शिमला: राजनीति को कई लोग कीचड़ की संज्ञा देते हैं और इस संज्ञा के खिलाफ तर्क है कि कीचड़ को साफ करने के लिए उसी में उतरना पड़ता है. हिमाचल में इस समय विधानसभा चुनाव का शोर (Himachal assembly election 2022) है. मंझे हुए राजनेता तो टिकट के तलबगार होते ही हैं, लेकिन इस चुनाव में डॉक्टर्स, वकील और पत्रकार भी टिकट की कतार में हैं. इस समय विधानसभा चुनाव में टिकट के इच्छुक डॉक्टर्स में विख्यात न्यूरो सर्जन डॉ. जनकराज, कई विषयों में पीजी डिग्री धारक डॉ. ललित चंद्रकांत, मशहूर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पन्ना लाल वर्मा, हमीरपुर के डॉक्टर पुष्पेंद्र व मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. राजेश कश्यप का नाम शामिल है.
विगत में विख्यात कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अरविंद कंदौरिया भी चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं. हालांकि वे खुलकर सामने नहीं आए हैं. वे धर्मशाला से चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसी तरह आर्थो विशेषज्ञ डॉ. लोकेंद्र शर्मा भी शिमला जिला की एक सीट से चुनाव लड़ने की चाहत रखते हैं. मीडिया से जुड़े लोगों में अश्विनी वर्मा पांवटा साहिब से चुनावी रण में उतरने का ऐलान कर चुके हैं. इसी तरह पंकज पंडित और हेम सिंह ठाकुर आम आदमी पार्टी में सक्रिय हैं. जीएस तोमर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं.
इसी तरह शिमला से अभिषेक बारोवालिया पेशे से वकील हैं और चुनाव लड़ना चाहते हैं. उनके पोस्टर शिमला में लगे हुए हैं. डॉ. जनकराज चंबा जिला (MS IGMC Dr Janakraj Chamba) की भरमौर सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. वे पिछली बार भी लंबी छुट्टी लेकर चुनाव लड़ने के लिए गए थे, लेकिन टिकट नहीं मिला. इसी तरह डॉ. ललित चंद्रकांत मंडी जिला की नाचन सीट से टिकट चाहते हैं. ये दोनों डॉक्टर्स भाजपा के टिकट के दावेदार (Ticket allocation for election in Himachal) हैं. डॉ. राजेश कश्यप ने पिछला चुनाव सोलन से लड़ा था और हार गए थे. इस बार भी वे भाजपा से टिकट के दावेदार हैं.
डॉ. पन्ना लाल वर्मा मंडी के सरकाघाट से चुनाव में कांग्रेस का टिकट (Himachal Pradesh congress) चाहते हैं. वे हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए थे. मौजूदा समय में हिमाचल विधानसभा में दो सदस्य डॉक्टर हैं. डॉ. राजीव बिंदल व डॉ. राजीव सैजल, ये दोनों आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं. वरिष्ठ मीडिया कर्मी उदय सिंह का कहना है कि लोकतांत्रिक देश में सभी को चुनाव लड़ने का हक है. डॉक्टर्स भी चुनाव मैदान में किस्मत आजमा सकते हैं. अलबत्ता विशेषज्ञों को चुनाव लड़ने की बजाय डॉक्टरी पेशे से जनता की बेहतर सेवा कर सकते हैं. खासकर न्यूरो सर्जन, जिनकी प्रदेश ही नहीं देश में भी भारी कमी है. देखना है कि चुनाव लड़ने के इच्छुक डॉक्टर्स, वकीलों और मीडिया कर्मियों में से किसी को टिकट मिलती है या नहीं. या फिर वे आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरेंगे.
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