शिमला: पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में 171 आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस महानिदेशक अपनी और अपने विभाग की पीठ थपथपा रहे हैं. बीते दिन पुलिस प्रमुख संजय कुंडू ने बाकायदा पत्रकार वार्ता कर एसआईटी द्वारा की गई कार्रवाई का लेखा जोखा रखा. लेकिन कांग्रेस एसआईटी जांच से सहमत नहीं है. प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष नरेश चौहान ने पत्रकार वार्ता में (Himachal Congress Vice President Naresh Chauhan) कहा कि पुलिस विभाग ने ही कांस्टेबल भर्ती की परीक्षा आयोजित करवाई और पेपर सेट किया और प्रिंट करवाया. ऐसे में जब पूरी प्रकिया विभागीय अधिकारियों की ही देखरेख में हुई तो उसी विभाग की एसआईटी से निष्पक्ष जांच की उम्मीदें नहीं की जा सकती हैं.
नरेश चौहान ने कहा कि पेपर लीक केस की जांच मुख्यमंत्री ने (Naresh Chauhan on police paper leak case) सीबीआई से करवाने की बात कही लेकिन अभी तक सीबीआई नहीं आई है. ऐसे में मुख्यमंत्री जो कह रहे हैं, वह भी नहीं हो रहा है. इससे भाजपा सरकार से जनता का विश्वास उठने लगा है. उन्होंने कहा कि सरकार और पुलिस विभाग मामले को दबाने का प्रयास कर रही है, जो कांग्रेस होने नहीं देगी. नरेश चौहान ने कहा कि अगर सीबीआई नहीं आ रही है तो सरकार उच्च न्यायालय के सिटिंग जज से पूरे केस की छानबीन करवाए. उन्होंने कहा कि बीते दिन डीजीपी ने पत्रकार वार्ता के माध्यम से ऐसा संदेश देने का प्रयास किया कि पूरा मामला सुलझा दिया गया है जबकि इस मामले में अधिकतर गिरफ्तारी पेपर खरीदने वालों की हुई है.
उन्होंने कहा कि किसी के इशारे पर पुलिस का ही पेपर बिक गया, उसके बारे में कोई कुछ नहीं कह रहा है. केवल छोटी-छोटी मछलियों को पकड़कर विभाग अपनी पीठ थपथपा रहा है. जबकि पपेर लीक केस सामने आने से प्रदेश की छवि पूरे देश में धूमिल हुई है. नरेश चौहान ने पूछा कि जब प्रदेश में सरकारी प्रिंटिंग प्रेस है तो पुलिस विभाग को बिहार जाकर पेपर छपवाने की क्या जरुरत पड़ गई. उन्होंने कहा कि पेपर सेट करने, प्रिंट करवाने और लिखित परीक्षा का जिम्मा विभागीय अधिकारियों के पास था, ऐसे में किस अधिकारी के स्तर पर चूक हुई, उसे जगजाहिर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा इस केस में पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है.
नरेश चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री ने पेपर लीक केस की जांच सीबीआई से करवाने की बात कही लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी ने अभी तक केस अपने हाथों में नहीं लिया है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सीबीआई और ईडी जैसी एजेसियों को केवल केंद्र सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ एक हथियार के तौर पर प्रयोग में ला रही है. इसके साथ ही उन्होंने अग्रिपथ योजना को युवा विरोधी करार दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तानाशाही रवैया न अपनाए और देश व सेना हित में ठेकेदारी वाली योजना का रद्द करे.
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