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एमएमयू से 45 लाख जुर्माने की वसूली पर हाईकोर्ट की रोक, नियामक आयोग ने लगाया था जुर्माना - shimla news hindi

महर्षि मर्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी (एमएमयू) सहित एमएमयू मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग द्वारा लगाए गए 45 लाख जुर्माने के (recovery of fine from MMU University Solan) वसूली पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. पढे़ं पूरी खबर...

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Jul 22, 2022, 7:30 PM IST

शिमला: सोलन जिले में महर्षि मर्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी (एमएमयू) सहित एमएमयू मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग द्वारा लगाए गए 45 लाख जुर्माने के (recovery of fine from MMU University Solan) वसूली पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. हिमाचल हाईकोर्ट के (Himachal Pradesh High Court) मुख्य न्यायाधीश अमजद एहतेशाम सईद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस मामले में एमएमयू की तरफ से दाखिल याचिका की प्रारंभिक सुनवाई की. सुनवाई के बाद खंडपीठ ने 45 लाख रुपए जुर्माने की वसूली पर फिलहाल रोक लगा दी है.

मामले से जुड़े तथ्यों के अनुसार निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने अधिक फीस वसूली के आरोप की जांच में पाया था कि वर्ष 2012 से 2020 की अवधि के दौरान लगभग 1100 एमबीबीएस छात्रों से 103 करोड़, 96 लाख 53 हजार रुपए की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूल की गई है. इस पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने एमएमयू कुमारहट्टी पर 45 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था.

निजी शिक्षण संस्थान की तरफ से जुर्माना लगाए जाने के आदेश को एमएमयू प्रबंधन ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी. एमएमयू की ओर से दाखिल याचिका में दलील दी गई है कि प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के आदेश को लेकर कोरम पूरा नहीं था. आयोग द्वारा जारी आदेश पर फुल कोरम के हस्ताक्षर नहीं थे. वहीं, इस मामले में आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि कुल दो सदस्यों ने मामले की सुनवाई की थी. एक सदस्य शशिकांत शर्मा ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि उनकी बेटी भी एमएमयू में नामांकित थी.

आयोग ने उक्त वसूली सबंधी आदेश वर्ष 2013-14 बैच की एमबीबीएस छात्रा निवेदिता राव व यामिनी की शिकायत पर पारित किए थे. शिकायत में उन्होंने अतिरिक्त ट्यूशन फीस की वसूली को लेकर शुरू में ही विरोध किया था, लेकिन उन्हें ये कहकर धमकाया गया कि फीस न जमा करने पर डिग्री नहीं पूरी होने दी जाएगी. फिलहाल, हाईकोर्ट ने जुर्माने की वसूली पर रोक लगा दी है.

वहीं, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने एक बाइकर्स एसोसिएशन की बाइक को सरचू में रोकने पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश अमजद एहतेशान सईद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने प्रतिवादियों से जवाब तलब किया है. एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि पर्यटक उनकी बाइक किराये पर लेकर लाहौल-स्पीति घूमने जाते हैं, लेकिन उनकी बाइक को लाहौल एंड स्पीति बाइक एसोसिएशन द्वारा सरचू नामक स्थान पर ही रोक किया जाता है.

मजबूरन पर्यटकों को सरचू से लाहौल एंड स्पीति बाइक एसोसिएशन (Lahaul and Spiti Bike Association) की बाइक किराये पर लेनी पड़ती है. याचिका दाखिल करने वाली एसोसिएशन ने अदालत में कहा कि इससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है. प्रार्थी एसोसिएशन ने यह आरोप भी लगाया है कि लाहौल एंड स्पीति बाइक एसोसिएशन ने उन्हें बाइक्स को नुकसान पहुंचाने की धमकी भी दी है.

ये भी पढे़ं: भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह का निर्देश, घर-घर दस्तक दें पार्टी कार्यकर्ता

शिमला: सोलन जिले में महर्षि मर्कंडेश्वर यूनिवर्सिटी (एमएमयू) सहित एमएमयू मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग द्वारा लगाए गए 45 लाख जुर्माने के (recovery of fine from MMU University Solan) वसूली पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. हिमाचल हाईकोर्ट के (Himachal Pradesh High Court) मुख्य न्यायाधीश अमजद एहतेशाम सईद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इस मामले में एमएमयू की तरफ से दाखिल याचिका की प्रारंभिक सुनवाई की. सुनवाई के बाद खंडपीठ ने 45 लाख रुपए जुर्माने की वसूली पर फिलहाल रोक लगा दी है.

मामले से जुड़े तथ्यों के अनुसार निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने अधिक फीस वसूली के आरोप की जांच में पाया था कि वर्ष 2012 से 2020 की अवधि के दौरान लगभग 1100 एमबीबीएस छात्रों से 103 करोड़, 96 लाख 53 हजार रुपए की अतिरिक्त ट्यूशन फीस वसूल की गई है. इस पर निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने एमएमयू कुमारहट्टी पर 45 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था.

निजी शिक्षण संस्थान की तरफ से जुर्माना लगाए जाने के आदेश को एमएमयू प्रबंधन ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी. एमएमयू की ओर से दाखिल याचिका में दलील दी गई है कि प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के आदेश को लेकर कोरम पूरा नहीं था. आयोग द्वारा जारी आदेश पर फुल कोरम के हस्ताक्षर नहीं थे. वहीं, इस मामले में आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि कुल दो सदस्यों ने मामले की सुनवाई की थी. एक सदस्य शशिकांत शर्मा ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि उनकी बेटी भी एमएमयू में नामांकित थी.

आयोग ने उक्त वसूली सबंधी आदेश वर्ष 2013-14 बैच की एमबीबीएस छात्रा निवेदिता राव व यामिनी की शिकायत पर पारित किए थे. शिकायत में उन्होंने अतिरिक्त ट्यूशन फीस की वसूली को लेकर शुरू में ही विरोध किया था, लेकिन उन्हें ये कहकर धमकाया गया कि फीस न जमा करने पर डिग्री नहीं पूरी होने दी जाएगी. फिलहाल, हाईकोर्ट ने जुर्माने की वसूली पर रोक लगा दी है.

वहीं, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने एक बाइकर्स एसोसिएशन की बाइक को सरचू में रोकने पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. मुख्य न्यायाधीश अमजद एहतेशान सईद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने प्रतिवादियों से जवाब तलब किया है. एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि पर्यटक उनकी बाइक किराये पर लेकर लाहौल-स्पीति घूमने जाते हैं, लेकिन उनकी बाइक को लाहौल एंड स्पीति बाइक एसोसिएशन द्वारा सरचू नामक स्थान पर ही रोक किया जाता है.

मजबूरन पर्यटकों को सरचू से लाहौल एंड स्पीति बाइक एसोसिएशन (Lahaul and Spiti Bike Association) की बाइक किराये पर लेनी पड़ती है. याचिका दाखिल करने वाली एसोसिएशन ने अदालत में कहा कि इससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है. प्रार्थी एसोसिएशन ने यह आरोप भी लगाया है कि लाहौल एंड स्पीति बाइक एसोसिएशन ने उन्हें बाइक्स को नुकसान पहुंचाने की धमकी भी दी है.

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