रामपुर: विदेशी सरजमीं पर उगने वाला ग्राउंड सेब अब हिमाचल के जनजातीय जिले किन्नौर में पैदा किया जा रहा है. हिमाचल के सेब तो दूनिया भर में मशहूर हैं लेकिन कंदमूल सा दिखने वाला ये सेब पौष्टिकता और स्वाद दोनों में लाजवाब है.
दरअसल, हिमाचल के एक बागबान ने पहली बार जमीन के नीचे ही हर्बल सेब तैयार किया है. भूमिगत सेब (ग्राउंड एप्पल) सामान्य फल की तरह नहीं, कंदमूल जैसा दिखता है. लेकिन इसका स्वाद लाजवाब है. यह क्रंची व पौष्टिकता से भरपूर है. अभी तक इस तरह की सेब प्रजाति अमेरिका आदि देशों में ही उगाई जाती है. जमीन में ग्राउंड एप्पल का एक बल्लब डालने से 8 से 10 किलो के करीब फल निकाले जा सकते हैं और बीज अलग से इसी से तैयार होता है.
जनजातीय जिला किन्नौर में कल्पा खंड के पूर्वणी के बागवान सत्यजीत नेगी ने कानून की डिग्री लेने के बाद बागबानी का फैसला लिया और छह बीघा जमीन पर पांच क्विंटल भूमिगत सेब उगाए हैं. उनका कहना है कि नेपाल के एक बागवान की मदद से उन्होंने अमेरिका से इस वैराइटी का बीज मंगवाया.
नेगी बताते हैं कि मार्च 2016 में उन्होंने सेब बीज डाला और नवंबर-दिसंबर में सेब फसल तैयार हो गई. उनका यह भी दावा है कि अगर सेब को जमीन से दो-चार महीने देरी से भी निकाला जाए तो ये खराब नहीं होता. हिमाचल खासकर किन्नौर-लाहौल, उत्तराखंड और नेपाल का मौसम इसके लिए अनुकूल है. इस वैराइटी के सेब को हर बार खेत में उगाना पड़ता है.
ग्राउंड एप्पल पर नहीं पड़ता मौसम की बेरुखी का असर
मौसम की बेरुखी और ओलावृष्टि की मार का असर इस वैराइटी के सेब पर नहीं होता है. इसके पौधों को कीटनाशकों की जरूरत भी नहीं होती. बागबान नेगी बताते हैं कि वह जमीन में गाय का गोबर और राख डालते हैं. अब सत्यजीत से प्रेरणा लेकर हिमाचल और उत्तराखंड के कई बागवान उनसे बीज ले चुके हैं.
एक किलो बीज से एक क्विंटल तक सेब
बागवान सत्यजीत नेगी का कहना है कि एक किलो सेब बीज से आप 50 से 100 किलो तक पैदावार ली जा सकती है. इसमें सामान्य सेब की तरह ज्यादा मेहनत और पैसा खर्च नहीं करना पड़ता और मुनाफा भी अधिक होता है. यह सेब 200 ग्राम से लेकर एक किलो तक होता है.
ग्राउंड एप्पल से मोटापा और बीपी कम करने का दावा
बागवान सत्यजीत का दावा है कि भूमिगत सेब का 4 माह तक सेवन करने से मोटापा कम हो जाता है. ये ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है. कैंसर को भी मात देने में सहायक है.