शिमला: पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) में आरोपी को जमानत पर रिहा करने के लिए कोई विशेष रोक संबंधी प्रावधान नहीं है. हिमाचल हाई कोर्ट (Himachal High Court) ने एक नाबालिग के अपहरण कर उससे यौन शोषण केआरोपी को जमानत पर रिहा (granted bail to the accused of POCSO Act) करते हुए यह बात स्पष्ट की. न्यायाधीश सत्येन वैद्य (Judge Satyen Vaidya) ने आरोपी प्रताप की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए कहा कि पॉक्सो अधिनियम के तहत (Bail under POCSO Act) जमानत प्रदान करने के लिए कोई विशेष रुकावट संबंधी प्रावधान नहीं है, बल्कि इस अधिनियम के तहत किए गए अपराध भी आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों से ही संचालित होते हैं.
16 अप्रैल को शिकायत: मामले के अनुसार कुल्लू जिला के निरमंड थाने में गत 16 अप्रैल को पीड़ित के दादा ने शिकायत दर्ज कर बताया था कि उसकी नाबालिग पोती 11 अप्रैल से लापता थी. पुलिस को दी शिकायत के आधार पर याचिकाकर्ता के घर से पीड़ित लड़की को बरामद किया गया. जांच में पीड़ित की उम्र 16 वर्ष और 5 महीने की पाई गई ,जबकि प्रार्थी की उम्र 21 वर्ष पाई गई. 9 मई को जांच में यह बात भी सामने आई कि पीड़ित 6 सप्ताह की गर्भवती भी थी
17 अप्रैल को गिरफ्तारी: प्रार्थी को 17 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया. पुलिस के अनुसार पीड़ित लड़की प्रार्थी के घर से बरामद की गई और प्रार्थी ने यह जानते हुए कि लडकी नाबालिग है, फिर भी उसके साथ दुष्कर्म किया. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि लड़की बेशक नाबालिग है फिर भी ऐसे तथ्य सामने नहीं ,जिससे लगे कि पीड़ित के साथ जबरदस्ती की गई हो. इतना ही नहीं लड़की को ऐसे घर में रखा गया था , जिसमें अन्य पारिवारिक लोग भी रह रहे हैं. कोर्ट ने प्रार्थी की जमानत याचिका मंजूर (bail application accepted) करते हुए कहा कि उसे न्यायिक हिरासत में रखने से अभियोजन पक्ष को कोई फायदा नहीं होगा, बल्कि प्रार्थी के करियर पर प्रतिकूल प्रभाव जरूर उत्पन्न करेगा.