शिमलाः बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के मुंबई पहुंचने से पहले ही बीएमसी ने कंगना के कार्यालय निर्माण को अवैध बताते हुए गिरा दिया. बीएमसी की इस कार्रवाई का हिमाचल में भी विरोध जताया गया. लोगों ने इसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया है.
हिमाचल के लोग इस कार्रवाई को शिवसेना सरकार की तानाशाही का नतीजा बता रहे हैं. उनका कहना है की शिवसेना कंगना रनौत के बेबाक रवैये से घबरा गई है और अब ऐसे कामों को अंजाम दे रहे हैं. लोगों का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार कंगना को डरना चाहती है और उनपर दवाब बनाना चाहती है, जो उनकी तानाशाही रवैये को बता रहा है.
शिमला के स्थानीय नागरिकों ने कहा कि जिस तरह के कंगना रनौत ने बॉलीवुड इंडस्ट्री के साथ ही ड्रग माफिया के मामले को उजागर किया है. उन्होंने कहा कि ड्रग माफिया ने पूरे भारत में ही अपना जाल बिछाया हुआ है जिसे बेनकाब करना जरूरी है, लेकिन ऐसा लगता है कि इससे शिव सेना के नेता घबराएं हुए हैं. यही वजह है कि वह अब हिमाचल की बेटी कंगना की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार अपनी शक्तियों का दुरप्रयोग करते हुए इस तरह की ओछी हरकतें कर रही है.
लोगों का कहना है कि कंगना रनौत ने जब ड्रग माफिया और बॉलीवुड की सच्चाई से पर्दा उठाया. उसके बाद बीएमसी में कंगना रनौत के कार्यालय को तोड़ा. हालांकि यह कार्यालय कुछ दिन में नहीं बना था बल्कि कई वर्षों से कार्यालय वहां चल रहा था, लेकिन बीएमसी ने पहले इस तरह की कार्रवाई क्यों नहीं की.
ड्रग माफिया के खिलाफ आवाज उठाने और मुंबई की हकीकत सामने लाने पर ही उनके दफ्तर तोड़ा गया है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. शिवसेना की सरकार ने बदले की भावना से उनके दफ्तर को तोड़ा है, लेकिन इस तरह की करतूतों से वह कंगना को डरना चाहते ही तो हिमाचल की जनता भी उन्हें यह साफ कह देना चाहती है कि कंगना हिमाचल की ही नहीं पूरे देश की बेटी है और पूरा देश का यूथ उनके साथ खड़ा है.
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