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Himachal Seat Scan: किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा आमने सामने, जानिए इस साल जनता किस पर होगी मेहरबान

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) से पहले ETV भारत प्रदेश के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों के सूरत-ए-हाल से रू-ब-रू करवा रहा (himachal seat scan) है. हिमाचल सीट स्कैन में आज हम किन्नौर विधानसभा क्षेत्र (Kinnaur Assembly seat Ground Report) की बात करने जा रहे हैं. कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में ये 68वीं विधानसभा सीट है. किन्नौर विधानसभा क्षेत्र का कुछ हिस्सा चीन सीमा से भी लगता है. ऐसे में प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ये मुद्दे भी अलग-अलग होते हैं. आज जानेंगे कि इस साल इस सीट पर आखिर क्या चुनावी समीकरण हैं.

Kinnaur assembly seat ground report
किन्नौर विधानसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट.
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Published : Aug 10, 2022, 7:13 PM IST

किन्नौर: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) को लेकर प्रदेश के दोनों अहम पार्टी भाजपा और कांग्रेस कोई मौका गंवाना नहीं चाहती है. यही वजह है कि दोनों पार्टियों ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार का दौर शुरू कर दिया है. लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर किस विधानसभा क्षेत्र में जनता किस प्रत्याशी या दल से खुश है और किससे खफा है. हिमाचल सीट स्कैन (himachal seat scan) में आज हम 68वीं विधानसभा क्षेत्र यानी किन्नौर विधानसभा क्षेत्र (Kinnaur Assembly seat Ground Report) की बात करने जा रहे हैं.

किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता: हिमाचल के कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में किन्नौर 68वीं विधानसभा सीट (Kinnaur Assembly seat) में आता है. इस विधानसभा क्षेत्र में 129 मतदान केंद्र हैं. हाल ही में प्रदेश के अंदर हुए उपचुनावों के अनुसार किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में कुल 57,728 मतदाता हैं, जिनमें 28,791 पुरुष और 28,937 महिला मतादाता शामिल हैं. जिले में 80 वर्ष से अधिक आयु के 1,123 मतदाता हैं, जबकि किन्नौर में 908 दिव्यांग मतदाता हैं. हालांकि अभी मतदाता पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया जारी है.

Kinnaur assembly seat ground report
किन्नौर विधानसभा में मतदाताओं की संख्या.

किन्नौर जिला प्रदेश के 68वां विधानसभा क्षेत्र आता है. किन्नौर जिले की जनसंख्या वर्ष 2011 के जनगणना अनुसार करीब 84 हजार है. जिले की भौगोलिक परिस्थिति प्रदेश के अन्य जिलों से काफी कठिन है. जिले में सितंबर माह से जून माह तक बर्फबारी होती है. लेकिन अपने मताधिकार को लेकर यहां लोग कितने जागरूक हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कड़कड़ाती ठंड में भी यहां पर लोग हर चुनावों में अपने मत का प्रयोग करना नहीं भूलते. चीन की सीमा के साथ लगने के कारण देश और प्रदेश कि लिए किन्नौर जिला काफी महत्वपूर्ण है. किन्नौर जिला राजनीतिक और सामरिक दोनों दृष्टिकोण से विधानसभा चुनाव के लिए अहम है. क्योंकि यहां जनसुविधाओं के साथ-साथ सीमा वालों क्षेत्रों में पड़ोसी देश की गतिविधियों की जनाकारी हर पल रखने की जिम्मेदारी रहती है.

kinnaur.
किन्नौर.

किन्नौर जिले को जयराम सरकार की सौगात: किन्नौर जिले में प्रदेश सरकार के साढ़े चार वर्ष से अधिक के कार्यकाल में करोड़ों की सौगात से विकासात्मक कार्य हुए हैं, लेकिन जिले में कांग्रेस समर्थित विधायक होने की वजह से प्रदेश सरकार के मध्य नोक-झोंक का सिलसिला भी लगातार चलती रही है. सरकार एक तरफ अपने विकास के गुणगान करती रहती है तो किन्नौर के वर्तमान विधायक प्रदेश सरकार के विकास कार्यों को लेकर सवाल-जवाब खड़े करते रहते हैं. इस बार आने वाले करीब दो ढाई महीने के अंदर विधानसभा चुनाव होने जा रहे है, लेकिन जिले में भाजपा-कांग्रेस की आपसी जुबानी हमले के साथ जनता के असल मुद्दे पर राजनीति करते नहीं दिखे हैं.

किन्नौर विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे: किन्नौर जिले में सबसे बड़ी समस्या (Kinnaur Assembly Constituency Issues) नोतोड़ व एफआरए की थी जिसे वर्तमान प्रदेश सरकार ने कहीं-न-कहीं जनता के हित में फैसला लेते हुए सैकड़ों लोगों के पुराने नोतोड़ व एफआरए के तहत भूमि के पट्टे दिलाने का काम किया है. जयराम सरकार का ये निर्णय विधानसभा चुनावों में भाजपा को जिले में अमृत का काम कर सकती है.

कांग्रेस विधायक का जयराम सरकार पर आरोप: वहीं, वर्तमान विधायक जगत सिंह नेगी ने हर मंच के माध्यम से यही कहते रहे हैं कि जिले के अंदर नोतोड़ व एफआरए के तहत जितने भी पट्टे वर्तमान सरकार दे रही है, यह पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की है. जिसपर भाजपा केवल अपना श्रेय ले रही है. लेकिन श्रेय के साथ-साथ भाजपा सरकार के कार्यकाल में जिले के अंदर प्रस्तावित 804 मेगावाट जंगी ठोपन जलविद्युत परियोजना व रोपा खड़ में 217 मेगावाट परियोजना जी का जंजाल बन सकती है, लंबे समय से दर्जनों पंचायत इन परियोजनाओं व सरकार का भी जमकर विरोध कर रहे है और उपचुनावों में तो रारंग, आकपा, जंगी पंचायत ने चुनावों का बहिष्कार भी किया था..

सेब बहुल क्षेत्र में इस साल गुटबाजी हावी: किन्नौर जिला सेब बहुल क्षेत्र है और यहां के लोग राजनीति से ज्यादा अपने बागवानी पर ध्यान केंद्रित करते हैं. ऐसे में जिले के अंदर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में भी जिले की जनता ने कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार जगत सिंह नेगी ने भाजपा समर्थित प्रतिद्वंद्वी तेजवंत सिंह नेगी को 120 वोटों से मात दी थी. लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो भाजपा उम्मीदवार तेजवंत सिंह की हार का कारण भाजपा के अंदर गुटबाजी चल रही है. गुटबाजी का असर केवल 120 वोट है. यह भी कई राजनेताओं को गुटबाजी का असर नहीं लगता है.

किन्नौर में टिकट को लेकर चुनावी जंग: किन्नौर जिले में भाजपा समर्थित नेता व प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष सूरत नेगी के हाथ में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जिले की कमान सौंपकर पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी को दरकिनार किया था. ऐसे में पूर्व विधायक को दरकिनार करना भी आगामी विधानसभा चुनावों में एक बार फिर से भारी पड़ सकता है. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष सूरत नेगी लम्बे समय से टिकट की दौड़ में रहे हैं, लेकिन उनके जनता की बीच खासी पकड़ नहीं होने की वजह से उन्हें संगठन ने अबतक टिकट नहीं दिया है. लेकिन बीते साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में उनसे काफी लोग जुड़ चुके हैं. वहीं, विपक्ष में खड़े वर्तमान विधायक जगत सिंह नेगी सूरत नेगी से ज्यादा मजबूत लग रहे थे कि प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष निगम भंडारी (Himachal Youth Congress President Nigam Bhandari) ने भी अब टिकट की दौड़ में स्वयं की हाजरी लगा दी हैं. ऐसे में जगत सिंह नेगी की मुश्किलें भी बढ़ने लगी हैं.

Kinnaur assembly seat ground report
किन्नौर विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.

किन्नौर में टिकट को लेकर माथापच्ची: प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष सूरत नेगी प्रदेश के मुख्यमंत्री जयरामठाकुर के करीबी हैं, ऐसे में उन्हें भाजपा से विधानसभा चुनावों के लिए टिकट दिया जाता है और कांग्रेस से विधायक जगत सिंह नेगी को टिकट दिया जाता है. ऐसी परिस्थिति मेंराजनितिक पंडितों की भविष्यवाणी यह है कि वर्तमान विधायक जगत सिंह नेगी फिर से इस सीट से विधायक बन सकते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर संगठन भाजपा समर्थित पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी को टिकट देती है तो जगत सिंह नेगी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

Kinnaur assembly seat ground report
किन्नौर विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.

फिलहाल किन्नौर जिले में कांग्रेस भाजपा संगठन के आगामी चुनावों में जीत की सम्भावना तभी बन सकती है जब टिकट सही व्यक्ति को दिया जाए. क्योंकि जिले के अंदर भाजपा कांग्रेस की गुटबाजी के सिक्के के दो पहलू में एक पहलू का वजन ज्यादा है तो दूसरे का वजन भी बराबरी से कम नहीं आंका जा सकता है. फिलहाल किन्नौर विधानसभा सीट पर किसका कब्जा होगा ये तो आनेवाले विधानसभा चुनाव में ही पता चल पाएगा.

किन्नौर सीट पर 2017 में जीत का अंतर: किन्नौर विधान सीट पर साल 2017 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जगत सिंह नेगी विजयी हुए थे. इस साल जगत सिंह नोगी को 20,029 वोट मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी तेजवंत सिंह नेगी को 19,909 वोट, सीपीआई(एम) प्रत्याशी जीवन सिंह को 913 वोट, बीएसपी प्रत्याशी कैलाश चंद को 404 वोट और आरएसपी प्रत्याशी राजीव कुमार नेगी को 321 वोट मिले थे. इस चुनाव में जगत सिंह नेगी ने महज 120 वोट से जीत हासिल की थी. इस चुनाव में जगत सिंह नेगी को 48.01% मत मिला था, जबकि तेजवंत सिंह नेगी को 47.47% मत मिला था.

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2017 में किन्नौर विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

साल 2012 में जीत का अंतर: किन्नौर विधान सीट पर साल 2012 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जगत सिंह नेगी विजयी हुए थे. इस साल जगत सिंह नोगी को 20,722 वोट मिले थे. वहीं, भाजपा प्रत्याशी तेजवंत सिंह नेगी को 14,434 वोट, एचएलपी प्रत्याशी चेतराम नेगी को 2,240 वोट, बीएसपी प्रत्याशी कैलाश चंद को 499 वोट और एनसीपी प्रत्याशी सुंदर देव नेगी को 418 वोट मिले थे. इस चुनाव में जगत सिंह नेगी ने 6,288 वोट से जीत हासिल की थी. इस चुनाव में जगत सिंह नेगी को 53.89% मत मिला था, जबकि तेजवंत सिंह नेगी को 37.54% मत मिला था.

साल 2007 में जीत का अंतर: किन्नौर विधान सीट (Kinnaur Assembly constituency) पर साल 2007 में विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी तेजवंत सिंह नेगी विजयी हुए थे. इस साल तेजवंत सिंह नोगी को 17,873 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी जगत सिंह नेगी को 15,384 वोट, बीएसपी प्रत्याशी सुशील सागर को 1,009 वोट और एलजेपी प्रत्याशी भगत सिंह को 465 वोट मिले थे. इस चुनाव में तेजवंत सिंह नेगी ने 2,489 वोट से जीत हासिल की थी. इसके साथ ही तेजवंत सिंह नेगी को 51.25% मत मिला, जबकि जगत सिंह नेगी को 44.11% मत मिला था.

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किन्नौर विधानसभा सीट पर अब तक जीत का अंतर.

ये भी पढ़ें: Himachal Seat Scan: श्री नैना देवी सीट पर रणधीर शर्मा की बढ़ी मुश्किलें, बगावत के बीच जानिए यहां क्या हैं चुनावी समीकरण

किन्नौर में साल 2003 में जीत का अंतर: किन्नौर विधान सीट (Kinnaur Assembly Seat) पर साल 2003 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जगत सिंह नेगी विजयी हुए थे. इस साल जगत सिंह नोगी को 19,052 वोट मिले. वहीं, भाजपा प्रत्याशी तेजवंत सिंह नेगी को 11,646 वोट, एचवीसी प्रत्याशी एससी नेगी को 2,728 वोट और सीपीएम प्रत्याशी सुखदेव को 1,638 वोट मिले थे. इस चुनाव में जगत सिंह नेगी ने 7,406 वोट से जीत हासिल की थी. जगत सिंह नेगी को 54.33% मत मिला, जबकि तेजवंत सिंह नेगी को 33.21% मत मिला था.

ये भी पढ़ें: Himachal Seat Scan: अर्की विधानसभा सीट पर ठाकुरों और ब्राह्मणों का दबदबा, जानिए यहां जातीय समीकरण कैसे बदलते हैं चुनावी नतीजे

किन्नौर: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Elections 2022) को लेकर प्रदेश के दोनों अहम पार्टी भाजपा और कांग्रेस कोई मौका गंवाना नहीं चाहती है. यही वजह है कि दोनों पार्टियों ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार का दौर शुरू कर दिया है. लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर किस विधानसभा क्षेत्र में जनता किस प्रत्याशी या दल से खुश है और किससे खफा है. हिमाचल सीट स्कैन (himachal seat scan) में आज हम 68वीं विधानसभा क्षेत्र यानी किन्नौर विधानसभा क्षेत्र (Kinnaur Assembly seat Ground Report) की बात करने जा रहे हैं.

किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता: हिमाचल के कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में किन्नौर 68वीं विधानसभा सीट (Kinnaur Assembly seat) में आता है. इस विधानसभा क्षेत्र में 129 मतदान केंद्र हैं. हाल ही में प्रदेश के अंदर हुए उपचुनावों के अनुसार किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में कुल 57,728 मतदाता हैं, जिनमें 28,791 पुरुष और 28,937 महिला मतादाता शामिल हैं. जिले में 80 वर्ष से अधिक आयु के 1,123 मतदाता हैं, जबकि किन्नौर में 908 दिव्यांग मतदाता हैं. हालांकि अभी मतदाता पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया जारी है.

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किन्नौर विधानसभा में मतदाताओं की संख्या.

किन्नौर जिला प्रदेश के 68वां विधानसभा क्षेत्र आता है. किन्नौर जिले की जनसंख्या वर्ष 2011 के जनगणना अनुसार करीब 84 हजार है. जिले की भौगोलिक परिस्थिति प्रदेश के अन्य जिलों से काफी कठिन है. जिले में सितंबर माह से जून माह तक बर्फबारी होती है. लेकिन अपने मताधिकार को लेकर यहां लोग कितने जागरूक हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कड़कड़ाती ठंड में भी यहां पर लोग हर चुनावों में अपने मत का प्रयोग करना नहीं भूलते. चीन की सीमा के साथ लगने के कारण देश और प्रदेश कि लिए किन्नौर जिला काफी महत्वपूर्ण है. किन्नौर जिला राजनीतिक और सामरिक दोनों दृष्टिकोण से विधानसभा चुनाव के लिए अहम है. क्योंकि यहां जनसुविधाओं के साथ-साथ सीमा वालों क्षेत्रों में पड़ोसी देश की गतिविधियों की जनाकारी हर पल रखने की जिम्मेदारी रहती है.

kinnaur.
किन्नौर.

किन्नौर जिले को जयराम सरकार की सौगात: किन्नौर जिले में प्रदेश सरकार के साढ़े चार वर्ष से अधिक के कार्यकाल में करोड़ों की सौगात से विकासात्मक कार्य हुए हैं, लेकिन जिले में कांग्रेस समर्थित विधायक होने की वजह से प्रदेश सरकार के मध्य नोक-झोंक का सिलसिला भी लगातार चलती रही है. सरकार एक तरफ अपने विकास के गुणगान करती रहती है तो किन्नौर के वर्तमान विधायक प्रदेश सरकार के विकास कार्यों को लेकर सवाल-जवाब खड़े करते रहते हैं. इस बार आने वाले करीब दो ढाई महीने के अंदर विधानसभा चुनाव होने जा रहे है, लेकिन जिले में भाजपा-कांग्रेस की आपसी जुबानी हमले के साथ जनता के असल मुद्दे पर राजनीति करते नहीं दिखे हैं.

किन्नौर विधानसभा क्षेत्र के अहम मुद्दे: किन्नौर जिले में सबसे बड़ी समस्या (Kinnaur Assembly Constituency Issues) नोतोड़ व एफआरए की थी जिसे वर्तमान प्रदेश सरकार ने कहीं-न-कहीं जनता के हित में फैसला लेते हुए सैकड़ों लोगों के पुराने नोतोड़ व एफआरए के तहत भूमि के पट्टे दिलाने का काम किया है. जयराम सरकार का ये निर्णय विधानसभा चुनावों में भाजपा को जिले में अमृत का काम कर सकती है.

कांग्रेस विधायक का जयराम सरकार पर आरोप: वहीं, वर्तमान विधायक जगत सिंह नेगी ने हर मंच के माध्यम से यही कहते रहे हैं कि जिले के अंदर नोतोड़ व एफआरए के तहत जितने भी पट्टे वर्तमान सरकार दे रही है, यह पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की है. जिसपर भाजपा केवल अपना श्रेय ले रही है. लेकिन श्रेय के साथ-साथ भाजपा सरकार के कार्यकाल में जिले के अंदर प्रस्तावित 804 मेगावाट जंगी ठोपन जलविद्युत परियोजना व रोपा खड़ में 217 मेगावाट परियोजना जी का जंजाल बन सकती है, लंबे समय से दर्जनों पंचायत इन परियोजनाओं व सरकार का भी जमकर विरोध कर रहे है और उपचुनावों में तो रारंग, आकपा, जंगी पंचायत ने चुनावों का बहिष्कार भी किया था..

सेब बहुल क्षेत्र में इस साल गुटबाजी हावी: किन्नौर जिला सेब बहुल क्षेत्र है और यहां के लोग राजनीति से ज्यादा अपने बागवानी पर ध्यान केंद्रित करते हैं. ऐसे में जिले के अंदर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में भी जिले की जनता ने कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार जगत सिंह नेगी ने भाजपा समर्थित प्रतिद्वंद्वी तेजवंत सिंह नेगी को 120 वोटों से मात दी थी. लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो भाजपा उम्मीदवार तेजवंत सिंह की हार का कारण भाजपा के अंदर गुटबाजी चल रही है. गुटबाजी का असर केवल 120 वोट है. यह भी कई राजनेताओं को गुटबाजी का असर नहीं लगता है.

किन्नौर में टिकट को लेकर चुनावी जंग: किन्नौर जिले में भाजपा समर्थित नेता व प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष सूरत नेगी के हाथ में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जिले की कमान सौंपकर पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी को दरकिनार किया था. ऐसे में पूर्व विधायक को दरकिनार करना भी आगामी विधानसभा चुनावों में एक बार फिर से भारी पड़ सकता है. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष सूरत नेगी लम्बे समय से टिकट की दौड़ में रहे हैं, लेकिन उनके जनता की बीच खासी पकड़ नहीं होने की वजह से उन्हें संगठन ने अबतक टिकट नहीं दिया है. लेकिन बीते साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में उनसे काफी लोग जुड़ चुके हैं. वहीं, विपक्ष में खड़े वर्तमान विधायक जगत सिंह नेगी सूरत नेगी से ज्यादा मजबूत लग रहे थे कि प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष निगम भंडारी (Himachal Youth Congress President Nigam Bhandari) ने भी अब टिकट की दौड़ में स्वयं की हाजरी लगा दी हैं. ऐसे में जगत सिंह नेगी की मुश्किलें भी बढ़ने लगी हैं.

Kinnaur assembly seat ground report
किन्नौर विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.

किन्नौर में टिकट को लेकर माथापच्ची: प्रदेश वन निगम उपाध्यक्ष सूरत नेगी प्रदेश के मुख्यमंत्री जयरामठाकुर के करीबी हैं, ऐसे में उन्हें भाजपा से विधानसभा चुनावों के लिए टिकट दिया जाता है और कांग्रेस से विधायक जगत सिंह नेगी को टिकट दिया जाता है. ऐसी परिस्थिति मेंराजनितिक पंडितों की भविष्यवाणी यह है कि वर्तमान विधायक जगत सिंह नेगी फिर से इस सीट से विधायक बन सकते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर संगठन भाजपा समर्थित पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी को टिकट देती है तो जगत सिंह नेगी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

Kinnaur assembly seat ground report
किन्नौर विधानसभा सीट पर चुनावी जंग.

फिलहाल किन्नौर जिले में कांग्रेस भाजपा संगठन के आगामी चुनावों में जीत की सम्भावना तभी बन सकती है जब टिकट सही व्यक्ति को दिया जाए. क्योंकि जिले के अंदर भाजपा कांग्रेस की गुटबाजी के सिक्के के दो पहलू में एक पहलू का वजन ज्यादा है तो दूसरे का वजन भी बराबरी से कम नहीं आंका जा सकता है. फिलहाल किन्नौर विधानसभा सीट पर किसका कब्जा होगा ये तो आनेवाले विधानसभा चुनाव में ही पता चल पाएगा.

किन्नौर सीट पर 2017 में जीत का अंतर: किन्नौर विधान सीट पर साल 2017 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जगत सिंह नेगी विजयी हुए थे. इस साल जगत सिंह नोगी को 20,029 वोट मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी तेजवंत सिंह नेगी को 19,909 वोट, सीपीआई(एम) प्रत्याशी जीवन सिंह को 913 वोट, बीएसपी प्रत्याशी कैलाश चंद को 404 वोट और आरएसपी प्रत्याशी राजीव कुमार नेगी को 321 वोट मिले थे. इस चुनाव में जगत सिंह नेगी ने महज 120 वोट से जीत हासिल की थी. इस चुनाव में जगत सिंह नेगी को 48.01% मत मिला था, जबकि तेजवंत सिंह नेगी को 47.47% मत मिला था.

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2017 में किन्नौर विधानसभा सीट पर जीत का अंतर.

साल 2012 में जीत का अंतर: किन्नौर विधान सीट पर साल 2012 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जगत सिंह नेगी विजयी हुए थे. इस साल जगत सिंह नोगी को 20,722 वोट मिले थे. वहीं, भाजपा प्रत्याशी तेजवंत सिंह नेगी को 14,434 वोट, एचएलपी प्रत्याशी चेतराम नेगी को 2,240 वोट, बीएसपी प्रत्याशी कैलाश चंद को 499 वोट और एनसीपी प्रत्याशी सुंदर देव नेगी को 418 वोट मिले थे. इस चुनाव में जगत सिंह नेगी ने 6,288 वोट से जीत हासिल की थी. इस चुनाव में जगत सिंह नेगी को 53.89% मत मिला था, जबकि तेजवंत सिंह नेगी को 37.54% मत मिला था.

साल 2007 में जीत का अंतर: किन्नौर विधान सीट (Kinnaur Assembly constituency) पर साल 2007 में विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी तेजवंत सिंह नेगी विजयी हुए थे. इस साल तेजवंत सिंह नोगी को 17,873 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी जगत सिंह नेगी को 15,384 वोट, बीएसपी प्रत्याशी सुशील सागर को 1,009 वोट और एलजेपी प्रत्याशी भगत सिंह को 465 वोट मिले थे. इस चुनाव में तेजवंत सिंह नेगी ने 2,489 वोट से जीत हासिल की थी. इसके साथ ही तेजवंत सिंह नेगी को 51.25% मत मिला, जबकि जगत सिंह नेगी को 44.11% मत मिला था.

Kinnaur assembly seat ground report
किन्नौर विधानसभा सीट पर अब तक जीत का अंतर.

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किन्नौर में साल 2003 में जीत का अंतर: किन्नौर विधान सीट (Kinnaur Assembly Seat) पर साल 2003 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जगत सिंह नेगी विजयी हुए थे. इस साल जगत सिंह नोगी को 19,052 वोट मिले. वहीं, भाजपा प्रत्याशी तेजवंत सिंह नेगी को 11,646 वोट, एचवीसी प्रत्याशी एससी नेगी को 2,728 वोट और सीपीएम प्रत्याशी सुखदेव को 1,638 वोट मिले थे. इस चुनाव में जगत सिंह नेगी ने 7,406 वोट से जीत हासिल की थी. जगत सिंह नेगी को 54.33% मत मिला, जबकि तेजवंत सिंह नेगी को 33.21% मत मिला था.

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