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हवाई यात्रा की सुविधा बढ़े तो आकाश छुएगा हिमाचल का टूरिज्म सेक्टर, सालाना ढाई करोड़ सैलानियों की होगी आमद

दिल्ली से शिमला की हवाई यात्रा (Delhi to Shimla air travel) का सफर महज 55 मिनट का है. इस समय शिमला का जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट हवाई यातायात के लिए उपलब्ध नहीं है. हवाई पट्टी के विस्तार को लेकर हो रहे निर्माण के कारण ये बंद है. यदि दिल्ली, चंडीगढ़ व देश के अन्य महानगरों से शिमला के लिए फ्लाइट नियमित उड़ने लगें तो हिमाचल के पर्यटन को पंख लग जाएंगे. शिमला के लिए नियमित हवाई यात्रा की सुविधा फिर से शुरू हो जाए तो सालाना अकेले दिल्ली से ही शिमला के लिए दस लाख से अधिक सैलानी आएंगे.

Himachal tourism sector
फोटो. (साभार सोशल मीडिया).
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Published : Mar 8, 2022, 9:45 PM IST

शिमला: देवभूमि हिमाचल के पर्यटन को पंख लगाने के लिए देश भर से शिमला के लिए हवाई यात्रा (Delhi to Shimla air travel) की सुविधा जरूरी है. यदि दिल्ली से शिमला के लिए नियमित हवाई यात्रा की सुविधा फिर से शुरू हो जाए तो सालाना अकेले दिल्ली से ही शिमला के लिए दस लाख से अधिक सैलानी आएंगे.

दिल्ली से शिमला की हवाई यात्रा का सफर महज 55 मिनट का है. इस समय शिमला का जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट हवाई यातायात के लिए उपलब्ध नहीं है. हवाई पट्टी के विस्तार को लेकर हो रहे निर्माण के कारण ये बंद है. यदि दिल्ली, चंडीगढ़ व देश के अन्य महानगरों से शिमला के लिए फ्लाइट नियमित उड़ने लगें तो हिमाचल के पर्यटन को पंख लग जाएंगे. इस समय हिमाचल में सालाना पौने दो करोड़ सैलानी आते हैं. दिल्ली से शिमला सड़क मार्ग तय करने में आठ घंटे का सफर करना पड़ता है. ऐसे में सैलानी दिल्ली से शिमला आने को टालना बेहतर समझते हैं. करीब एक दशक से शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट के लिए हवाई सेवा बंद है.

हिमाचल की अर्थ व्यवस्था को सहारा देने में पर्यटन सेक्टर का अच्छा खासा योगदान है. प्रदेश में शिमला के अलावा मंडी जिला में अंतरराष्ट्रीय स्तर का ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा बनना है. यदि शिमला व मंडी के लिए बड़े हवाई जहाज आना शुरू हो जाएं तो हिमाचल प्रदेश में सालाना ढाई करोड़ सैलानियों की आमद हो सकेगी. यहां उल्लेख करना जरूी है कि शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट में हवाई पट्टी धंसने के कारण सितंबर 2012 से हवाई उड़ानें करीब-करीब बंद हैं. जब ये सुविधा मौजूद थी तो अकेले हवाई मार्ग से ही हर साल छह लाख सैलानी शिमला पहुंचते थे.

हवाई उड़ानें बंद होने पर एक जागरुक नागरिक पारस धौल्टा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आग्रह किया कि न्यायालय राज्य व केंद्र सरकार सहित संबंधित अथॉरिटीज को जल्द हवाई पट्टी चौड़ी करने और हवाई यात्रा सेवा बहाल करने के लिए उपयुक्त निर्देश दें. तब हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्र, राज्य सरकार व डीसी शिमला, सोलन सहित लोक निर्माण विभाग एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया आदि को उपयुक्त आदेश जारी किए थे.

ये भी पढ़ें- Love Horoscope: गुस्से व जल्दबाजी से लव लाइफ पर खतरा, जानिये अपनी राशि का पूरा हाल

एयरपोर्ट अथॉरिटी ने बाद में हाईकोर्ट के समक्ष बहाना बनाया कि एयरटेल कंपनी का मोबाइल टावर बाधा बन रहा है. तब अदालत ने एक हफ्ते में मोबाइल टॉवर हटाने के आदेश दिए थे. हवाई पट्टी को 30 मीटर तक चौड़ा किया जाना था, ताकि बड़े हवाई जहाज उतर सकें. बाद में हवाई अड्डे के रनवे को 26 मीटर से बढ़ाकर साठ मीटर करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. इसके लिए 96 करोड़ रुपए का बजट दिया गया है. वैसे तो जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट से हवाई यात्रा की सुविधा का लक्ष्य फरवरी 2022 में तय किया गया था, लेकिन अभी ये संभव नहीं दिखाई दे रहा.

इससे पूर्व हवाई पट्टी चौड़ी करने के बाद भी शिमला से हवाई उड़ान शुरू करने के रास्ते में 75 करोड़ रुपए की वाइबल गैप फंडिंग का फेर फंस गया था. एयर इंडिया ने शिमला के लिए हवाई उड़ान सेवाएं देने से इसलिए मना किया था कि यात्रियों की कमी के कारण उसे घाटा होगा.

इस घाटे को ही वाइबल गैप फंडिंग कहते हैं. एयर इंडिया 75 करोड़ रुपए की वाइबल गैप फंडिंग का खर्च उठाने को तैयार नहीं था. एयर इंडिया की मांग थी कि केंद्र सरकार ये खर्च उठाए. बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पहाड़ी राज्यों के लिए सस्ती हवाई सेवा उपलब्ध करवाने का आदेश दिया था.

हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला के इसी हवाई अड्डे से उड़ान योजना शुरू की थी. तब हैलीकॉप्टर के जरिए सैलानी शिमला आ सकते थे. बड़े हवाई जहाज के लिए फिर भी सुविधा नहीं थी. बाद में हवाई यात्रा सुविधा उपलब्ध करवाने वाली कंपनियों ने सस्ती हवाई सेवा से हाथ खींच लिए थे. ताजा हालात ये हैं कि जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट से मार्च 2020 के बाद कोई हवाई यात्रा सेवा नहीं मिल रही. अलबत्ता तय समय पर हैलीटैक्सी जरूर सेवाएं दे रही है.

हिमाचल की आर्थिकी में पर्यटन सेक्टर का योगदान करीब सात फीसदी है. यहां सैलानियों की संख्या बढ़ने और नए पर्यटन डेस्टिनेशन विकसित करने से जीडीपी में पर्यटन सेक्टर का योगदान दस फीसदी तक हो सकता है. हिमाचल में वर्ष 2017 में रिकार्ड 1.97 करोड़ सैलानी आए थे.

आंकड़ों पर एक नजर: वर्ष 2010 में हिमाचल में 1 करोड़, 32 लाख 66 हजार सैलानी आए थे. वर्ष 2011 में साल भर में एक करोड़, 50 लाख, 89 हजार सैलानी आए थे. इसी तरह 2012 में एक करोड़, 61 लाख, 46 हजार, वर्ष 2013 में एक करोड़, 51 लाख, 30 हजार, वर्ष 2014 में एक करोड़, 63 लाख, 15 हजार, वर्ष 2014 में 1.63 करोड़, वर्ष 2015 में 1.75 करोड़, वर्ष 2016 में 1.84 करोड़, वर्ष 2017 में 1.97 करोड़, वर्ष 2018 में सैलानियों की आमद घटकर 1.64 करोड़ रह गई.

बाद में वर्ष 2019 में ये आंकड़ा फिर से 1.72 करोड़ सैलानियों तक जा पहुंचा. वर्ष 2020 में कोरोना की मार से पर्यटन सेक्टर तबाह हो गया था. दो साल पहले कोरोना आने पर हिमाचल में कुल 32 लाख, 13 हजार पर्यटक आए. अगले साल 2021 में भी कोरोना के कारण हिमाचल में 56 लाख, 37 हजार पर्यटक आए.

राज्य सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार प्रदीप चौहान का कहना है कि हिमाचल प्रदेश आसानी (tourist attractions in himachal pradesh) से सालाना ढाई करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य पूरा कर सकता है. इसके लिए सबसे जरूरी हवाई सेवाओं का विस्तार है. दिल्ली से शिमला हवाई यात्रा शुरू हो जाने से साल भर में दस लाख सैलानी अकेले दिल्ली से शिमला आएंगे. इसी तरह मंडी का ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा यदि शुरू हो जाए तो देश की छोटी काशी में धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा.

भुंतर व गगल हवाई अड्डों का भी (air travel to himachal) विस्तार होने से स्थिति और बेहतर होगी. साथ ही हिमाचल प्रदेश में नए पर्यटन डेस्टीनेशन विकसित करने की जरूरत है. हिमाचल प्रदेश में विलेज टूरिज्म की भी अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए सैलानियों की हिमाचल आमद को तीव्र करने के लिए हवाई सेवाएं अधिक से अधिक होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- सरकार का बड़ा फैसला, 27 मार्च से बहाल होंगी अंतरराष्ट्रीय कमर्शियल उड़ान सेवाएं

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शिमला: देवभूमि हिमाचल के पर्यटन को पंख लगाने के लिए देश भर से शिमला के लिए हवाई यात्रा (Delhi to Shimla air travel) की सुविधा जरूरी है. यदि दिल्ली से शिमला के लिए नियमित हवाई यात्रा की सुविधा फिर से शुरू हो जाए तो सालाना अकेले दिल्ली से ही शिमला के लिए दस लाख से अधिक सैलानी आएंगे.

दिल्ली से शिमला की हवाई यात्रा का सफर महज 55 मिनट का है. इस समय शिमला का जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट हवाई यातायात के लिए उपलब्ध नहीं है. हवाई पट्टी के विस्तार को लेकर हो रहे निर्माण के कारण ये बंद है. यदि दिल्ली, चंडीगढ़ व देश के अन्य महानगरों से शिमला के लिए फ्लाइट नियमित उड़ने लगें तो हिमाचल के पर्यटन को पंख लग जाएंगे. इस समय हिमाचल में सालाना पौने दो करोड़ सैलानी आते हैं. दिल्ली से शिमला सड़क मार्ग तय करने में आठ घंटे का सफर करना पड़ता है. ऐसे में सैलानी दिल्ली से शिमला आने को टालना बेहतर समझते हैं. करीब एक दशक से शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट के लिए हवाई सेवा बंद है.

हिमाचल की अर्थ व्यवस्था को सहारा देने में पर्यटन सेक्टर का अच्छा खासा योगदान है. प्रदेश में शिमला के अलावा मंडी जिला में अंतरराष्ट्रीय स्तर का ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा बनना है. यदि शिमला व मंडी के लिए बड़े हवाई जहाज आना शुरू हो जाएं तो हिमाचल प्रदेश में सालाना ढाई करोड़ सैलानियों की आमद हो सकेगी. यहां उल्लेख करना जरूी है कि शिमला के जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट में हवाई पट्टी धंसने के कारण सितंबर 2012 से हवाई उड़ानें करीब-करीब बंद हैं. जब ये सुविधा मौजूद थी तो अकेले हवाई मार्ग से ही हर साल छह लाख सैलानी शिमला पहुंचते थे.

हवाई उड़ानें बंद होने पर एक जागरुक नागरिक पारस धौल्टा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आग्रह किया कि न्यायालय राज्य व केंद्र सरकार सहित संबंधित अथॉरिटीज को जल्द हवाई पट्टी चौड़ी करने और हवाई यात्रा सेवा बहाल करने के लिए उपयुक्त निर्देश दें. तब हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने केंद्र, राज्य सरकार व डीसी शिमला, सोलन सहित लोक निर्माण विभाग एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया आदि को उपयुक्त आदेश जारी किए थे.

ये भी पढ़ें- Love Horoscope: गुस्से व जल्दबाजी से लव लाइफ पर खतरा, जानिये अपनी राशि का पूरा हाल

एयरपोर्ट अथॉरिटी ने बाद में हाईकोर्ट के समक्ष बहाना बनाया कि एयरटेल कंपनी का मोबाइल टावर बाधा बन रहा है. तब अदालत ने एक हफ्ते में मोबाइल टॉवर हटाने के आदेश दिए थे. हवाई पट्टी को 30 मीटर तक चौड़ा किया जाना था, ताकि बड़े हवाई जहाज उतर सकें. बाद में हवाई अड्डे के रनवे को 26 मीटर से बढ़ाकर साठ मीटर करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. इसके लिए 96 करोड़ रुपए का बजट दिया गया है. वैसे तो जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट से हवाई यात्रा की सुविधा का लक्ष्य फरवरी 2022 में तय किया गया था, लेकिन अभी ये संभव नहीं दिखाई दे रहा.

इससे पूर्व हवाई पट्टी चौड़ी करने के बाद भी शिमला से हवाई उड़ान शुरू करने के रास्ते में 75 करोड़ रुपए की वाइबल गैप फंडिंग का फेर फंस गया था. एयर इंडिया ने शिमला के लिए हवाई उड़ान सेवाएं देने से इसलिए मना किया था कि यात्रियों की कमी के कारण उसे घाटा होगा.

इस घाटे को ही वाइबल गैप फंडिंग कहते हैं. एयर इंडिया 75 करोड़ रुपए की वाइबल गैप फंडिंग का खर्च उठाने को तैयार नहीं था. एयर इंडिया की मांग थी कि केंद्र सरकार ये खर्च उठाए. बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पहाड़ी राज्यों के लिए सस्ती हवाई सेवा उपलब्ध करवाने का आदेश दिया था.

हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला के इसी हवाई अड्डे से उड़ान योजना शुरू की थी. तब हैलीकॉप्टर के जरिए सैलानी शिमला आ सकते थे. बड़े हवाई जहाज के लिए फिर भी सुविधा नहीं थी. बाद में हवाई यात्रा सुविधा उपलब्ध करवाने वाली कंपनियों ने सस्ती हवाई सेवा से हाथ खींच लिए थे. ताजा हालात ये हैं कि जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट से मार्च 2020 के बाद कोई हवाई यात्रा सेवा नहीं मिल रही. अलबत्ता तय समय पर हैलीटैक्सी जरूर सेवाएं दे रही है.

हिमाचल की आर्थिकी में पर्यटन सेक्टर का योगदान करीब सात फीसदी है. यहां सैलानियों की संख्या बढ़ने और नए पर्यटन डेस्टिनेशन विकसित करने से जीडीपी में पर्यटन सेक्टर का योगदान दस फीसदी तक हो सकता है. हिमाचल में वर्ष 2017 में रिकार्ड 1.97 करोड़ सैलानी आए थे.

आंकड़ों पर एक नजर: वर्ष 2010 में हिमाचल में 1 करोड़, 32 लाख 66 हजार सैलानी आए थे. वर्ष 2011 में साल भर में एक करोड़, 50 लाख, 89 हजार सैलानी आए थे. इसी तरह 2012 में एक करोड़, 61 लाख, 46 हजार, वर्ष 2013 में एक करोड़, 51 लाख, 30 हजार, वर्ष 2014 में एक करोड़, 63 लाख, 15 हजार, वर्ष 2014 में 1.63 करोड़, वर्ष 2015 में 1.75 करोड़, वर्ष 2016 में 1.84 करोड़, वर्ष 2017 में 1.97 करोड़, वर्ष 2018 में सैलानियों की आमद घटकर 1.64 करोड़ रह गई.

बाद में वर्ष 2019 में ये आंकड़ा फिर से 1.72 करोड़ सैलानियों तक जा पहुंचा. वर्ष 2020 में कोरोना की मार से पर्यटन सेक्टर तबाह हो गया था. दो साल पहले कोरोना आने पर हिमाचल में कुल 32 लाख, 13 हजार पर्यटक आए. अगले साल 2021 में भी कोरोना के कारण हिमाचल में 56 लाख, 37 हजार पर्यटक आए.

राज्य सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार प्रदीप चौहान का कहना है कि हिमाचल प्रदेश आसानी (tourist attractions in himachal pradesh) से सालाना ढाई करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य पूरा कर सकता है. इसके लिए सबसे जरूरी हवाई सेवाओं का विस्तार है. दिल्ली से शिमला हवाई यात्रा शुरू हो जाने से साल भर में दस लाख सैलानी अकेले दिल्ली से शिमला आएंगे. इसी तरह मंडी का ग्रीन फील्ड हवाई अड्डा यदि शुरू हो जाए तो देश की छोटी काशी में धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा.

भुंतर व गगल हवाई अड्डों का भी (air travel to himachal) विस्तार होने से स्थिति और बेहतर होगी. साथ ही हिमाचल प्रदेश में नए पर्यटन डेस्टीनेशन विकसित करने की जरूरत है. हिमाचल प्रदेश में विलेज टूरिज्म की भी अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए सैलानियों की हिमाचल आमद को तीव्र करने के लिए हवाई सेवाएं अधिक से अधिक होनी चाहिए.

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