शिमलाः लॉकडाउन के इस समय में जहां जनता घरों में कैद है और लोगों को घरों से बाहर निकलने में भय लग रहा है. ऐसे में बिजली विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी मैदान में मुस्तैदी से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
एक तरफ कोरोना का डर है तो दूसरी और धूप और बारिश काम में अड़चन डाल रहे हैं, लेकिन फिर भी उपभोक्ताओं के जीवन की रोशनी बनाए रखने बिजली कर्मी जान जोखिम में डालकर 24 घंटे हर दिन मैदान में डटे हुए हैं.
प्रदेश में करीब 20 हजार बिजली कर्मी फील्ड स्टाफ के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जगह-जगह जाकर बिजली ठीक करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि लोगों में डर का माहौल है. ऐसे में किसी बाहरी कर्मचारी के गांव में प्रवेश से लोग घबरा जाते हैं और सहयोग की संभावनाएं खत्म हो जाती हैं.
उन्होंने बताया कि गांव में बिजली ठीक करते समय सावधानी अपनानी पड़ती है ताकि स्थानीय लोगों से भी तालमेल बना रहे. इसके अलावा विभाग की तरफ से भी कोरोना से बचने के लिए केवल एक बार ही सुरक्षा उपकरण दिए गए हैं, लेकिन उसके बाद ना तो विभाग ने मास्क दिए और ना ही अन्य सुरक्षा उपकरण कई बार कंटेनमेंट जोन में बिजली ठीक करने के लिए जाना पड़ता है.
इस दौरान विद्युत कर्मियों के पास पीपीई किट होना जरूरी होता है, लेकिन अभी तक विभाग के पास कोई भी पीपीई नहीं है. इसके अलावा कर्मचारियों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत ट्रैवलिंग सुविधा की कमी है.
आजकल पूरे प्रदेश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद है जिससे बिजली ठीक करने के लिए कर्मचारियों को मीलों पैदल चलना पड़ता है. यह सबसे बड़ी दिक्कत है. विभाग इस विषय में कोई कदम नहीं उठा रहा है. ऐसे में कर्मचारियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
कोरोना वायरस के इस काल में विभाग की जिम्मेदारियां भी बढ़ गई हैं. फील्ड में तैनात लोगों के लिए सुरक्षा तय करना, आने वाले समय की अनिश्चितता को देखते हुए भी कार्यों की प्लानिंग करना, फॉल्ट आने पर सुधार के लिए प्लानिंग करना, कोरोना संक्रमित क्षेत्र में जाकर कार्य करना बहुत चुनौतीपूर्ण है, लेकिन कर्मचारियों की कर्तव्यनिष्ठा एवं टीम भावना की वजह से यह कार्य सुगमता से हो रहे हैं.
बिजली कर्मियों का कहना है कि कोरोना महामारी की लड़ाई लड़ने के लिए बिजली बहुत जरूरी है. इसलिए जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं. पहली से अधिक जागरूकता से अपना कार्य संभालना पड़ रहा है.
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