन सरकार इस फल को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। जो फल अमेरीका में ही पाया जाता था लेकिन आज व भारत के हिमाचल में भी खुब फल फुल रहा है। लेकिन इसको बढ़ावा देने के लिए अहम कदम उठाने की जरूरत है। ताकि इससे हमारे किसानों व बागवानों की आर्थीकी मजबूत हो सके। 

न मौसम की मार और न ही कीटनाशक की जरूरत, ये भी है फायदे
सत्यजीत नेगी का कहना है कि  इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत यह है कि न तो इसे कीटनाशकों की ज़रुरत होती है और न ही इस पर ओलावृष्टि की मार पड़ती है। ऐसे में इस सेब से उचित मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। 
ग्राउंड एप्पल के लिए ज़मीन में गाय का गोबर और राख की ही ज़रूरत होती है जो घर में ही आसानी से मिल जाता है। दूसरे सेब के पेड़ कई वर्षों तक ज़मीन में रहते हैं लेकिन इस क़िस्म के सेब को हर बार खेत में उगाना पड़ता है। इसमें आलू की तरह ही ज़मीन के ऊपर पत्तियां उगती हैं। इस प्रकार एक किलो सेब बीज से 50 से 100 किलो तक पैदावार ले सकते हैं। इसमें सामान्य सेब की तरह ज़्यादा मेहनत और पैसा खर्च नहीं करना पड़ता। 

मोटापा और बीपी को कम करता है भूमिगत सेब
ग्राउंड एप्पल का चार माह तक सेवन करने से मोटापा कम हो जाता है। यह ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है। कैंसर और लीवर को बचाने में यह सेब बहुत मदद करता है।   


Last Updated : Mar 20, 2019, 6:59 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.