रामपुरः कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल के विरोध में रामपुर के विभिन्न क्षेत्रों में हिमाचल किसान सभा और सीटू ने नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि दिल्ली के बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन को समर्थन देते हुए उन्होंने आज विरोध प्रदर्शन किया है.
प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह ने कहा कि किसान तीन कृषि कानूनों को खारिज किये जाने और इन्हें वापस लिए जाने की मांग के लिए शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली के बार्डर पर एकजुट हैं, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार व हरियाणा की खट्टर सरकार इन किसानों के आंदोलन को कुचलने के लिए दमन कर रही है.
भाजपा सरकारें पूंजीपतियों का दे रही साथ
उन्होंने कहा कि केंद्र व हरियाणा की राज्य सरकार द्वारा किसानों पर जो बर्बर दमन किया है, उसकी सीटू व किसान सभा कड़ी निंदा करती है. किसान आंदोलन को दबाने से स्पष्ट जाहिर हो चुका है कि ये दोनों भाजपा सरकारें पूंजीपतियों के साथ हैं और उनकी मुनाफाखोरी को सुनिश्चित करने के लिए किसानों की आवाज को दबाना चाहती हैं, जिसे देश का मजदूर-किसान कतई मंजूर नहीं करेगा.
केंद्र सरकार की नीतियों को बताया किसान विरोधी
कुलदीप सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार किसान विरोधी नीतियां लाकर किसानों को कुचलना चाहती है. देश के लाखों किसान ट्रेक्टरों के साथ आंदोलन के मैदान में हैं. सरकार की लाठी, गोली, आंसू गैस, सड़कों पर खड्डे खोदना, बैरिकेड व पानी की बौछारें भी किसानों के होंसलों को पस्त नहीं कर पाई हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के साथ मजदूर पूरी तरह एकजुट है.
खेती को बड़ी पूंजीपतियों के हवाले करने की साजिश
इन कानूनों के माध्यम से किसानों की फसलों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए विदेशी और देशी कंपनियों और बड़ी पूंजीपतियों के हवाले करने की साजिश रची जा रही है. इन कानूनों से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा को समाप्त कर दिया जाएगा.
आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानून के खत्म होने से बढ़ेगी जमाखोरी
सीटू जिलाध्यक्ष ने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानून को खत्म करने से जमाखोरी, कालाबाजारी व मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा. इससे बाजार में खाद्य पदार्थों की बनावटी कमी पैदा होगी व खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे. कृषि कानूनों के बदलाव से बड़े पूंजीपतियों और देशी-विदेशी कंपनियों का कृषि पर कब्जा हो जाएगा और किसानों की हालत दयनीय हो जाएगी. केंद्र सरकार के नए कानूनों से एपीएमसी जैसी कृषि संस्थाएं बर्बाद हो जाएंगी. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि आम जन और किसान विरोधी कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल को रद्द किया जाए.
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