शिमला : प्रदेश में कोविड-19 राहत शिविरों और आश्रय स्थलों में पांच सौ से अधिक व्यक्तियों को आश्रय प्रदान किया गया है. स्कूलों और मंदिरों में स्थापित ये राहत शिविर और भोजन शिविर कोविड-19 के कारण लॉकडाउन में फंसे हुए प्रवासी लोगों को भोजन की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित कर रहे हैं.
कोरोना वायरस के दौर में हिमाचल सरकार की ओर से करीब 13 हजार प्रवासियों को भोजन सुविधा उपलब्ध करवा रही है. हालांकि स्वयंसेवी संस्थाओं की भी इसमें बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है.
जिला बिलासपुर में 689 लोग, चंबा में 2,688, कांगड़ा में 238, किन्नौर में दो, कुल्लू में 678, मंडी में 245, शिमला में 1,379 और सिरमौर जिले में 6,834 लोगों ने इन भोजन शिविरों में भोजन प्रदान किया गया है.
इनमें से कांगड़ा जिला में संचालित तीन राहत शिविर और आश्रय में 89 व्यक्ति, कुल्लू के एक शिविर में आठ व्यक्ति, मंडी के एक शिविर में 18 व्यक्ति, शिमला के दो शिविरों में 94 व्यक्ति, सिरमौर के पांच शिविरों में 69 व्यक्ति और सोलन के सात शिविरों में 234 व्यक्तियों को आवास की सुविधा दी जा रही है.
राज्य सरकार द्वारा की गई अपील के परिणामस्वरूप, कार्यस्थल पर ही छह हजार से अधिक व्यक्तियों को उनके नियोक्ताओं द्वारा आश्रय और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. प्रवासी मजदूरों को भोजन और आश्रय के अलावा, राज्य के जरूरतमंद लोगों को भी लगभग दस लाख राशन और भोजन के पैकेट प्रदान किए गए हैं.
जिला किन्नौर में नेपाली मूल के मजदूर दिल बहादुर व राजन ने बताया राज्य सरकार ने उन्हें संकट के समय में राहत प्रदान करते हुए आवश्यक सुविधाएं दी. लॉकडाउन ने उन प्रवासी मजदूरों के लिए कठिनाई पैदा कर दी थी, जिन्हें कोविड-19 के कारण पैदा हुई परिस्थितियों में काम से हाथ धोना पड़ा, जिससे उनको भोजन तक की परेशानी हो चुकी थी.
राज्य सरकार लॉकडाउन के समय के दौरान इन प्रवासी कृषि मजदूरों, औद्योगिक श्रमिकों और अन्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भोजन और आश्रय सहित पर्याप्त सहायता प्रदान करना सुनिश्चित कर रही है.
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