शिमला: हिमाचल में लंपी वायरस को पशुपालन विभाग ने महामारी घोषित तो किया है लेकिन राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इसे मानने में आनाकानी कर रहा है. वहीं, कैबिनेट में मंत्री ने घोषणा की थी लंपी वायरस से पशु की मौत होने पर (Lumpy skin disease in himachal) प्रभावित पशुपालकों को मुआवजा दिया जाएगा. लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. यह आरोप हिमाचल प्रदेश किसान सभा ने लगाए हैं. वीरवार को शिमला में किसान सभा के बैनर तले पशुपालकों ने पशुपालन विभाग के निदेशालय के बाहर प्रदर्शन किया.
हिमाचल प्रदेश किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप तंवर ने सरकार पर (Himachal Kisan Sabha Protest in Shimla) आरोप लगाए कि लंपी वायरस को लेकर सरकार और विभाग बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. लंपी वायरस से बचाव और राहत के लिए सरकार कोई भी उचित कदम नहीं उठा रही है. पशुपालकों ने निदेशक के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन सौंपा और मुआवजे की मांग की है.
कुलदीप तंवर ने बताया कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में इस वायरस से अभी तक 39 हजार से ज्यादा पशु संक्रमित हुए हैं जबकि 1313 पशुओं की मौत हुई है. वास्तविकता में यह आंकड़ा इससे ज्यादा है. यह वायरस 9 जिलों में फैल चुका है बावजूद इसके सरकार कोई कदम नहीं उठा रही. उन्होंने कहा कि विधानसभा में मंत्री ने कहा था कि इस वायरस से पशुओं के मरने पर 30 हजार मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन अभी तक एक भी पशुपालक को मुआवजा नहीं मिला है.
उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग के निदेशक के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें इस महामारी से निपटने के पर्याप्त इंतजाम करने के साथ मुआवजे की मांग की गई है. वहीं, पशुपालकों ने बताया कि लंपी वायरस से लगातार उनके पशु मर रहे हैं. जिस कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उनके पशुओं की वैक्सीनेशन नहीं हुई है न ही विभाग व सरकार की तरफ से उन्हें दवाईयां उपलब्ध कराई गई हैं. उन्हें स्वयं दवाईयां खरीदनी पड़ रही है. उन्होंने मांग की है कि विभाग उन्हें दवाईयां उपलब्ध करवाए और जो पशु हानि हुई है उसका मुवावजा दिया जाए.
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